मोदी सरकार ने इमरान को 370 के रूप में दिया है उपहार : रेहम

रेहम खान ने लंदन में डॉ. अनिल सिंह (कार्यकारी संपादक, न्यूज 24) के साथ खुलकर बातचीत की। रेहम खान पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान की पूर्व पत्नी हैं, और वह अपने विचारों को स्पष्ट रूप से सामने रखने के लिए जानी जाती हैं। डॉ. अनिल सिंह के साथ अपने खुले विचार-विमर्श में, उन्होंने राजनीति से लेकर व्यक्तिगत सम्बन्धों तक व्यापक मुद्दों पर बात की। उन्होंने कई मुद्दों का खुलासा किया है, जो पाठकों को इमरान खान के बारे में कई बातें जानने का अवसर देगा। साथ ही यह बातचीत भारत और पाकिस्तान के बीच उनके नज़रिये से सम्बन्धों की वर्तमान स्थिति और भविष्य में रिश्ते कैसे रह सकते रहेंगे, इस पर भी रोशनी डालती है।

मैं इस टॉक शो में आपका स्वागत करता हूँ। आपने पाकिस्तान और उसके वर्तमान प्रधान मंत्री इमरान खान को करीब से देखा है और आप हमेशा पाकिस्तान और प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर सटीक टिप्पणियों के साथ सामने आयी हैं। जो मैं आपसे जानना चाहता हूँ, वह यह है कि पाकिस्तान के बारे में आपके मन में किस तरह की छवि थी और वर्तमान में आप इसे किन परिस्थितियों में देखती हैं?

धन्यवाद! जहाँ तक पाकिस्तान का सवाल है और जिन परिस्थितियों से वह वर्तमान में गुज़र रहा है, उसका मैंने बहुत पहले अनुमान लगा लिया था और वह उसी दिशा में जा रहा है। वर्तमान में, पाकिस्तान एक महत्त्वपूर्ण चरण से गुज़र रहा है। लोगों ने इमरान खान से बहुत उम्मीद की थी, फिर भी, वह उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं। क्योंकि आप देख सकते हैं कि देश में युवा बहुत गुस्से में हैं। अराजकता व्याप्त है। लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं। इस देश की बिगड़ती अर्थ-व्यवस्था के कारण लोगों के लिए उम्मीद की कोर्ई किरण दिखाई नहीं दे रही है। एक वर्ष गुज़र चुका है और इस अवधि के दौरान सरकार ने कोर्ई सकारात्मक उपाय नहीं किया है। नतीजतन लोग उम्मीद खो चुके हैं और हताश हो गये हैं। इस निराशा के कारण लोगों में बेचैनी की स्थिति पैदा हो रही है। लोग बेरोज़गार हैं और अर्थ-व्यवस्था जर्जर है। स्थिति स्थिर नहीं है। मुझे लगता है कि एक हिंसक धारा पूरे समाज में बह रही है और यह पाकिस्तान के लिए बहुत परेशान करने वाली स्थिति है।

यदि हम पाकिस्तान और भारत के रिश्तों को देखते हैं, तो दोनों देशों के बीच सम्बन्ध लगातार बिगड़ रहे हैं। जिस तरह से इमरान खान ने भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू किया, जैसे कि जम्मू-कश्मीर में 370 के अनुच्छेद को निरस्त करने के बारे में, जो भारत का आंतरिक मामला था, इमरान ने दुनिया भर में भारत की निंदा का मिशन अपना लिया। इसके अलावा, नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जिस तरह से हंगामा किया गया, क्या आपको नहीं लगता कि यह पाकिस्तान को कहाँ ले जा रहा है?

