महामारी में ऑनलाइन करार के मायने

कोविड-19 के संक्रमण के बीच फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने मुकेश अंबानी की कम्पनी रिलायंस जियो में 43,574 करोड़ रुपये निवेश किये हैं। इससे जियो में फेसबुक की हिस्सेदारी 9.99 फीसदी हो जाएगी। इस कारोबारी समझौते के बाद मुकेश अंबानी फिर से एशिया के सबसे अमीर आदमी बन गये हैं। पहले, इस पर अलीबाबा के संस्थापक जैक मा काबिज़ थे। अब मुकेश अंबानी की सम्पत्ति 4 अरब डॉलर बढक़र 49.2 अरब डॉलर हो गयी है, जो जैक मा से 3 अरब डॉलर ज़्यादा है।

एक अनुमान के मुताबिक, 2028 तक भारत में ऑनलाइन ई-कॉमर्स बाज़ार 200 बिलियन डॉलर का हो जाएगा; जो 2018 में 30 बिलियन डॉलर का था। फेसबुक के निवेश से जियोमार्ट का गठन किया जाएगा, जिसका उद्देश्य है, कारोबारियों के लिए लाभकारी ई-कॉमर्स क्षेत्र में एकाधिकार स्थापित करना। हालाँकि, इस क्षेत्र में पहले से छोटे और बड़े दोनों खिलाड़ी मौज़ूद हैं, लेकिन जियोमार्ट के सामने इनका टिकना आसान नहीं होगा। जियोमार्ट और व्हाट्सएप मिलकर एक नयी व्यवस्था विकसित करना चाहते हैं, जिसके तहत लगभग 3 करोड़ छोटे किराना दुकानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे लोग किराना दुकानों से भी ऑनलाइन सामानों की खरीददारी कर सकेंगे। इससे छोटे किराना दुकानों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किराना सामान कम कीमत पर उपभोक्ताओं को मिल सकेगा।

2019 में रिलायंस जियो ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ 10 वर्षों के लिए समझौता किया था। आज माइक्रोसॉफ्ट की भारत में व्यापक पैमाने पर उपस्थिति है। एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स के ज़्यादा इस्तेमाल से गूगल का इस्तेमाल भी खूब बढ़ा है। रिलायंस जियो भारत भर में डेटा केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करना चाहता है। वह स्टार्टअप्स को संयुक्त क्लाउड-माइक्रोसॉफ्ट एप आधारभूत संरचना फ्री उपलब्ध करायेगा। जबकि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उधमियों को यह सुविधा 1500 रुपये के मासिक शुल्क पर उपलब्ध करायेगा। फेसबुक के साथ ताज़ा करारनामे से भारत में समावेशी डिजिटल क्रान्ति को बढ़ावा मिलेगा। क्योंकि फेसबुक भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने और बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

