भारत में लगा लॉक डाउन ‘बेरहम’, इसने अर्थव्यवस्था चौपट कर दी : उद्योगपति राजीव बजाज ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से बातचीत में कहा

लॉक डाउन के दौरान देश-दुनिया की बड़ी हस्तियों और विशेषज्ञों से बात करने के अपने अभियान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरूवार को देश के जाने-माने  उद्योगपति और बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक (एमडी) राजीव बजाज से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बात की। बजाज ने इस दौरान कहा कि हमारे देश में लोग सच बोलने से डरते हैं। उन्होंने मोदी सरकार के लॉक डाउन को ”बेरहम” बताया और कहा जैसा लॉक डाउन भारत में है, वैसा दुनिया में और कहीं नहीं। कहा कि इसने अर्थव्यवस्था चौपट कर दी है।

राहुल गांधी के यह पूछने कि कोविड संकट में आपके वहां क्या परिस्थिति है,  बजाज ने कहा कि हम सभी इस अनिश्चितता में कुछ निश्चितता खोजने की कोशिश कर रहे हैं। यह सभी के लिए नया अनुभव है। लेकिन यदि आप अपने आसपास व्यवसायों और जनता की स्थिति देखते हैं, तो यह निश्चित रूप से मीठे की तुलना में अधिक कड़वा है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह काफी गंभीर है। मुझे नहीं लगता कि किसी ने सोचा था कि दुनिया में इस तरह लॉकडाउन कर दिया जाएगा। मैं नहीं समझता कि विश्व युद्ध के दौरान भी दुनिया बंद हो गई थी। तब भी, चीजें खुली थीं। यह अकल्पनीय और विनाशकारी परिस्थिति है। इस पर बजाज ने जवाब दिया – ”मेरे कुछ परिवारजन और कुछ दोस्त जापान में हैं, क्योंकि कावासाकी के साथ हमारा जुड़ाव है। कुछ लोग सिंगापुर में हैं, यूरोप में बहुत सारी जगहों पर दोस्त हैं। अमेरिका, न्यूयॉर्क, मिशिगन, डीसी में करीबी दोस्त और परिवारजन हैं, तो जब आप कहते हैं कि दुनिया कभी इस तरह बंद नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से भारत में लॉकडाउन कर दिया गया है, वह एक ”ड्रेकोनियन” लॉकडाउन है। क्योंकि इस तरह के लॉकडाउन के बारे में कहीं से नहीं सुन रहा हूँ। दुनिया भर से मेरे सभी दोस्त और परिवारजन हमेशा बाहर निकलने, टहलने, घूमने और अपनी ज़रूरत की चीज़ खरीदने और किसी से भी मिलने और नमस्ते कहने के लिए स्वतंत्र हैं। इसलिए इस लॉकडाउन के सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं के संदर्भ में, वे लोग बहुत बेहतर परिस्थिति में हैं।”

इस पर राहुल ने कहा कि आपने जो कड़वी-मीठी वाली बात कही, वो मेरे लिए चौंकाने वाली है। देखिए, समृद्ध लोग इससे निपट सकते हैं। उनके पास घर है, आरामदायक माहौल है, लेकिन गरीब लोगों और प्रवासी मजदूरों के लिए यह पूरी तरह से विनाशकारी है। बजाज ने इसके जवाब में कहा – ‘मुझे शुरू से ही लगता है, यह मेरा विचार है, इस समस्या के दृष्टिकोण के बारे में में मैं यह नहीं समझता कि एशियाई देश होने के बावजूद हमने पूरब की तरफ ध्यान कैसे नहीं दिया। हमने इटली, फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका को देखा। जो वास्तव में किसी भी मायने में सही बेंचमार्क नहीं हैं। चाहे यह जन्मजात रोग प्रतिरोधक क्षमता हो से लेकर तापमान, जनसांख्यिकी, आदि हो।  वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने जो कुछ भी कहा है, वो यही है कि हमें इनकी तरफ कभी नहीं देखना चाहिए था।”

बजाज ने कहा कि यदि मेडिकल दृष्टि से देखा जाए, तो एक बेहतरीन स्वास्थ्य ढांचा स्थापित करने से शुरू करना होगा। हम सभी जानते हैं कि इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए ऐसा कोई भी चिकित्सा ढांचा नहीं हो सकता, जो पर्याप्त हो। लेकिन कोई भी हमें यह बताने के लिए तैयार नहीं कि कितने प्रतिशत लोग खतरे में हैं? यह ऐसा दिखता है कि या तो हम खुद को तैयार कर रहे हैं या शायद हम खुद को तैयार नहीं कर सकते हैं। शायद यह कहना राजनीतिक रूप से उचित नहीं है। लेकिन जैसा कि नारायण मूर्ति जी हमेशा कहते हैं, जहाँ संदेह होता है, वहां खुलासा होता है। मुझे लगता है कि हमारे यहाँ खुलासा करने और सच्चाई के मामले में कमी रह गई और फिर यह बढ़ता गया और लोगों में इतना बड़ा भय पैदा कर दिया है कि लोगों को लगता है कि यह बीमारी एक संक्रामक कैंसर या कुछ उसके जैसी है।

