महिला के साथ अमानवीयता की इंतिहा

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले हरियाणा में एक महिला के साथ हुए अत्याचार की इंतिहा ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में लगातार बढ़ोतरी देखी गयी है। हाल ही में शादीशुदा 35 साल की महिला को घर में ही पति ने एक साल से अधिक समय तक शौचालय में कैद रखा। उसे न सिर्फ मारा-पीटा जाता था, बल्कि एक तरह से पागल बताकर कई दिनों तक भूखा भी रखा जाता था। इससे महिला हड्डियों का ढाँचा बन गयी। बचाव अभियान का नेतृत्व करने वाली महिला संरक्षण अधिकारी रजनी गुप्ता की मदद से उसे निकाला गया। हरियाणा के पानीपत ज़िले के रिशपुर गाँव में फिलहाल इस महिला को पति को चंगुल से बचा लिया गया है और वह अपने चचेरे भाई के पास है। पति ने दावा किया कि महिला की मानसिक हालत ठीक नहीं थी। लेकिन वह मानसिक रूप से स्वस्थ लग रही है और उसकी हालत देखकर लग रहा है कि उसे लम्बे समय तक भूखा रखा गया। जैसे ही उसे बाहर निकाला, तो उसने सबसे पहले रोटी माँगी। जब नहलाकर उसे दूसरे कपड़े पहनाये गये, तो उसने चूडिय़ाँ और लिपस्टिक की भी माँग की। हालत इतनी खराब हो गयी है कि उसकी टाँगे तक सीधी नहीं हो पा रही हैं।

महिला संरक्षण अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया कि हमने पीडि़त महिला से बात की है, वह मानसिक रूप से ठीक है। 15 अक्टूबर को रजनी टीम के साथ गाँव रिशपुर पहुँची, तो पुलिस भी साथ में थी। नरेश घर के बाहर ताश खेल रहा था। पत्नी रामरती के बारे में पूछने पर वह चुप रहा। जब सख्ती से पूछताछ की, तो वह टीम को घर की पहली मंजिल पर ले गया, जहाँ शौचालय में उसने पत्नी को बंद रखा था। महिला के कपड़े बेहद गंदे थे, शरीर हड्डियों का ढाँचा बन गया था। जैसे ही बाहर निकाला, तो उसके चेहरे में खुशी का भाव दिखा। बताया गया कि रामरती के पिता और भाई की करीब 10 साल पहले मौत हो गयी थी, तबसे उसकी मानसिक हालत खराब बतायी गयी। हालाँकि रामरती सभी को पहचान रही है। उसके तीन बच्चे भी हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसी अमानवीयता के बारे में इंसान सोच कैसे सकता है? बाद में पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा-498 (ए) और 342 के तहत मामला दर्ज कर आरोपी पति नरेश को गिरफ्तार कर लिया है।

हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ बढ़े अपराध

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के जारी आँकड़ों के अनुसार, पिछले दो साल में हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में 45 फीसदी की वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसके पीछे तर्क दिया है कि अब राज्य में 34 महिला थाने खोले गये हैं, जिसके बाद महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायतें दर्ज होने लगी हैं। इससे यहाँ पर अपराध के मामलों में तेज़ी देखी गयी। पहले महिलाएँ संकोच या समाज में बदनामी की वजह से केस दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थीं; लेकिन अब महिला पुलिस स्टेशनों के खुल जाने से महिलाएँ अपने खिलाफ होने वाले अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने में नहीं हिचक रही हैं। मुख्यमंत्री ने तो यहाँ तक दावा किया कि पुलिस द्वारा शिकायतों के पंजीकरण से कितने लोग संतुष्ट हैं, इसके लिए एक सर्वेक्षण भी कराया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वे हर अपराध की शिकायत दर्ज करें और सुनिश्चित करें कि हर पीडि़त को न्याय मिले। महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों की बढ़ती संख्या पर उन्होंने कहा कि परिजन, गैर-सरकारी संगठन और अन्य संगठन युवाओं में महिलाओं के सम्मान के लिए नैतिक मूल्यों के प्रति जागरूकता फैलाएँ।

इधर हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि वर्तमान सरकार के गठन के बाद से राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध कई गुना बढ़ गये हैं और एनसीआरबी के आंकड़े इसे साबित भी करते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के पास न तो महिला सुरक्षा के लिए कोई नीति है और न ही अपराधों को नियंत्रित करने की कोई मंशा दिखती है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि हरियाणा में भाजपा सरकार की अक्षमता ने एक शान्तिपूर्ण राज्य को अपराध केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने महज़ एक साल में अपराधों के 1,08,212 मामले दर्ज किये, यानी औसतन देखें तो बिहार और उत्तर प्रदेश से भी ज़्यादा अपराध राज्य में दर्ज किये गये। राज्य में लगातार पाँचवीं बार अपराध की घटनाओं में वृद्धि हुई है। यहाँ हत्या के 1,140, दुष्कर्म के 1,296, सामूहिक दुष्कर्म के 155 और अपहरण के 5,070 मामले दर्ज किये गये हैं।