मोदी में है पर फिल्म में नहीं कोई दम

कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिन्हें देख कर आप ठिठक जाते हैं। प्रेरित होते हैं। एक व्यक्तित्व को गंभीरता से लेते हैं। वैसा बनने की कोशिश करते हैं। बरसों पहले गांधी पर एक फिल्म आई थी ‘गांधी’। फिल्म निर्देशक अभिनेता रिचर्ड एटनबरो ने यह फिल्म बनाई थी। इस फिल्म को देखने की चाह  आज भी लोगों में मिलती है।

‘पी एम नरेंद्र मोदी’ नाम से बनी फिल्म एक अर्से से बनकर ठहर हुई है। इसका प्रदर्शन न हो, यह फैसला भारत के निर्वाचन आयोग ने किया था। फिल्म सिनेमा घरों में रिलीज नहीं हुई लेकिन हंगामा रहा। जब चुनावी नतीजे आ गए तो फिल्म भी सिनेमा हाल में प्रदर्शित हो गई।

यह फिल्म बड़ी अजब ही सी है। इसे देख कर फिल्म के नायक के प्रति कोई सहज अनुराग नहीं जगता। ऐसा ही लगता है कि कोई प्रचार फिल्म देख रहे हों। कोई गहराई नहीं। अभिनय भी औसत। दर्शक इस फिल्म को एक कला फिल्म भी नहीं मान सकते। इतनी खराब फिल्म जिसे देखकर यही हर पल लगता रहा कि पैसे आपके, प्रचार नायक का।

यह पूरी फिल्म नहीं एक रंगीन और खराब डाक्यूमेंटरी है। इस फिल्म में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाकपटुता, नारेबाजी, दावे हैं। उनके ढेरों इंटरव्यू से ली गई चीजें हैं। लेकिन इस फिल्म के निर्माता निर्देशक उमंग कुमार की फिल्म यह जताती है कि लगन हो तो जि़ंदगी अपने आप में बेहद सहज और आसान है। यह फिल्म बताती है कि कठिन जि़ंदगी को जीते हुए मेहनती, ईमानदार मोदी ने समाज को किस कदर जाना-समझा और वे कैसे समाज सेवी, प्रचारक और संगठन चलाने की जिम्मेदारी संभाली इमरजंसी के दिनों में उन्होंने लोगों की खूब मदद की। संगठन क्षमता के चलते वे राममंदिर आंदोलन के नेताओं से जुड़े। गुजरात में उनके समय में दंगे हुए। उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर राजधर्म निभाया। फिर वह समय आया जब पूरे देश को अपनी वाकपटुता से प्रभावित करके 2014 में सरकार संभाली। अब 2019 की चुनावी सुनामी में दूसरी बार विजयी हुए।

इस फिल्म में यह बताने की कोशिश है कि नरेंद्र मोदी सबको चाहे वे मुसलमान हो या ईसाई या फिर सिख आने देश में साथ ही रखना चाहते हैं, क्योंकि मानव मात्र की वे चिंता करते हैं, और यह सिद्धि है जिसे नंगे पांव हिमालय की चोटियों पर जाकर उन्होंने हासिल किया था।

बहरहाल यह फिल्म दर्शक के मन में मोदी को जानने के उत्साह को खत्म करती है। ऐसा लगता है कि यह पूरी फिल्म सिनेमा दर्शकों के लिए नहीं सिर्फ बल्कि प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के लोगों के लिए ही, उनके प्रचार के लिए बनी है।