‘भाजपा उत्तर प्रदेश में 50 से अधिक सीटें जीतेगी’

फोटो: शैलेन्द्र पाण्डेय
फोटो: शैलेन्द्र पाण्डेय

भाजपा का दावा है कि देश भर में जबर्दस्त नरेंद्र मोदी की लहर है और उनके अभियान से उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए व्यापक जनसमर्थन तैयार हुआ है. फिर भी आपको सुरक्षित सीट की तलाश करनी पड़ी. आपको अपनी पुरानी सीट गाजियाबाद छोड़कर लखनऊ क्यों आना पड़ा?

यह कहना सही नहीं होगा कि मैं लखनऊ इसलिए आया क्योंकि यह सुरक्षित सीट है. देखिए, सभी चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में कहा गया है कि गाजियाबाद भाजपा के लिए सुरक्षित सीट है. मीडिया ने इस बारे में खूब खबरें दिखाई हैं. पार्टी ने रणनीति के तहत कुछ कदम उठाए हैं. उसी के तहत ही केंद्रीय चुनाव समिति ने यह फैसला किया कि नरेंद्र मोदी पूर्वी उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ेंगे. इससे स्वाभाविक तौर पड़ोसी राज्य बिहार की भी कुछ सीटों पर असर पड़ेगा. मुझे मध्य उत्तर प्रदेश से लड़ने को कहा गया ताकि अवध और बुंदेलखंड इलाके को प्रभावित किया जा सके.

लखनऊ से पार्टी के मौजूदा सांसद लालजी टंडन के बारे में माना जा रहा है कि वे टिकट न दिए जाने से नाराज हैं. वे  प्रदेश के इकलौते वर्तमान सांसद हैं जिन्हें टिकट नहीं दिया गया.
इसमें कोई सच्चाई नहीं है. टंडन जी पूरी लगन से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. बल्कि वे तो मेरा चुनाव प्रबंधन संभाल रहे हैं. यह कहना सही नहीं होगा कि उन्हें टिकट नहीं दिया गया. उन्होंने खुद ही लोकसभा चुनाव न लड़ने की मंशा जताई थी.

लखनऊ में बड़ी मुस्लिम आबादी है. 2002 के दंगे और मोदी की छवि अभी तक लोगों के मन में छाई हुई है. उनका विश्वास जीतने के लिए आपने क्या योजना बनाई है?
हम जाति-धर्म की राजनीति नहीं करते. हम समाज के सभी वर्गों की समानता में यकीन रखते हैं, फिर चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों. मेरा विश्वास सामाजिक न्याय और मानवता की राजनीति में है और मुझे यकीन है कि इन लोकसभा चुनावों में समाज का हर वर्ग भाजपा का समर्थन करेगा.

लखनऊ में सवर्णों की आबादी भी अच्छी-खासी  है, खासतौर पर ब्राह्मणों की संख्या काफी है. लेकिन वे आपको राजपूतों का नेता मानते हैं.
मैं अपनी बात को दोहराता हूं. मैंने कभी जाति की राजनीति नहीं की. मैंने कभी किसी ऐसे लोकसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ा जहां मेरी बिरादरी के लोग बड़ी संख्या में हों.

आप अटल बिहारी वाजपेयी की उदार राजनीति के वारिस हैं जिन्होंने लगातार पांच लोकसभा में लखनऊ का प्रतिनिधित्व किया जबकि मोदी की छवि मुस्लिम विरोधी है. क्या मोदी आप पर बोझ बन जाएंगे?
गुजरात के मुसलमानों की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे अधिक है. मोदी के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार थे और सर्वोच्च न्यायालय ने उन पर लगे तमाम आरोपों को खारिज कर दिया है. उन पर जो भी आरोप लगे वे सब राजनीति से प्रेरित थे और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के दुष्प्रचार का हिस्सा हैं. जनता मोदी के खिलाफ किए गए कुप्रचार का भरपूर जवाब देगी.

आप वाजपेयी की विरासत का दावा करते हैं जो समावेशी सोच वाली है जबकि मोदी एक तानाशाह की तरह काम करते हैं, उनका खुद का एजेंडा है. क्या आपको दोनों में विरोधाभास नहीं नजर आता.
मोदी जी बहुत विनम्र और उदार हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो उन्हें 2013 में लगातार तीसरी बार गुजरात विधानसभा के चुनावों में जीत नहीं मिलती. मोदी जी के बारे में कही जा रही ऐसी तमाम बातें निराधार हैं और हमारे विरोधियों द्वारा फैलाई जा रही हैं.

एक धारणा यह भी है कि अगर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) लोकसभा चुनाव में 272 का आंकड़ा छूने में नाकाम रहता है और गठबंधन के साझेदार मोदी के नाम पर तैयार नहीं होते हैं तो आप प्रधानमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं.
इस धारणा में कोई सच्चाई नहीं है. यह हमारे विरोधियों द्वारा फैलाया गया एक और झूठ है.

कोबरापोस्ट द्वारा किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में साफ हुआ है कि 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाने में संघ परिवार और भाजपा के नेताओं की मिलीभगत सामने आई है. उस वक्त कल्याण सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे और आप उस सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. क्या आपको मस्जिद विध्वंस के षडयंत्र की जानकारी थी?
मुझे कोबरापोस्ट के खुलासों के बारे में कुछ नहीं कहना है. मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि जब भी चुनाव करीब होते हैं तब तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल ऐसी सांप्रदायिक चालें चलते हैं. कांग्रेस और अन्य तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल चुनाव के पहले मतों के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं.

सभी जातियों और सामाजिक समूहों के राज्य कर्मियों, जिनमें अन्य पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम और सवर्ण भी शामिल हैं, ने सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में अनुसूचित जातियों को आरक्षण दिए जाने के खिलाफ एकजुटता दिखाई है. सपा ने राज्य सभा में इस विधेयक का विरोध किया था जबकि आपकी पार्टी ने समर्थन.
दिल्ली में सरकार बनने दीजिए. भाजपा सरकार इस मसले का ऐसा हल निकालेगी जो समाज के सभी वर्गों को स्वीकार्य होगा.

इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश से क्या उम्मीद है?
यहां चुनाव परिणाम उम्मीद से परे रहेंगे. भाजपा उत्तर प्रदेश में 50 से अधिक सीटें जीतेगी.