मुंबई में किसान आंदोलन समाप्त

सरकार के लिखित में मांगें मानने के भरोसे के बाद किसानों का फैसला

मुंबई में महाराष्ट्र सरकार के लिखित भरोसे के बाद किसानों ने अपना आंदोलन इस साल में दूसरी बार वापस ले लिया है। किसानों की करीब १९ मांगों पर सरकार ने भरोसा दिलाया है की इन पर जल्द अमल किया जाएगा।

किसान प्रतिनिधियों की सरकार से बातचीत हुई।  इस बातचीत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जिलों के अधिकारियों से भी किसान मुद्दों को हल करने के तौर तरीके पूछे गए। अंत में सरकार ने लिखित में किसानों की मांगें मानाने का भरोसा दिया जिसे किसानों में स्वीकार कर लिया और अपना आंदोलन स्थिगित करने का ऐलान कर दिया।

इससे पहले सुबह से ही महाराष्ट्र में किसानों की आवाज और मुखर होती दिखी। लोक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पैदल मार्च करते हुए राज्य के आदिवासी और किसान मुंबई पहुंच गए । वे रविवार को कल्याण से निकले थे। उनकी मांग थी कि उनका कर्ज माफ किया जाए, उन्हें सूखे का मुआवजा मिले और जंगलों की जमीन को आदिवासियों को हस्तांतरित की जाए। इसके अलावा उनकी और भी मांगें हैं। राज्य के किसान इससे पहले भी अपनी मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर चुके हैं।

किसानों का आरोप है कि पिछले प्रदर्शन के दौरान सरकार के किए गए वादे अब तक पूरे नहीं हुए हैं। किसानों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने उनकी मांग न मानी तो दो दिन का यह प्रदर्शन और भी लंबा चल सकता है। आजाद मैदान पहुंचकर किसान सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे। इसके बाद सरकार सक्रिय हुई और बातचीत का प्लेटफार्म तैयार किया गया।

किसानों की मांग में लोड शेडिंग की समस्या, वनाधिकार कानून लागू किया जाना, सूखा राहत, न्यूनतम समर्थन मूल्य, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करना शामिल है। सड़क पर उतरे किसानों का कहना है कि पिछले प्रदर्शन के नौ माह बाद भी सरकार के वादे पूरे नहीं हुए हैं। किसानों के इस आंदोलन में कई सामाजिक कार्यकर्ता और किसान आंदोलनों से जुड़े लोग शामिल हैं।