देखें, जहाँ तक इमरान की अनुच्छेद 370 के बारे में बात है, तो हम पाकिस्तान में मानते हैं कि उन्होंने कश्मीर पर बात नहीं की। कश्मीर के बारे में पूरी योजना आमतौर पर पाकिस्तान में चुनाव प्रचार के दौरान ही की दिखती है। पाकिस्तान में, इमरान को दोषी ठहराया जाता है और उन पर इस तथ्य के आधार पर आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने कश्मीर के मुद्दे को ठीक से नहीं उठाया, भले सत्ता में आये उन्हें एक साल हो चुका है।

अनुच्छेद 370 को खत्म करना अगस्त 2019 में ही हुआ। लेकिन अगस्त 2018 से 2019 तक उन्होंने कुछ नहीं किया। अब अगर वह अनुच्छेद 370 के बारे में बात कर रहे हैं, तो वह ऐसा कर रहे हैं क्योंकि उन्हें एक मुद्दा मिल गया है। उनका प्रदर्शन लगभग नगण्य है। मैं समझती हूँ कि भारत और मोदी सरकार ने उन्हें उपहार दिया है। जब हम उनसे अमेरिकी डॉलर (पाकिस्तानी मुद्रा भी) के बारे में सवाल करते हैं, तो उनका जवाब कश्मीर होता है। जब हम उनसे रोज़गार पर सवाल करते हैं तो उनका जवाब होता है कश्मीर। जब हम उनसे पूछते हैं कि क्या आपने पाँच मिलियन घर बनाये हैं, तो वह कहते हैं कि मोदी ने क्या किया। इसलिए, हम समझते हैं कि भारत ने उन्हें अपनी सरकार के प्रदर्शन पर किसी भी चर्चा को रोकने के लिए एक बहाना दे दिया। वह जहाँ भी जाते हैं, कश्मीर के बारे में बात करते हैं। मैं यह नहीं देखती कि नागरिकता विधेयक के बारे में बात हुई है या नहीं। और मुझे भी बहुत आश्चर्य हुआ कि क्या वह नागरिकता विधेयक को भी समझते हैं। जब नागरिकता बिल आया था, मुझे खुशी है कि उन्होंने इसे उठाया।

वे जब नागरिकता विधेयक का मामला उठा रहे हैं, तो दुनिया में इस बात पर चर्चा चल रही है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर किस तरह से अत्याचार हो रहे हैं। स्वतंत्रता के समय, पाकिस्तान में 22 फीसदी अल्पसंख्यक थे जो अब केवल 1.2 फीसदी हैं। क्या आपको नहीं लगता है कि नागरिकता बिल पर बहस करने से पहले इमरान खान अपने भीतर झाँकना चाहिए और उन्हें अपने बारे में सोचना चाहिए?

इमरान खान एकमात्र ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो अन्य देशों के मामलों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। भारत और पाकिस्तान ही नहीं, ब्रिटेन तक में यह एक रवायत बन गयी है कि उन्हें इस बात की ज़िक्र नहीं कि उनके अपने देशों में क्या हो रहा है। इसके प्रति वे जवाबदेह नहीं हैं। मैं यह भी कह सकती हूँ कि इमरान खान, जैसा कि वह हैं, मेरे प्रधान मंत्री हैं, और मुझे आपके साथ क्या करना है। भारतीय जनता की इमरान में रुचि है और इमरान की भी भारतीय जनता में रुचि है; क्योंकि दोनों का साझा इतिहास है। मुझे लगता है कि दोनों देशों के शासन का एक गठजोड़ चल रहा है कि पाकिस्तान के लोग पाकिस्तानी सरकार और भारत के लोग अपनी सरकार से कोई सवाल नहीं पूछ सकते। इमरान अपने विधानसभा सत्रों में मोदी-आरएसएस के बारे में बात करते हैं और अपने देश के मुद्दे नहीं उठाते। भारत और पाकिस्तान दोनों के राजनेताओं और लोगों को बहुत गम्भीरता दिखानी होगी और नफरत की राजनीति छोडऩी होगी।

जब आप रोज़गार की बात करते हैं, तो पाकिस्तान इस समय आर्थिक मंदी से गुज़र रहा है। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ने धमकी दी है कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद को नहीं रोकता है, तो वह वित्तीय सहायता रोक देगा। क्या आप इमरान खान को इसके लिए ज़िम्मेदार मानते हैं?

