मीडिया कर्मियों की छंटनी पर केंद्र को नोटिस, प्रवासी मज़दूरों को गांव वापस भेजने की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को लॉकडाउन के दौरान मीडिया संस्थानों में कर्मियों की छंटनी, वेतन कटौती आदि को लेकर  केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इसे लेकर कुछ मीडिया कर्मी यूनियनों ने याचिका दायर की है। उधर एक अन्य याचिका पर सर्वोच्च अदालत ने प्रवासी मज़दूरों को गांव वापस भेजने की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा है।

मीडिया से जुड़े मामले वाली याचिका पर आज सुनवाई हुई जिसमें कर्मियों की छंटनी करने, उनके वेतन में कटौती करने और छुट्टी में वेतन काटने जैसे मुद्दे उठाए गए हैं। याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की कि ”कई यूनियन इस तरह की बातें उठा रही हैं। व्यापार लगभग बंद है। इस मसले पर सुनवाई ज़रूरी है”।

न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ, जिसमें जस्टिस संजय किशन और जस्टिस बीआर गवई भी हैं, ने पत्रकारों की यूनियनों  दायर   याचिका में केंद्र को नोटिस जारी किया है। याद रहे १६ अप्रैल को, नेशनल एलायंस ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (एनएजे) और दो अन्य यूनियनों ने कर्मचारियों की छंटनी, वेतन कटौती और मीडिया हाउस के अन्य संबद्ध आदेशों को निलंबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

पत्रकार यूनियनों ने साझी याचिका में कहा था कि मीडिया उद्योग के विभिन्न कर्मचारियों के साथ उनके नियोक्ता एकतरफा फैसले कर रहे हैं और उन्हें बहार निकलने और वेतन कटौती जैसे नोटिस दे रहे हैं।

अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए संकेत दिया कि वह केंद्र को नोटिस जारी करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से अनुरोध किया कि वह याचिका की एक प्रति उन्हें भी उपलब्ध करवाए ताकि वह जवाब दे सकें। इस पर जस्टिस एसके  कौल ने कहा कि ”अन्य यूनियनें भी इस तरह की बात कह रही हैं। सवाल यह है कि अगर कारोबार शुरू नहीं होता है, तो वे कब तक ऐसे रहेंगे? इस मुद्दे पर सुनवाई की जरूरत है”। यह याचिका एनएजे, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट और बृहन् मुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट ने साझे तौर पर दायर की है।

इस बीच एक अन्य याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवासी मज़दूरों को गांव वापस भेजने की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा है। सर्वोच्च अदालत ने पूछा कि  क्या इस बारे में कोई प्रस्ताव है? अदालत ने केंद्र से एक हफ्ते में जवाब देने को कहा।

इस याचिका में कहा गया है कि मज़दूरों को घर से दूर रखना मौलिक अधिकार का हनन है। याचिका में कि कोरोना टेस्ट करके मजदूरों को घर भेजा जा सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने घर घर जाकर कोरोना टेस्ट की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। अदालत ने साथ ही लॉकडाउन के दौरान अनलिमिटेड कॉलिंग और इंटरनेट, फ्री डीटीएच और फ्री नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम की मांग करने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया। जजों ने इस याचिका को लेकर याचिकाकर्ता से कहा कि ”क्या आप कुछ भी दाखिल कर देंगे”?

इसके अलावा कोविड-१९ महामारी के बीच दलित, मुस्लिम, उत्तर पूर्व भारत के लोगों से भेदभाव किये जाने का आरोप लगाने वाली याचिका भी सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दी है।