मनरेगा में पश्चिम बंगाल शीर्ष पर

केंद्र से 2,786 करोड़ रुपये लेने का राज्य अभी भी कर रहा इंतज़ार

महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत रोज़गार आवंटन और धन का उपयोग करने के मामले में पश्चिम बंगाल सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य बन गया है। हालाँकि जब बात धन प्राप्त करने की आती है, तो उसे अभी तक केंद्र से 2,786 करोड़ रुपये की राशि का इंतज़ार है।

बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी ने एक ट्वीट में कहा- ‘ञ्चममता बनर्जी के अनुकरणीय नेतृत्व में मनरेगा (2021-22) में काम करने वाले कुल व्यक्तियों (नियोजित) में बंगाल सभी राज्यों में पहले स्थान पर है। बंगाल सरकार ने मनरेगा के ज़रिये क़रीब 1.1 करोड़ लोगों को काम दिया। यह प्तबंगालमॉडल है, जिसका ञ्चनरेन्द्रमोदी जी केवल सपना देख सकते थे।’

पार्टी ने एक अन्य ट्विटर पोस्ट में कहा- ‘कार्य दिवस सृजन (2021-22) में बंगाल सभी राज्यों में दूसरे स्थान पर है, जिसने 36.4 करोड़ कार्य दिवस सृजित किये हैं। राज्य के 2,876 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से 31 मार्च, 2022 तक लम्बित हैं। हम अभी भी भुगतान की प्रतीक्षा कर रहे हैं और सोच रहे हैं कि क्या सरकार अधिक समय सोने और ज़हर उगलने में बिताती है।’ ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राम कृपाल यादव के हाल में राज्यसभा में उपलब्ध कराये गये आँकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने अब तक इस योजना के तहत 28.21 करोड़ से अधिक कार्य दिवस सृजित किये हैं और इसके लिए 7,335.31 करोड़ रुपये से अधिक ख़र्च किये हैं।

मंत्री ने यह जानकारी तृणमूल कांग्रेस के सदस्य मानस रंजन भुनिया के एक सवाल के जवाब में दी। उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु ने 22.17 करोड़ कार्य दिवसों के साथ दूसरे स्थान पर क़ब्ज़ा कर लिया और 5,981.75 करोड़ रुपये ख़र्च किये। आंध्र प्रदेश 18.16 करोड़ कार्य दिवसों और 5,054.17 करोड़ रुपये के फंड के साथ तीसरे स्थान पर रहा।

भाजपा शासित राज्य पीछे

भूनिया ने कहा कि गोवा, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों का प्रदर्शन प्रभावशाली नहीं रहा। गोवा को 94,000 कार्य दिवसों के साथ सूची में सबसे नीचे स्थान दिया गया है, जिसने महज़ 2.47 करोड़ रुपये ख़र्च किये हैं। गुजरात ने 2.93 करोड़ कार्य दिवस सृजित किये और 793.50 करोड़ रुपये की धनराशि ख़र्च की, जबकि उत्तर प्रदेश ने 15.6 करोड़ कार्य दिवसों का सृजन किया और 3701.54 करोड़ रुपये की धनराशि का उपयोग किया।

पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस राज्य के सीमावर्ती इलाक़ों में मनरेगा और जीएसटी बक़ाया और बीएसएफ की ज्यादतियों के मुद्दों पर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर आन्दोलन शुरू करने की तैयारी में है। लोकसभा और विधानसभा के एक-एक सीट के उपचुनाव हो जाने के बाद अब पार्टी ये विरोध-प्रदर्शन शुरू करने जा रही है। पश्चिम बंगाल में यह उपचुनाव 12 अप्रैल को हुए, जिसके नतीजे 16 अप्रैल को घोषित होने हैं। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ग़ैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी सम्पर्क करेगा और उनसे मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्रव्यापी आन्दोलन का हिस्सा बनने का आग्रह करेगा।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि यह पहल ममता बनर्जी की दीर्घकालिक योजना से प्रेरित है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी पार्टी देश में भाजपा विरोधी ताक़तों की एकता बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सके।

तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल को अभी तक भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से 2,786 करोड़ रुपये का मनरेगा बक़ाया नहीं मिला है। पार्टी ने हाल ही में केंद्र की तरफ़ से जारी एक सूची का हवाला देते हुए कहा कि पूर्वी राज्य महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत 2021-22 में 1.1 करोड़ लोगों को काम देकर रोज़गार प्रदान करने में सबसे ऊपर है और श्रम दिवस सृजित करने में दूसरे स्थान पर है।