भेष बदलकर पुलिस कमिश्नर ले रहे थानों का जायज़ा

 

इस कोरोना-काल के संक्रमण में भी कुछ लोग पाप और अपराध करने से नहीं चूक हैं। इस महामारी में भी कई तरह की आपराधिक घटनाएँ देश के कई राज्यों के साथ-साथ महाराष्ट्र के पुणे में भी घटित हो चुकी हैं। मसलन, पुणे के पिंपरी चिंचवड के एक निजी अस्पताल में कोरोना-मरीज के जेवरात और दूसरी चीजों की चोरियों की शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। पर जहाँ शातिर अपराधी हैं, वहाँ पुलिस भी उनकी शिनाख़्त करके उन्हें सलाख़ो के पीछे पहुँचाने से पीछे नहीं हटती। कई पुलिसकर्मी और पुलिस अधिकारी तो ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त क़दम उठाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। इसके लिए उन्हें कभी-कभार भेष भी बदलना पड़ता है। हमारे देश में ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं, जिसमें पुलिस और ख़ुफिया विभाग के अफ़सरों ने भिखारी, पागल और किन्नरों तक का भेष बदलकर अपराधियों को पकडऩे के कारनामे किये हैं।

वहीं कई अफ़सर अपने विभाग की जाँच करने और अपने मातहतों की ईमानदारी और कर्मठता का जायज़ा लेने के लिए भी ऐसा करना पड़ता है। इन दिनों पुणे (महाराष्ट्र) के पिंपरी चिंचवड शहर के मशहूर पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) कुछ इसी तरह वेशभूषा बदलकर पुलिस महकमे के कामकाज का जायज़ा लेने रात में निकल रहे हैं। उनके काम को देखकर बस यही कहना होगा कि पुलिस आयुक्त हो, तो ऐसा; जो अपनी जनता की समस्याओं और पीड़ा को समझे। पुलिस कर्मचारियों के पेच कसे और गुण्डों, गिरोहबाजों, अवैध धन्धे करने वालों की नाक में नकेल डाले।

पिछले दिनों एक रात पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश रमज़ान महीने में एक मुस्लिम व्यक्ति की दाढ़ी वाली वेशभूषा बदलकर हिंजवडी, वाकड, पिंपरी पुलिस थानों में अचानक पहुँच गये। उनका साथ देने के लिए उनकी बेग़म के किरदार में एसीपी प्रेरणा कट्टे थीं। दोनों ने एक निजी कार का इस्तेमाल किया। इस रात पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने चेहरे पर नक़ली दाढ़ी, सिर पर नक़ली मेहंदी कलर के बाल लगाकर, पैर में फैशनेबल जूता, कुर्ते पर जीन्स पैंट पहनकर सिर पर नमाजी टोपी लगाकर अपने ही पुलिस थाने में जाकर मौजूदा ड्यूटी पर तैनात पुलिस वालों से उर्दू-हिन्दी लहजे में शिकायत की कि वह अपनी बेग़म के साथ खाना खाने निकले थे।

कुछ गुण्डों ने बेग़म के साथ छेडख़ानी की और क़ीमती सामान छीनकर भाग गये। हमारी शिकायत दर्ज करने की मेहरबानी करें और गुण्डों को गिरफ्तार करें। हिंजवडी और वाकड में ड्यूटी पर तैनात पुलिस वाले तुरन्त घटना स्थल पर गये। हालाँकि वहाँ कोई अपराधी नहीं मिला। लेकिन एक के मोबाइल के बारे में और कुछ संदिग्ध लोगों का पता चला। भेष बदले पुलिस कमिश्नर की एफआईआर ड्यूटी अफ़सर दर्ज करने लगे, तो पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने अपनी नक़ली वेशभूषा को हटाया। मौजूदा सारे पुलिस कर्मचारियों को झटका लगा। उनके सामने उन्हीं के पुलिस कमिश्नर और एसीपी मुस्लिम वेषभूषा खड़े हैं। किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था। फिर पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश और एसीपी प्रेरणा कट्टे इसी वेशभूषा में पिंपरी पुलिस स्टेशन पहुँचे। वहाँ उनकी कथा दूसरी थी। उन्होंने यहाँ कहा कि उनके घर का एक व्यक्ति कोरोना संक्रमण पीडि़त है। एंबुलेंस से अस्पताल पहुँचाना है।

