मेडिकल स्टोर वालों का अनुभव भी कारगर साबित हो रहा है

सरकारी तंत्र की असफलता कहें, कि सिस्टम का दोष एक ओर तो अस्पतालों में कोरोना के मरीजों को इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। वहीं देश के गांवों और कस्बों में लोगों की कोरोना की जांच नहीं होने से और लोगों को दो-चार दिन बुखार आने पर लोग मेडिकल स्टोर से दवा लेकर अपना इलाज करा रहे है।

सबसे चौकानें वाली बात तो ये है कि इनमें ज्यादात्तर लोग स्वस्थ्य भी हो रहे है। इस बारे में डाँक्टरों का कहना है कि कोरोना तो देश में हाहाकार मचा ही रहा है। लेकिन वायरल सीजन भी चल रहा है। जो बदलते मौसम में होता है। इसलिये जहां पर डाँक्टरों की कमी है। वहां पर मेडिकल स्टोर वाले अपने अनुभव से मरीजों को दवा देकर सही भी कर रहे है। जिससे लोगों को लाभ भी हो रहा है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया के डाँ आशोक का कहना है कि कोरोना एक संक्रमित बीमारी है। जिसको जागरूकता से काबू पाया जा सकता है। मुंह में मास्क लगाकर और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करके , क्योंकि इस समय ये भी बड़ा उपचार है।

डाँ अनिल बंसल का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर और तीसरी लहर में ना पड़ कर लोग जागरूकता का पालन करें। बे वजह घर से ना निकलें और भीड़भाड़ वालें इलाकें में जाने से बचें। ताकि संक्रमण के खतरें को टाला जा सकें। मौजूदा वक्त में कोरोना की चैन को तोड़ना एक अहम् जिम्मेदारी है। जो सोशल डिस्टेसिंग से तोड़ी जा सकती है।