देखिए, इमरान खान इसके लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भी ज़िम्मेदार हैं। जब पाकिस्तान में इतनी घटनाएँ हुईं, तो किसी ने कुछ नहीं किया और इमरान ने भी कुछ नहीं किया। दिसंबर में अतीत में बच्चों की सामूहिक हत्या कर दी गयी थी। बहरहाल, इमरान ने उनके लिए अब तक कुछ नहीं किया है। जबकि इमरान बड़े-बड़े दावे करते थे; लेकिन कुछ नहीं किया। इमरान ने अपनी राजनीति के लिए वो सब कुछ किया, जो उन्हें नहीं करना चाहिए था। उन्हें चरमपंथियों का समर्थन नहीं करना चाहिए था। लेकिन उन्होंने किया। हिन्दू लड़कियों का सिंध में जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया और उन्होंने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया, जबकि उन्हें ऐसा करना चाहिए था।

पाकिस्तान और भारत में सोशल मीडिया पर ऐसी बहुत सी बातें होती हैं कि इमरान खान की पत्नी को काला जादू आता है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी पत्नी बुशरा बेगम ने दो जिन्नों को रखा है और उनके माध्यम से वह पाकिस्तान की स्थिति को बदल देंगी। आिखर इमरान कितने समय से इस काले जादू की गिरफ्त में है?

पहली बात जो लोगों को समझने की आवश्यकता है, वह यह है कि ऐसे व्यक्ति इस्लाम का लबादा ओढक़र ऐसी हरकतों में लिप्त हो जाते हैं और इस्लाम का प्रचार करते हैं, जबकि काले जादू और ऐसी हरकतों की इस्लाम में कोई गुंजाइश नहीं है। यह निषिद्ध है। इसकी अनुमति नहीं है। यह कुछ अजीब प्रकार का है, जो किया जाता है और मैंने इसे देखा है। जब मैं उनके घर पर थी, तो मैंने काले जादू के जैसी कुछ चीज़ें होती देखीं। जो इसे करवाना चाहता था, वो इसे करवा लेता था। लेकिन मैंने वहाँ बहुत कुछ देखा? कभी काली दाल बनाते, कभी तावीज़ लाते। जबकि इस्लाम में ऐसी हरकतों की कोर्ई गुंजाइश नहीं है। इसको उनका झुकाव कहना बहुत छोटी बात होगी। मैंने उन पर इसकी निर्भरता देखी है, जो मुझे लगा कि बहुत बुरा है। अगर अब कुछ है, तो मैं नहीं बता सकती कि अभी क्या हो रहा है; क्योंकि अब मैं उस घर में नहीं हूँ। मुझे क्यों झूठ बोलना चाहिए? लेकिन अगर ऐसा है और लोग ऐसा कह रहे हैं, तो यह बहुत बुरा है। और अगर ऐसा नहीं है, तो इमरान एक रोल मॉडल थे और हैं। उनके बारे में इस तरह की बेकार बात, जिसमें इस्लाम और यहाँ तक कि आधुनिक जीवन में भी कोर्ई जगह नहीं है, कहना एक तरह की निरक्षरता है। अगर यह ऐसा रोल मॉडल बन जाता है, तो वह देश को कहाँ ले जाएगा? उसने लोगों, नौजवानों को अपशब्द कहने सिखाये हैं। उन्होंने असहिष्णुता सिखाई, उग्रवाद को आगे बढ़ाया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में, उन्होंने कहा कि कोर्ई भी सीमा पर जा सकता है और एक बम फेंक सकता है, जिसे कुछ लोगों द्वारा सराहा गया था, फिर भी बहुत बुरा लगा। यह एक शिक्षित व्यक्ति के असंतुलित होने जैसा है।

आप जिस रोल मॉडल की बात कर रहे हैं, पाकिस्तान के युवाओं को इमरान पर बहुत भरोसा था कि एक नया आदमी आ रहा है, एक नया पाकिस्तान बनाएगा। लेकिन उनके सारे सपने धराशायी हो गये। पाकिस्तान के युवा अब निराश हैं और उनकी सोच में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की छवि को लेकर बदलाव आया है। प्रधानमंत्री के िखलाफ जुलूस निकाले जा रहे हैं। बिलावल का बयान देखें, जिसमें उन्होंने कहा कि मुजफ्फराबाद भी अब हाथ से जाने वाला है।

