भाग-2 फर्जी डॉक्टर

अस्पतालों और फर्जी डॉक्टरों पर नकेल कसने का समय

‘तहलका’ की इस जाँच रिपोर्ट (भाग-2) से पता चलता है कि कैसे अस्पताल विदेशी मेडिकल स्नातकों को कम वेतन पर नियुक्त करते हैं और अनिवार्य एफएमजीई पास करने में उनकी विफलता को नजरअंदाज कर दिया जाता है। रिपोर्ट के इस दूसरे भाग में ‘तहलका’ ने ऐसे और छात्रों का भंडाफोड़ किया है, जिन्होंने पाकिस्तान और रूस से एमबीबीएस किया है और एफएमजीई परीक्षा पास किये बिना भारत में डॉक्टरी की प्रैक्टिस कर रहे हैं। इस बार की जाँच पाकिस्तान के मेडिकल कॉलेजों द्वारा नकली डॉक्टर बनाने तक की गयी है। पढ़ें तहलका एसआईटी की आगे की रिपोर्ट :-

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‘पाकिस्तान में चिकित्सा शिक्षा का स्तर काफी ऊँचा है। मुझे वहाँ मेडिकल परीक्षा पास करना मुश्किल लगा। मैंने 2020 में फातिमा जिन्ना मेडिकल यूनिवर्सिटी (लाहौर), पाकिस्तान से एमबीबीएस पूरा किया और 2021 में मैंने सर गंगा राम अस्पताल, लाहौर से इंटर्नशिप की। उसके बाद 22 अप्रैल को मैं कश्मीर लौटी और 22 जून से कश्मीर के एक निजी अस्पताल में काम कर रही हूँ।‘ यह शब्द हैं सादिया खान (बदला हुआ नाम) के, जो कश्मीर की रहने वाली हैं। ‘तहलका’ से फोन पर बात करते हुए सादिया ने बताया कि पाकिस्तान से एमबीबीएस करने के बाद वह भारत लौटीं। उन्होंने स्वीकार किया कि विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा (एफएमजीई) परीक्षा उत्तीर्ण किये बिना, जो सभी विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए अनिवार्य है, उसने कश्मीर के एक निजी अस्पताल में प्रैक्टिस शुरू कर दी।

पिछले अंक में हमने खुलासा किया था कि हर साल विदेशी विश्वविद्यालयों से मेडिकल डिग्री वाले हजारों भारतीय एफएमजीई परीक्षा में बैठते हैं। राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) की तरफ से आयोजित स्क्रीनिंग टेस्ट और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (पूर्व में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) द्वारा इन स्नातकों के लिए अनिवार्य की गयी यह परीक्षा भारत में प्रैक्टिस हेतु उनकी योग्यता का आकलन करने के लिए आयोजित की जाती है। रूस, यूक्रेन, चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों के विदेशी मेडिकल स्नातकों को एफएमजीई पास करने के बाद ही भारत में अभ्यास करने की अनुमति दी जाती है। हालाँकि अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड के एमबीबीएस स्नातकों को परीक्षा देनी जरूरी नहीं है।

सादिया खान ने पाकिस्तान से एमबीबीएस किया है। पाकिस्तान उस सूची में आता है, जहाँ से एमबीबीएस करने के बाद एक भारतीय छात्र को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए एफएमजीई परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है। कह सकते हैं कि सादिया खान एफएमजीई क्लियर किये बिना पिछले आठ महीने से कश्मीर के एक निजी अस्पताल में अवैध रूप से काम करके लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही है। जब देश 2023 का स्वागत करने के लिए कमर कस रहा था, तब सीबीआई कई राज्य चिकित्सा परिषदों और विदेशी मेडिकल स्नातकों के खिलाफ अपनी जांच के सिलसिले में देश भर में 91 स्थानों पर छापेमारी के अलावा तलाशी ले रही थी, जिन्हें अनिवार्य परीक्षा उत्तीर्ण किये बिना भारत में अभ्यास करने की अनुमति दी गयी थी।

एजेंसी ने अनिवार्य एफएमजीई परीक्षा उत्तीर्ण किये बिना भारत में मेडिकल प्रैक्टिस कर रहे 14 राज्य चिकित्सा परिषदों और 73 विदेशी चिकित्सा स्नातकों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, जालसाजी और धोखाधड़ी के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सूचित किया था कि 2011-22 के दौरान रूस, यूक्रेन, चीन और नाइजीरिया जैसे देशों से एमबीबीएस करने वाले 73 ऐसे मेडिकल स्नातकों ने यह जरूरी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है; लेकिन इसके बावजूद विभिन्न राज्य चिकित्सा परिषदों से पंजीकरण प्राप्त किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सीबीआई को भेजी गयी एक शिकायत में कहा गया है कि अयोग्य व्यक्तियों द्वारा इस तरह की धोखाधड़ी और फर्जी पंजीकरण नागरिकों के स्वास्थ्य और भलाई के लिए हानिकारक होगा। उसके मुताबिक, इसका स्वास्थ्य क्षेत्र में अंतर-राज्य स्तर पर असर संभावित है।