एंबुलेंस वाले ज़्यादा रुपये माँग रहे हैं। सरेआम पीडि़त लोगों को लूट रहे हैं। उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करें और कार्रवाई करें। पिंपरी पुलिस स्टेशन में ड्यूटी पर तैनात पुलिस वालों ने कहा कि यह हमारा काम नहीं है। साथ ही उनके बातचीत करने का व्यवहार भी ग़लत पाया गया। आयुक्त पिंपरी पुलिस स्टेशन के कामकाज से नाख़ुश हुए।
पुलिस आयुक्त का वेशभूषा बदलकर पुलिस थानों के कामकाज का जायज़ा लेने के पीछे इतना ही मक़सद था कि पुलिस का आम लोगों के प्रति कैसा व्यवहार है? शिकायतकर्ताओं की शिकायतें सुनी जाती हैं या नहीं? रात के समय पुलिस किस अवतार में नजर आते हैं? सोते हैं या जागते हैं? पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने एक सम्मेलन में पुलिस वालों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि थानों में आने वाला व्यक्ति तनाव, चिन्ता और परेशानियों से भरा होता है।

वह त्रस्त होकर ही अपनी शिकायतें पुलिस थाने लेकर आता है। लेकिन जब वह पुलिस से मिलकर वापस जाए, तो चेहरे पर समाधान, सन्तुष्टि लेकर जाए। लेकिन वर्तमान में क्या पुलिस थानों में ऐसा हो रहा है? इसी का मुआयना करने रात के समय वह तीन थानों में वेश बदलकर गये थे। उन्होंने कहा कि इससे पुलिस थानों के कर्मचारियों में अपने काम के प्रति जागरूकता आयेगी। डर बना रहेगा। कामकाज में पारदर्शिता दिखायी देगी।

पुलिस आयुक्त ने कहा है कि ऐसा ही औचक निरिक्षण आगे भी होते रहेंगे। इसके आगे वह अवैध धन्धों के अड्डों, देर रात तक चलने वाले होटलों, बार आदि में ग्राहक के रूप में जाएँगे। जिन पुलिस थानों की सीमा में और थानों के अन्दर ग़लत काम पाया जाएगा, वहाँ के थानेदार नपेंगे। शहर में आपराधिक घटनाएँ शून्य (जीरो टॉलरेंस) होने के साथ 100 फ़ीसदी अवैध धन्धे, माफियागीरी, भाईगीरी बन्द होनी चाहिए। शहर में अमन-चैन बरक़रार रखना उनका एकमात्र लक्ष्य है। इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए पिंपरी चिंचवड शहर की पुलिस को जनता की सन्तुष्टि और हित के हिसाब से काम करना होगा।

उन्होंने कहा कि मेरे शब्दकोष में ग़लत काम के लिए माफ़ी नाम का शब्द नहीं है। बता दें कि जबसे कृष्ण प्रकाश पुणे के पिंपरी चिंचवड़ के पुलिस आयुक्त बने हैं, तबसे अब तक कई पुलिस निरीक्षक, कर्मचारी बरख़ास्त हो चुके हैं। कई गिरोहबाज गुण्डों पर मकोका और तड़ीपार के तहत कार्रवाई हो चुकी है। कई गिरोह और गुण्डे रडार पर हैं। अब पुलिस वालों को पुरानी खब्बूगीरी की परम्परा छोडऩी होगी और इस सख़्त पुलिस आयुक्त के ईमानदारी, कर्मठता और सच्चाई साँचे में फिट बैठना होगा।