महाराष्ट्र पर कल फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

महाराष्ट्र में सरकार के मसले पर शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी की याचिका पर दूसरे दिन सुनवाई और सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय की  जस्टिस एनवी रमना, अशोक भूषण और संजीव खन्ना की बेंच ने सोमवार को सभी पक्षों की सुनवाई के बाद कहा कि मंगलवार को सुबह १०.३० बजे फैसला सुनाया जाएगा।

उधर मुंबई में राजभवन के बाहर सीआईएसएफ लगा दी गयी है। शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी ने सुबह राजभवन में राज्यपाल को एक पत्र सौंप कर दावा किया कि उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए क्योंकि बहुमत उनके पास है। जो चिट्ठी शिव सेना ने राज्यपाल को सौंपी है उसमें एनसीपी के हिस्से में ५३ विधायकों के हस्ताक्षर सहित  कुल १५४ विधायकों के समर्थन का दावा है। गौरतलब है कि एनसीपी के कुल ५४ विधायक हैं, ऐसे में लगता है कि भाजपा को समर्थन देने वाले अजित पवार अकेले रह गए हैं।

इससे पहले कोर्ट में भाजपा पक्षकार वकील की तरफ से ज्यादा समय पर जोर दिया गया। उनका कहना था कि इतने संवेदनशील मसले को ऐसी जल्दबाजी में नहीं किया जा सकता। शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी के पक्षकार वकील ने कहा कि बहुमत उनके पास है। तत्काल फ्लोर टेस्ट ही सच साबित कर सकता है। कपिल सिब्बल ने राज्यपाल की कार्यवाही को गलत बताया। सिब्बल ने कहा हमारे पास १५४ विधायकों का समर्थन है। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा अजित पवार की तरफ से राज्यपाल को कवरिंग लेटर के साथ दिया पत्र समर्थन वाला पत्र नहीं था। इसमें कहीं भाजपा के समर्थन की बात नहीं है। सिर्फ कवरिंग पत्र में ऐसा लिखा गया है।

सुनवाई के दौरान एसजी ने कहा कि चिट्ठी में अजित पवार ने खुद को विधायक दल का नेता बताया, इसपर अदालत ने चिट्ठी का ट्रांसलेशन मांगा। २२ नवंबर की चिट्ठी में अजित पवार ने खुद को एनसीपी विधायक दल का नेता बताया और कहा कि ५४  विधायकों ने उन्हें अधिकार दिया है।

यह चिट्ठी राज्यपाल को मिली, जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति शासन हटाने का अनुरोध किया। २३ नवंबर को राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस को चिट्ठी लिखी। फडणनीस ने राज्यपाल को १७० विधायकों का समर्थन दिखाया था। एसजी ने कहा कि राज्यपाल के पास चिट्ठी आई थी, राज्यपाल का काम जांच करवाना नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सबसे पहले चिट्ठी किसकी आई थी? इसपर एसजी ने कहा कि फडणनीस ने सबसे पहले चिट्ठी लिखी थी। भाजपा के १०५ विधायकों के अलावा अजित पवार ने ५४ विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा था, जिसमें अजित ने खुद को विधायक दल का नेता बताया। तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में चिट्ठी पढ़कर सुनाई।  अदालत में भाजपा निर्दलीय विधायकों और अजित पवार के समर्थन पत्र को पढ़कर सुनाया।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि विपक्ष की ओर से अभी तक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया गया, हमारे पास राज्यपाल के आदेश की कॉपी हैं। तुषार मेहता ने गवर्नर के सचिव की चिट्ठी अदालत को सौंपी, जिसमें विधायकों के हस्ताक्षर हैं।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि क्या कोर्ट गवर्नर के फैसले को पलट सकती है।  अब तुषार मेहता अदालत में दलील रख रहे हैं। उन्होंने इस दौरान राज्यपाल को मिले संवैधानिक अधिकारों का हवाला दिया और कहा कि भाजपा और शिवसेना के गठबंधन की जानकारी राज्यपाल को थी। इसके अलावा भाजपा और शिवसेना के हक में ही नतीजे थे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि राज्यपाल के पास नतीजे थे, भाजपा ही सबसे बड़ी पार्टी थी और शिवसेना के पास ५६ सीटें थीं। राज्यपाल ने काफी दिन इंतजार किया, उसके बाद बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बुलाया।