मन्दिर और राम राज्य

अयोध्या में 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा राम मन्दिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन करने और आधारशिला रखे जाने से देश और विदेश में लाखों लोग प्रसन्न हुए। उन लोगों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी घोषणा-पत्र में किये गये दो वादों (जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को खत्म करने और राम जन्मभूमि पर मन्दिर की स्थापना करने) पर खरे उतरे हैं। राम मन्दिर निर्माण के लिए शिलान्यास कार्यक्रम के महत्त्व को देखते हुए ‘तहलका’ ने कालखण्ड की इस महत्त्वपूर्ण घटना पर अयोध्या और देश में ज़मीनी माहौल पर खबर करने का ज़िम्मा विशेष संवाददाताओं- मुदित माथुर और राकेश रॉकी को सौंपा। निश्चित ही 5 अगस्त की तारीख को अपरोक्ष रूप से एक राजनीतिक घटनाक्रम की तरह बताने का इससे बेहतर मौका भला और क्या हो सकता था? जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 खत्म करने की पहली वर्षगाँठ इसी दिन थी; जिसमें उसे मिला हुआ विशेष राज्य का दर्जा और प्रावधान वापस ले लिये गये थे। तारीख का चयन यह साबित करता है कि राम मन्दिर के निर्माण में राजनीति है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निश्चित ही एक अच्छे वक्ता, जो वह हैं भी; की तरह राम को समावेशी शासन और लोक कल्याण का प्रतीक बताया। अब सत्तारूढ़ पार्टी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे में ‘सबका विश्वास’ जीतने की आवश्यकता है; ताकि लोगों में बहुलवाद, धर्मनिरपेक्षता और सद्भाव का सन्देश जा सके। ऐसे समय में, जब कोविड-19 ने अर्थ-व्यवस्था पर करारा प्रहार किया है और सीमाओं पर अनिश्चितता की स्थिति पैदा हुई है; तब देश में एकजुटता की सख्त ज़रूरत है। यहाँ यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी लोकप्रियता का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए कर सकते हैं कि उनकी सरकार का रिकॉर्ड राम राज्य की तरह अच्छा हो। उत्तर प्रदेश में महज़ दो साल बाद 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं; साथ ही उस साल देश आज़ादी के 75 साल पूरे होने हीरक जयंती मनायेगा। अयोध्या में राम मन्दिर का निर्माण आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल के लिए अच्छा साबित हो सकता है। क्योंकि मन्दिर का निर्माण साढ़े तीन साल के भीतर होना तय है। निश्चित ही चुनावों के लिए यह एक हथियार होगा। हालाँकि चीन, पाकिस्तान और यहाँ तक कि नेपाल द्वारा भी हमारी सीमाओं पर उत्पन्न की गयी तीन-तरफा चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें एकजुट रहने की बहुत आवश्यकता है। लेकिन अर्थ-व्यवस्था दुरुस्त करने की भी तत्काल ज़रूरत है।

यह तथ्य कि मुसलमानों ने कानून के शासन का पालन किया और सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले को स्वीकार किया है; प्रशंसनीय है। भगवान राम ने सभी लोगों की सहानुभूति, करुणा और प्रेम से देखभाल की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी तमाम नागरिकों तक सद्भावना की इस डोर को पहुँचाना चाहिए, ताकि वास्तव में राम राज्य की स्थापना हो सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही कहा है कि राम हमारी विविधता में एकता का सामान्य सूत्र हैं। राम का वर्णन चीन, नेपाल और श्रीलंका में भी मिलता है। राम सबके हैं और राम सबमें हैं। अयोध्या में भव्य राम मन्दिर हमारी संस्कृति की समृद्ध विरासत का प्रतीक होगा और पूरी मानवता को प्रेरित करेगा। प्रधानमंत्री ने ज़ोर दिया कि राम का जीवन और चरित्र ही राम राज्य का रास्ता है। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने अपनी सारी प्रजा पर सामान प्रेमवर्षा की साथ ही उन्होंने गरीब और दबे-कुचलों पर खास ध्यान दिया। राष्ट्र ऐसे ही राम राज्य का इंतज़ार कर रहा है।