महिला-पुरुष हॉकी टीमों को ओलंपिक का टिकट

खेल क्षेत्र से एक अच्छी खबर है। भारत की महिला और पुरुष हॉकी टीमें २०२० के टोक्यो ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई कर गयी हैं। भारतीय महिला टीम ने तीसरी बार ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ किया है। भारतीय पुरुष टीम का कभी हॉकी में दबदबा था लेकिन पिछले ढाई दशक से वह कुछ बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई है।

महिला टीम का ओलिंपिक  क़्वालीफाई करना बड़ी बात इसलिए कही जाएगी कि  अधिकतर वह ओलिंपिक जाने से दूर रही है। रियो ओलिंपिक २०१६ में टीम ने क्वॉलिफाइ जरूर किया था लेकिन वह मौका ३६ साल बाद आया था। यह तीसरा मौका होगा है जब भारत की महिला टीम खेलों के इस महाकुंभ में खेलेगी।

महिला टीम की बात करें तो इसने पहली बार १९८० के मास्को ओलिंपिक में एंट्री की जहाँ इसका प्रदर्शन बेहतर रहा और कांस्य पदक से चौक गयी और चौथे स्थान पर रही। लेकिन इसके बाद उसे ३६ साल का लम्बा इंतजार करना पड़ा ब्राजील में २०१६ में जाकर ओलंपिक में खेल पाई। हालांकि निराशाजनक प्रदर्शन के चलते वह बहुत कमजोर १२वें स्थान पर रही। अब टोक्यो ओलंपिक्स  मिला है। देखना है कि उसका  प्रदर्शन कैसा रहता है।

जहाँ तक क्वालीफायर की बात है महिला टीम को कुछ परेशानी झेलनी पडी और आखिर उसे एग्रीगेट स्कोर के जरिये क़्वालीफाई होने में मदद मिली। शुक्रवार को पहले चरण में रानी रामपाल नेतृत्व वाली भारत की महिला टीम ने अमेरिका को ५-१  से हराया लेकिन दूसरे चरण में उसे अमेरिका ने ४-१ से हरा दिया। एग्रीगेट स्कोर में भारतीय महिला टीम ने ६-५ की बढ़त के साथ ही तीसरी बार ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ कर लिया।

जहाँ तक पुरुष टीम की बात है उसका इतिहास स्वर्णिम रहा है। यह अलग बात है कि पिछले कुछ दशक में टीम कमजोर होती गयी है।ओलंपिक हॉकी में भारत की पुरुष टीम के आठ स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक है। वैसे २००८ के पेइचिंग  ओलिंपिक में भारत पुरुष टीम क्वॉलिफाइ ही नहीं कर पाई थी। लंदन के २०१२ और रियो के २०१६ के लिए टीम ने क्वॉलिफाइ तो किया लेकिन क्रमशः १२वें और ८वें स्थान पर रहीं। वैसे टीम १९९६ के एटलांटा ओलिंपिक में भी ८वें स्थान पर लुढ़क गयी थी।अब टोक्यो में उसके प्रदर्शन पर नजर रहेगी।

इस बार के क्वालीफायर में भारत ने दूसरे लेग में ७-१ की बड़ी जीत से रूस को ११-३  के ऐग्रीगेट स्कोर से हराकर ओलंपिक का कोटा हासिल किया।