मणिपुर में भाजपा सरकार खतरे में, कांग्रेस दावा पेश करने की तैयारी में

राजधानी इंफल में राजनीतिक गर्मी दिख रही है। मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली मिली जुली सरकार टूट की कगार पर है, और कांग्रेस सरकार बनाने का दावा पेश करने की तैयारी कर रही है। हालांकि, भाजपा की कोशिश है कि हर हालत में सरकार बचाई जाये।

जानकारी के मुताबिक गुरूवार को कांग्रेस ने घोषणा की कि पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह पार्टी के नए नेता होंगे। कांग्रेस प्रवक्ता निंगोंबम भूपेंद्र मेइतेइ ने कहा कि ”मणिपुर में नए सूरज का उदय होगा और उन्हें पूरा भरोसा है कि तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके इबोबी सिंह नए मुख्यमंत्री होंगे”।

गौरतलब है कि भाजपा के तीन और गठबंधन के उपमुख्यमंत्री सहित छह विधायकों ने भाजपा नीट सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। इससे उसकी मणिपुर सरकार खतरे में है। कांग्रेस ने कहा है कि सरकार का गिरना भगवा पार्टी के पतन का प्रतीक है। कई नेताओं के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेगी और यह ”जनता की सरकार” होगी।

मणिपुर में यदि फ्लोर टेस्ट होता है तो ११ विधायक जिनमें हाई कोर्ट से रोके गए सात  विधायक, इस्तीफा दे चुके तीन विधायक के अलावा अयोग्य ठहराए गए विधायक श्यामकुमार शामिल हैं, मतदान में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। ऐसी स्थिति में ४९ सदस्यीय विधानसभा में भाजपा नेतृत्व के गठबंधन सिर्फ २२ विधायक ही रह पाएंगे। कांग्रेस की ताकत उससे ज्यादा अर्थात २६ विधायकों की दिख रही है।

 जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है उनमें भाजपा के एस सुभाषचंद्र सिंह, टीटी हाओकिप और सैमुअल जेनदई, टीएमसी के टी रॉबिंद्रो सिंह और नैशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) के वाइ जॉयकुमार सिंह (उपमुख्यमंत्री), एन कायसी, एल जयंता कुमार सिंह, लेतपाओ हाओकिप और निर्दलीय असबउद्दीन शामिल हैं। इन सभी ने कांग्रेस को समर्थन की घोषणा की है। भाजपा से निकले तीन विधायकों ने तो कांग्रेस ज्वाइन कर ली है।

बता दें २०१७ के विधानसभा चुनाव में २८ विधायकों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी लेकिन भाजपा को २१ ही सीटें मिली थीं। उसने एनपीपी और नगा पीपल्स फ्रंट के चार विधायकों को साथ मिलाकर सरकार बनाई थी जिसमें एलजेपी, टीएमसी और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी साथ दिया था जबकि एक गैर कांग्रेसी और एक कांग्रेस विधायक टी श्यामकुमार ने भी भाजपा को समर्थन दे दिया था।

राज्यपाल  नजमा हेमतुल्ला ने इसके बाद भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि, इसके बाद कांग्रेस के सात और विधायक सनासम बीरा सिंह, गिंनसुआनहउ, ओइनाम लुखोई सिंह, गामथांग हाओकिप, सुरचंद्र सिंह, क्षेत्रीमयूम बीरा सिंह और पाओनम ब्रोजन सिंह भाजपा से जा मिले थे।

अब नए घटनाक्रम में भाजपा की सरकार खतरे में पद गयी है क्योंकि कांग्रेस ने अपने ८ पूर्व विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की याचिका दायर की थी जो आज भी विधानसभा स्पीकर के पास लंबित है। अभी तक भाजपा गठबंधन में ४० विधायक थे।  वैसे श्यामकुमार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्थिति बदल गई थी। इसी  २८ मार्च को विधानसभा स्पीकर ने उन्हें विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया। वहीं ८ जून को मणिपुर हाई कोर्ट ने सात कांग्रेस विधायकों को राज्य विधानसभा में प्रवेश करने से रोक दिया जब तक कि स्पीकर उनके खिलाफ याचिका पर फैसला न दे दें। फिलहाल मणिपुर की ४९ सदस्यीय विधानसभा में भाजपा नेतृत्व के गठबंधन सिर्फ २२ विधायक ही रह पाएंगे। कांग्रेस की ताकत उससे ज्यादा अर्थात २६ विधायकों की दिख रही है।