फेसबुक से गठबन्धन से जियो को भुगतान क्षेत्र की कम्पनियों जैसे, फोन-पे, पेटीएम, गूगल-पे, अमेजन-पे आदि कम्पनियों पर बढ़त बनाने में मदद मिलेगी। अनुमान के अनुसार, 2023 तक भारत में डिजिटल भुगतान में 5 गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। राशि में यह एक लाख डॉलर तक पहुँच सकता है। फेसबुक के लिए भारत सबसे बड़ा उपभोक्ता बाज़ार है। यहाँ इसके करीब 32.8 करोड़ उपभोक्ता हैं। मैसेजिंग एप वाट्सएप के भी लगभग 40 करोड़ उपभोक्ता हैं। वाट्सएप, भारत में डिजिटल भुगतान सेवा शुरू करने के लिए तैयार है। सिर्फ उसे इसके लिए मंज़ूरी लेने की ज़रूरत है। जियोमार्ट ग्रॉसरी की दुकानों के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। जियोमार्ट के पास पूँजी की िकल्लत नहीं होगी, इसलिए यह अपना विस्तार देश के दूर-दराज़ के इलाकों में कर सकता है। जब किराना सामान जियोमार्ट कम कीमत पर बेचा जाएगा, तो लोग स्वभाविक रूप से उससे खरीदारी करना चाहेंगे। जियोमार्ट का डिजिटल स्वरूप होने से युवा वर्ग इससे जुडऩा चाहेंगे। अभी बड़े शहरों में डी-मार्ट से खरीदारी करने के लिए लम्बी-लम्बी कतारें लगती हैं, क्योंकि यहाँ सभी सामान एमआरपी से कम कीमत पर उपलब्ध होता है। रिलायंस जियो से मुकाबले के लिए अमेजन, फ्लिपकार्ट को बिजनेस मॉडल व लॉजिस्टिक में बदलाव लाना होगा, क्योंकि पूर्णबन्दी में वे ग्राहकों की किराना सामान उपलब्ध कराने में नाकामयाब रहे हैं। जियोमार्ट को वाट्सएप और फेसबुक से देश की एक बड़ी जनसंख्या का डाटा मिल जाएगा, जिसका इस्तेमाल वह अपने कारोबार को बढ़ाने में करेगा। आज डेटा सबसे बड़ी ताकत है। इसकी मदद से ग्राहकों की पसन्द-नापसन्द को जाना जा सकता है। इससे विज्ञापन व अन्य माध्यमों से ग्राहकों की पसन्द को प्रभावित किया जा सकता है। कोरोना के चलते जियोमार्ट भले ही तुरन्त अमेजन व फ्लिपकार्ट को नहीं हरा पाएगा, लेकिन लम्बी अवधि में उसके लिए देश में मौज़ूद ई-कॉमर्स कम्पनियों को हराने में परेशानी नहीं होगी। रिलायंस जियो और फेसबुक के बीच हुए समझौते से उपभोक्ताओं की निजी जानकारियों के दुरुपयोग की सम्भावना बढ़ गयी है। भारत में फेसबुक और वाट्सएप के लगभग 73 करोड़ उपभोक्ता हैं। उन्होंने अपनी मर्ज़ी से अपनी निजी जानकारी को सोशल साइट्स पर साझा कर रखा है। हाल ही में रिलायंस ने आॢटफिशियल इंटेलिजेंस में भारी-भरकम निवेश किया है। चूँकि, रिलायंस जियो डिजिटल मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति में है, उसकी दखल आॢटफिशियल इंटेलिजेंस में भी है। इसलिए जियोमार्ट लोगों की निजी जानकारियों का उपयोग कारोबारी फायदे के लिए कर सकता है।

आज वाट्सएप व फेसबुक के डाटा के उपयोग से देश की एक बड़ी आबादी की आदत, तौर-तरीके, अभिरुचि, लोगों के राजनीतिक रुझान को जाना जा सकता है। साथ ही इनका उपयोग कारोबारी फायदे और राजनीति रुख को प्रभावित करने में भी किया जा सकता है। हालाँकि, मौज़ूदा समय में भी कारोबारी लम्बे समय से चन्दा देकर राजनीतिक रुख को प्रभावित कर रहे हैं। पर तेज़ी से हो रहे डिजिटलीकरण से कारोबारियों का राजनीति में दखल देना आसान हो गया है। इसलिए रिलायंस जियो का फेसबुक के साथ हुए कारोबारी समझौते को विस्तृत फलक पर देखने की ज़रूरत है। आने वाले दिनों में इसका प्रभाव कारोबार के साथ-साथ राजनीतिक हलकों में भी देखा जा सकता है। फिलहाल भारत में जियोमार्ट के आने से खुदरा किराना कारोबारियों के साथ-साथ ई-कॉमर्स की दिग्गज कम्पनियों के अस्तित्व पर भी ग्रहण लगने के आसार बढ़ गये हैं।