देखिए, यह एक साधारण बात है। इमरान एक क्रिकेटर रहे हैं और उन्हें एक गेंदबाज़ के रूप में उनके प्रदर्शन के लिए जाना जाता है और कोर्ई भी उन्हें एक बुरा गेंदबाज़ नहीं कहेगा। यही उनका प्रदर्शन था। लेकिन उनके चेहरे के कारण कोर्ई उन्हें कप्तान नहीं रख सकता और इसके लिए उन्हें प्रदर्शन करना होगा। गलती चयनकर्ता के साथ होती है जो आपको अर्थ-व्यवस्था टीम में डालते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि जिस किसी को क्रिकेट की अच्छी समझ है, उसे भी अर्थ-व्यवस्था की भी अच्छी समझ हो। अब जबकि कोर्ई गलती की गई है, तो वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि इमरान को इसमें लाया गया है और वास्तव में यह उनका कार्य नहीं है। सभी को उसकी क्षमता पता थी। वे वोट से नहीं जीत सके, इसलिए वे उन्हें ले आये। एक साल बीत चुका है। अब हर कोर्ई उनकी क्षमताओं से परिचित हो गया है। यह व्यक्ति एक फाइल भी नहीं पढ़ सकता है। यह उनका काम नहीं है। कैसे एक ऐसे गैर-गम्भीर व्यक्ति को उस देश की पतवार थमायी जा सकती है, जहाँ परमाणु शक्ति और हथियार हैं। ऐसे व्यक्ति की ऐसी बातें सुनकर, यह दुविधा खड़ी हो जाती है कि इस पर हँसे या रोयें। गलती उनका चयन करने वालों की है। मैं इमरान को बिल्कुल भी दोष नहीं दे रही हूँ।

रेहम खान जी, एक बात बताइए। आपने अपनी पुस्तक में बहुत सी व्यक्तिगत बातों का उल्लेख किया है। आपने इमरान खान के बारे में भी बहुत कुछ लिखा है, ब्लैक मनी के बारे में भी लिखा है। यह वास्तविकता के कितने करीब है, क्योंकि आपने एक जगह लिखा है कि इमरान खान सब्ज़ी लाने में भी सक्षम नहीं थे या कभी लाये ही नहीं थे?

देखिए, मैंने अपने जीवन और उनके जीवन के बारे में एक पुस्तक लिखी है और उसमें एक भी बात झूठी है तो मुझे बताएँ। इस किताब की प्रतियाँ दुनिया में हर जगह उपलब्ध हैं। अगर किसी को लगता है कि इसमें कोर्ई झूठ है, तो आओ और मुझे बताओ। मैंने जो लिखा है वह 100 फीसद से अधिक सच है। फिर भी, मैंने कुछ मुद्दों के बारे में कुछ नहीं लिखा। मुझ पर जो कुछ भी लिखा गया है, उसके बारे में मुझ पर व्यक्तिगत आरोप लगाये गये हैं। पुस्तक में जो कुछ भी लिखा गया है, वह देश से सम्बन्धित है।

मुझे बताइए कि आप और इमरान खान शुरुआत में कैसे दोस्त बन गये? किसने पहल की? आप लोगों की शादी कैसे हुई?

शादी के दौरान ही दोस्ती हुई। मैंने 15 मई को उनका एक साक्षात्कार किया। उसके लगभग एक महीने बाद, उन्होंने मुझे एक संदेश भेजा और मुझे प्रपोज किया।

तो, क्या यह एक तात्कालिक जुड़ाव और तत्काल विवाह सम्बन्ध था?

