महाराष्ट्र सरकार का मामला दिल्ली फेल, सत्ता का पेंच अभी भी क़ायम !

बीजेपी और शिवसेना अपनी अपनी जिद्द में अड़े, सोनिया गांधी व शरद पवार की मीटिंग नतीजा सिफर!

महाराष्ट्र सरकार के गठन को लेकर चल रहे गतिरोध सुलझाने मे दिल्ली की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। लेकिन दिल्ली में चले पूरे घटनाक्रम के मद्देनजर कहां जा सकता है कि यह मामला सुलझाने में दिल्ली भी नाकाम रही है।

बीजेपी चीफ अमित शाह से चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस की मीटिंग के बाद सूत्रों के हवाले से खबर है कि केंद्र ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से मना करते हुए फडणवीस को यह मामला राज्य स्तर पर ही सुलझाने का आदेश दिया है।

मीटिंग के बाद फडणवीस ने पत्रकारों से कहा कि वे महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश के चलते किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के सिलसिले में शाह से मिले थे। उन्होंने यह भी साफ किया कि महाराष्ट्र में जल्द ही सरकार बन जाएगी और उन्हीं की सरकार बनेगी। सूत्रों का मानना है कि अमित शाह ने भी 50:50 वाले फार्मूले से इनकार किया है और चीफ मिनिस्टर पोस्ट व होम मिनिस्ट्री शिवसेना को देने से मनाही की है। फिलहाल इन बातों की पुष्टि नहीं हो पाई है। बीजेपी सूत्र बताते हैं कि वह महाराष्ट्र में अल्पमत सरकार नहीं बनाएगी। फिलहाल बीजेपी ने शिवसेना के लिए विकल्प खुले रखे हैं।

इस बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोशियारी से मिलकर महाराष्ट्र में सरकार गठन मे हो रही देरी के लिए शिवसेना जिम्मेदार नहीं है,यह कहकर देरी का ठीकरा बीजेपी के सिर फोड़ दिया है। अपनी मुलाकात को एक शिष्टाचार मुलाकात बताते हुए राउत ने कहा, ‘ महाराष्ट्र मे सरकार नहीं बन रही है और जो एक कन्फ्यूजन बन गया है उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैंं। हम चाहते हैं कि सरकार बने। सरकार बनने में हम किसी तरह का रोड़ा नहीं डाल रही हैंं।’

दूसरी ओर दिल्ली में ही महाराष्ट्र में सत्ता के नए समीकरणों को आयाम देने एनसीपी चीफ शरद पवार कांग्रेस मुखिया सोनिया गांधी से मुलाकात यह तय करने में नाकाम मालूम हो रही है कि महाराष्ट्र में सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा?
हालांकि शरद पवार ने यह स्वीकार किया कि सोनिया गांधी के साथ उन्होंने महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक
हालात पर चर्चा की लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि शिवसेना के साथ दोनों दलों के क्या राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं।
शरद पवार ने यह भी साफ किया की सरकार बनाने के लिए उनके पास उचित संख्या नहीं है और जिनके पास नंबर है सरकार बनाने की जिम्मेदारी उनकी ही है।वह महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहते हैं।
जिनके खिलाफ चुनाव लड़ा है उनके साथ कैसे जाएं?और शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर उनके बीच चर्चा नहीं हुई कहकर शरद पवार ने फिर साबित यह है कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है यह जानना आसान नहीं है। राजनीतिक पंडित यही कहने लगे हैं कि यदि उन्हें इतनी सी बात करनी थी तो सोनिया गांधी को दिल्ली आकर मिलने की क्या जरूरत थी?
वैसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस मीटिंग में शिवसेना को सपोर्ट करने के लिए कांग्रेस की भूमिका पर चर्चा की जाएगी। एनसीपी नेता क ई बार समय आने पर वैकल्पिक सत्ता बनाने की बात स्वीकार कर चुके हैं। यह बात अलग है एनसीपी कह रही है कि उसे अभी तक शिवसेना की तरफ से कोई निमंत्रण नहीं मिला है। गौरतलब है कि शिवसेना सांसद संजय राउत शरद पवार से मुंबई में उनके निवास स्थान सिल्वर ऑक में मुलाकात कर चुके हैं।अब मामला कांग्रेस की भूमिका को लेकर है कि वह शिवसेना को किस तरह सपोर्ट करेगी? हालांकि कांग्रेस में ही शिवसेना को सपोर्ट करने को लेकर दो अलग-अलग गुट बन चुके हैं।
शिवसेना, चीफ मिनिस्टर पोस्ट को लेकर 50:50 फार्मूले पर अड़ी हुई है वहीं चीफ मिनिस्टर फड़णवीस के इस दावे को खारिज किए जाने से गतिरोध बढ़ता ही चला गया। खबर है कि दिल्ली जाने से पहले बीजेपी ने शिवसेना दो महत्वपूर्ण मंत्री पद फाइनेंस और रिवेन्यू का ऑफर किया है।
याद रहे कि मौजूदा सरकार का कार्यक्रम 9 तारीख को खत्म हो रहा है ।नई सरकार के गठन के लिए सिर्फ 5 दिन बचे हैं।

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