भारत-पाक मैच पर खतरे के बादल

पुलवामा की घटना के बाद सीओए ने आईसीसी के सामने दो मुद्दे उठाए हंै। पहला-मौजूदा परिस्थितियों में विश्व कप के दौरान भारतीय खिलाडिय़ों और प्रशंसकों की सुरक्षा को मज़बूत करने का मुद्दा और दूसरा आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले आईसीसी के सदस्य देशों को उसी तरह अलग-थलग करना जिस तरह रंग-भेद के मुद्दे पर दक्षिण अफ्रीका को अलग कर दिया गया था।

अगामी मई और जून में होने वाले क्रिकेट विश्व कप में भारत के सामने अभी उहोपोह की स्थिति बनी हुई है। पुलवामा की घटना के बाद अब भारत और पाकिस्तान के बीच 16 जून को होने वाले विश्व कप के मैच पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। कुछ लोगों का कहना कि पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है इसलिए उसके साथ हमारे खेल, सांस्कृतिक या फिल्मी संबंध नहीं बनाए जा सकते। इस कारण भारत को पाकिस्तान के खिलाफ नहीं खेलना चाहिए। भारत कोशिश कर रहा है कि आतंकवादी देश होने के नाते उससे आईसीसी की सदस्यता से ही निकाल देना चाहिए। यह एक बहुत बड़ा फैसला है। आईसीसी के लिए भी कोई फैसला लेना आसान नहीं होगा। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दुनिया के बाकी देश इस पर क्या रुख अपनाते हैं।

दूसरी ओर पाकिस्तान पुलवामा हमले में खुद के शामिल होने की बात से पूरी तरह इंकार कर रहा है। इतना ही नहीं बल्कि वह खुद को आतंकवाद से पीडि़त राष्ट्र बता रहा है।

 बीसीसीआई के अनुसार भारत की टीम पाकिस्तान के साथ खेलेगी या नहीं इसका फैसला भारत सरकार लेगी। यदि सरकार यह फैसला लेती है कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ नहीं खेलना है तो टीम नहीं खेलेगी। बीसीसीआई के अनुसार यदि भारत की टीम मैच नहीं खेलती है तो पाकिस्तान को उस मैच में वॉक ओवर मिल जाएगा और साथ ही मिलेंगे दो अंक। ये तोहफे में मिले दो अंक टीमों की अंतिम तालिका में बहुत महत्वपूर्ण साबित होंगे। इसके साथ विश्व कप के इतिहास में भारत पहली बार किसी मैच में पाकिस्तान को दो अंक देगा, क्योंकि पाकिस्तान इस प्रतियोगिता में कभी भारत से नहीं जीता है।

इस विश्व कप में पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, बांग्लादेश, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, और अफगानिस्तान की टीमें खेल रही हैं। राऊंड रोबिन आधार पर खेली जाने वाली इस प्रतियोगिता में हर टीम बाकी की नौ टीमों के साथ खेलेंगी। इस प्रकार राऊंड रोबिन स्तर पर ही 45 मैच खेले जाएंगे।

जैसी अपेक्षा थी बीसीसीआई ने गेंद सरकार के पाले में डाल रखी है। हालांकि बीसीसीआई एक स्वतंत्र संस्था है। पर कुछ मामलों में वह सरकार पर निर्भर रहती है, खासतौर पर विदेशी मुद्रा के मुद्दे पर। इसके अलावा विदेशों के दौरों के लिए भी उसे सरकार से राय लेनी पड़ती है। भारत और पाकिस्तान के बीच पहली टेस्ट सीरीज़ 1952-53 में खेली गई थी। अब लगभग तीन महीने का समय बचा है। देखना होगा कि इतने समय में सरकार क्या रुख लेती है। लेकिन जिस तरह के हालात बन रहे हैं और भारतीय वायुसेना ने जो ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ किया है उसके बाद ऐसा लगता नहीं कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच खेलों का, फिल्मों का या सांस्कृतिक मामलों का आदान-प्रदान होगा।

पुलवामा की घटना के बाद सीओए ने आईसीसी के सामने दो मुद्दे उठाए हंै। पहला- मौजूदा परिस्थितियों में विश्व कप के दौरान भारतीय खिलाडिय़ों और प्रशंसकों की सुरक्षा को मज़बूत करने का मुद्दा और दूसरा आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले आईसीसी के सदस्य देशों को उसी तरह अलग-थलग करना जिस तरह रंग-भेद के मुद्दे पर दक्षिण अफ्रीका को अलग कर दिया गया था। इन बातों पर आईसीसी का जवाब अभी आया नहीं है। आईसीसी के लिए यह काम इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि किसी भी देश की मांग पर दूसरे देश को निकाला जाए यह उन्हें तर्कसंगत नहीं लगेगा। खासतौर पर उन हालात में जबकि पाकिस्तान खुद को भी आतंकवाद से पीडि़त देश बता रहा है। आईसीसी का सिद्धंात है कि किसी देश,टीम या खिलाड़ी के खिलाफ भेदभावपूर्ण रवैया नहीं अपनाया जाए। इसकी बड़ी मिसाल पाकिस्तान के वे दो निशानेबाज हैं जिन्हें भारत ने वीज़ा देने से इंकार कर दिया था और इस पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ (आईओसी) ने भारत सरकार और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) पर भारी दबाव बनाया था। जहां तक क्रिकेट की बात है, भारत विश्व की सबसे शक्तिशाली टीमों में से एक है, फिर भी आईसीसी को किसी भी एक देश पर दबाव बनाने के लिए तैयार कर पाना आसान नहीं होगा।