नहीं, यह तत्काल सगाई या तत्काल विवाह का मामला नहीं था। बल्कि ऐसा होने में छ: महीने लग गये। उस समय, मैंने महसूस किया कि यह व्यक्ति मुझे जानता भी नहीं था और हम एक-दूसरे से परिचित भी नहीं थे। मैंने उन्हें किसी सामाजिक कार्यक्रम में भी नहीं देखा था। मेरा कोर्ई सामाजिक दायरा नहीं था, जबकि उनका सामाजिक दायरा व्यापक था। तब मैंने कहा कि मैं उन्हें नहीं जानती। तब कहा गया था कि ऐसा नहीं है। आप उस व्यक्ति को नकार रही हैं, जिसे सभी महिलाएँ चाहती हैं। उन्होंने दो-तीन महीने का समय लिया और अगस्त में मैंने अपनी सहमति दी। इसके बाद, उनकी कुछ हरकतें थीं, जिसमें वे रात में कुछ आश्चर्यजनक कहते थे और अगले दिन बदल जाते थे। निकाह की तारीख तय हो गयी थी और अचानक उन्होंने कुछ पागलपन भरी बात कह दी। इसलिए मुझे इतनी दिलचस्पी नहीं थी, फिर मैं पीछे हट गयी। उसके बाद उन्हें दो-तीन महीने लगे और फिर अक्टूबर में उन्होंने अचानक कहा कि निकाह कर लेना ज़रूरी था। मैंने महसूस किया कि उनकी एक खास तारीख थी और वे उसी तारीख को शादी करना चाहते थे। निकाह भी उसी तारीख को किया गया और तलाक भी उसी तारीख को हुआ।

निकाह और तलाक के बीच का समय बहुत पीड़ा भरा था?

यह मेरे लिए ऐसा नहीं था। इसे पीड़ाजनक नहीं कहा जा सकता। मेरी पहली शादी इतनी दर्दनाक थी कि यह मामला कुछ बेहतर था। मेरे सामने पति के रूप में वह बहुत अच्छा व्यक्ति था, लेकिन यह सब नकली था, एक नाटक था। मेरे सामने कुछ और था और मेरी पीठ पीछे कुछ और। लेकिन मेरे साथ जो भी हुआ उसमें मेरा कभी झगड़ा नहीं हुआ। लेकिन यह एक धोखा था। यह चालबाज़ी थी और चालबाज़ी उनके स्वभाव में थी। मैं सोचती थी कि मेरे पति मुझसे बहुत खुश हैं, लेकिन जब मुझे पता चलने लगा तो मुझे कुछ और ही लगा। व्यक्तिगत जीवन में झूठ बोलने वाला व्यक्ति देश के साथ कैसे ठीक हो सकता है? लोग बार-बार कहते हैं कि यह सब निजी जीवन के बारे में है। लेकिन उनका स्वभाव ऐसा है कि वे कुर्सी (सत्ता) की खातिर किसी का भी बलिदान कर सकते हैं।

आप भविष्य में भारत-पाकिस्तान सम्बन्धों को कहाँ देखती हैं। आप क्या चाहती हैं? इस रिश्ते को किस रास्ते पर जाना चाहिए?

देखिए, भारत में इस समय अत्यधिक दक्षिणपंथी झुकाव है जो बहुत परेशान करने वाला है, क्योंकि हम भारत को एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश के रूप में देखते हैं। हम भारत में लोकतंत्र और भारत की पहचान को देखना चाहते हैं। भारत में कई रंग, कई नस्लें और सभी समुदाय हैं। विविध धर्मों के लोग हैं। होली के रंग भारत के रंग हैं। भारत में भी बदलाव आया है और पाकिस्तान में भी अत्यधिक दक्षिणपंथी रुख लाद दिया गया है। और इमरान इस लेबल को मज़बूत कर रहे हैं। यदि यही स्थिति बनी रही, तो दोनों देशों के लिए और अधिक कठिन समय आ सकता है, जिसका सीधा असर दोनों देशों की अर्थ-व्यवस्था पर पड़ेगा।

रेहम खान जी, यह बदलाव पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। इंग्लैंड में भी, कंजर्वेटिव पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की है। इसके बारे में बहुत आश्चर्यचकित न हों?

मुझे आश्चर्य नहीं है; क्योंकि हम जानते थे कि इस प्रकार का एक डिजाइन आ रहा था। यह अमेरिकी नीति है। ट्रम्प ने मोदी को गले लगाया और इमरान को भी बढ़ावा दिया। लेकिन हमें अपने देश पर ध्यान देना चाहिए। हमें पहले दोनों देशों के बीच सम्बन्धों को ठीक करना चाहिए। अगर अमेरिका हमें लड़ाना चाहता है, तो हमें समझदार होने की ज़रूरत है। अंग्रेजों ने पहले ही हमें एक-दूसरे से बहुत लड़ाया है, और अतीत को दोहराने की कोशिश हो रही है।

(हमसे बात करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, रेहम खान।)