बजाज ने साफ़ कहा कि इस संकट काल में लॉकडाउन की वजह से देश की इकोनॉमी को बड़ा नुकसान हुआ है। बजाज ने कहा – ”हमारे यहां १०० लोग बोलने से डरते हैं, जबकि उनमें से ९० के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता। मेरे पिता की तरह बोलने का जोखिम बहुत कम लोग उठा पाते हैं। उद्योगपित भी दूध के धुले नहीं, लेकिन सभी एक जैसे नहीं होते हैं।”

मोदी सरकार के २० लाख करोड़ के ”राहत पैकेज” को बजाज ने ”प्रोत्‍साहन पैकेज” और कहा कि दूसरे देशों में पैकेज दिया जाता है, हमारे यहाँ प्रोत्साहन की बात की जा रही है। कई लोग पूछते हैं कि भारत ने आम लोगों को सीधा सहयोग क्यों नहीं दिया।

राजीव बजाज ने एक बड़ा खुलासा यह भी किया कि उन्हें उनके एक साथी ने उनसे (राहुल गांधी) से बातचीत नहीं करने की सलाह दी थी। राजीव ने यह बात तब कही जब गांधी ने मौजूदा समय में डर के माहौल का उल्लेख किया। बजाज ने कहा – ”मैंने भी किसी के साथ यह साझा किया कि मैं राहुल से बात करने जा रहा हूं और ये बातें करने जा रहा हूं। उसकी पहली प्रतिक्रिया थी, यह मत करो। मैंने कहा, लेकिन क्यों नहीं ? उसका जवाब था, मत करना, इससे आपको परेशानी हो सकती है।”
बजाज ने कहा – ”मैंने उन्हें विस्तार से बताया। मैंने कहा, हम व्यापार, अर्थशास्त्र, लॉकडाउन के बारे में बात करने जा रहे हैं। क्या करें, कैसे आगे बढ़ें, प्रौद्योगिकी, उत्पाद आदि के बारे में। वो मोटरसाइकिल पसंद करते हैं और इसलिए हम मोटरसाइकिल आदि के बारे में बात करेंगे ? अब ये बातें भी नहीं हो सकती क्या? फिर भी वो इस बात पर टिका रहा कि क्यों जोखिम लेते हो?”
भारत के लॉक डाउन को लेकर राजीब बजाज ने कहा – ”कोरोना संकट से निपटने के संदर्भ में भारत ने पश्चिमी देशों की ओर देखा और कठोर लॉकडाउन लगाने का प्रयास किया जिससे संक्रमण का प्रसार भी नहीं रुका और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) औंधे मुंह गिर गया। अर्थव्यवस्था तबाह हो गई।”
राहुल गांधी ने इस संवाद के दौरान कहा कि कोरोना संकट से निपटने के लिए शुरुआत में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और जिला अधिकारियों को शक्ति देने की जरूरत थी और केंद्र सहयोग का काम करता। उन्होंने कहा कि इस मुश्किल समय में मजदूरों, गरीबों, श्रमिकों, एमएसएमई और बड़े उद्योगों को भी मदद की जरूरत है।
बजाज ने संवाद के दौरान कहा – ”मुझे लगता है कि हमें आखिर में दोनों तरफ से नुकसान हुआ। कठोर और खामियों वाला लॉकडाउन यह सुनिश्चित करता है कि वायरस अभी भी मौजूद रहेगा। यानी आपने वायरस की समस्या को हल नहीं किया,   लेकिन निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया। संक्रमण को समतल करने के बजाय जीडीपी के ग्राफ (कर्व) को समतल कर दिया।”
राहुल गांधी के संकट से कैसे उबरें के सवाल पर बजाज ने कहा – ”हमें फिर से मांग पैदा करनी होगी, हमें कुछ ऐसा करना होगा जो लोगों के मूड को बदल दे। हमें मनोबल बढ़ाने की जरूरत है। मुझे समझ में नहीं आता है कि कोई मजबूत पहल क्यों नहीं की गई है? दुनिया के कई देशों में सरकारों ने जो (पैकेज) दिया उसमें से दो तिहाई लोगों के हाथ में गया लेकिन हमारे यहां सिर्फ १० फीसदी ही लोगों के हाथ में गया है। मुझे लगता है कि पहली समस्या लोगों के दिमाग से डर निकालने की है। इसे लेकर स्पष्ट विमर्श होना चाहिए। मुझे लगता है कि लोग प्रधानमंत्री की सुनते हैं, ऐसे में अब (उन्हें) यह कहने की जरूरत है कि हम आगे बढ़ रहे हैं, सब नियंत्रण में है और संक्रमण से मत डरिए।”