इस रिपोर्ट के पहले खुलासे में ‘तहलका’ ने एक बिचौलिये का पर्दाफास किया था, जिसने रिकॉर्ड पर स्वीकार किया कि वह पेपर लीक और अन्य अनुचित तरीकों से छात्रों को एफएमजीई परीक्षा पास कराने के धंधे में शामिल है और इसके लिए उसने पैसे लिये। इस खुलासे में एक छात्र भी शामिल था, जिसने स्वीकार किया कि एफएमजीई परीक्षा में असफल होने के बावजूद उसने न केवल एक निजी अस्पताल में प्रैक्टिस की, बल्कि दिल्ली के अन्य अस्पतालों में भी रोजगार के विकल्प तलाशता रहा। इस भाग-2 में पहले भाग की तरह हम उनके करियर पर इसके सम्भावित प्रभाव को देखते हुए उनकी पहचान का खुलासा नहीं करेंगे। इस जांच के समय तक इन छात्रों ने एफएमजीई परीक्षा पास नहीं की थी। लेकिन कुछ अस्पतालों में मेडिसिन का अभ्यास कर रहे थे, जिनमें से कई का लक्ष्य दिल्ली के किसी अस्पताल में नियुक्ति पाना है।

भाग-1 में हमने सिराज (बदला हुआ नाम) का पर्दाफास किया, जिसने हमें सादिया खान के बारे में बताया; जिसने पाकिस्तान से एमबीबीएस किया है और अब एफएमजीई पास किये बिना कश्मीर के एक अस्पताल में काम कर रही है। सिराज ने हमें बताया कि उसने भी उसी अस्पताल में काम किया था और अब दिल्ली में नौकरी की तलाश कर रहा है। सिराज ने यह भी बताया कि उसने दिल्ली में नियुक्ति के लिए सादिया के नाम लड़की की भी सिफारिश की और हमें उसका नंबर भी दिया। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने सादिया से फोन पर बात की और खुद को एफएमजीई परीक्षा पास किये बिना दिल्ली में नौकरी दिलाने वाला बताया। सादिया ने ‘तहलका’ को बताया कि जिन छात्रों ने पाकिस्तान से एमबीबीएस किया है, उन्हें एफएमजीई परीक्षा में शामिल होने के लिए भारत सरकार से मंजूरी की जरूरत है। चूँकि उसने पाकिस्तान से एमबीबीएस किया है, इसलिए वह पिछले एक साल से एफएमजीई परीक्षा में शामिल होने के लिए भारत सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रही है।

रिपोर्टर : ओके। दूसरा, आपने ये एनएमसी एग्जाम क्यों नहीं क्लियर किया?

सादिया : सर! उसके लिए हम वेट कर रहे हैं रजिस्ट्रेशन के लिए; क्लीयरेंस, वो वेरिफिकेशन होती है ना! वो वेरिफिकेशन गवर्नमेंट ने फिलहाल के लिए बंद कर रखी है; …उसी का वेट कर रहे हैं। वो हो जाती है, तो एनएमसी दे सकती हूँ।

रिपोर्टर : वेरिफिकेशन मतलब पर्सनली आपकी?

सादिया : सब बच्चों की। होता क्या था… पहले तो 2-3 दिन में वेरिफिकेशन हो जाता था; पर पाकिस्तानी के लिए तो ज्यादा ही कुछ कर रखा है।

रिपोर्टर : आपको क्या लगता है… एनएमसी में आपको क्लीयरेंस नहीं देगी इंडियन गवर्नमेंट?

सादिया : जी सर! मेरा एक फ्रेंड है, xxxxx उसका नाम है। उसे अभी एनएमसी दिया है।

रिपोर्टर : xxxxx भी पाकिस्तान से करके आये हैं?

सादिया : जी-जी सर! और उसका एक्सपीरियंस बहुत अच्छा है। उसने वहाँ पर किया है इंटर्नशिप, उसके बाद वहाँ पर एक कार्डियो हॉस्पिटल में एक साल काम किया है।

रिपोर्टर : उसने कब दिया एमसीआई?

सादिया : उसने कल दिया, कल उसका पेपर था।

रिपोर्टर : xxxxx को कैसे अनुमति मिल गयी एमसीआई परीक्षा देने की?

सादिया : सर! में वही तो बोल रही हूँ, ये जो लोगों ने मिथ बना रखा है दिमा$ग में कि ये जो पाकिस्तानी बच्चे हैं, जिन्होंने वहाँ एमबीबीएस किया है; उनको यहाँ क्लीयरेंस नहीं मिल रही है। …ये सब झूठ है। मिल रही है; पर ये सब स्लो प्रोसेस है।

रिपोर्टर : क्लीयरेंस कहाँ से लेनी पड़ती है? कश्मीर में ऑफिस

है इसका?

सादिया : सर! क्लीयरेंस दिल्ली से शुरू हो जाती है, …वहाँ से कश्मीर आती है; फिर वहाँ से वापस दिल्ली चली जाती है।

सादिया ने कहा कि उसने 2020 में फातिमा जिन्ना मेडिकल यूनिवर्सिटी, लाहौर, पाकिस्तान से एमबीबीएस किया है और पाकिस्तान के सर गंगा राम अस्पताल लाहौर में इंटर्नशिप पूरी करने के बाद वह कश्मीर, भारत लौट आयी। तब से वह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) में पंजीकृत हुए बिना कश्मीर के एक निजी अस्पताल में काम कर रही है। अब वह दिल्ली में नयी नौकरी की तलाश कर रही है। एनएमसी में पंजीकृत हुए बिना काम करना सादिया का ‘तहलका’ के सामने अपने अपराध का खौफनाक कुबूलनामा है।

रिपोर्टर : आपने छोड़ दिया xxxxx अस्पताल श्रीनगर से?

सादिया : सर! वहां पर हफ्ते में एक दिन जाती हूँ। ओनली मंडे, डे एंड नाइट के लिए। बीच में छोड़ दिया था, तो उनको रेजिडेंट्स कम पड़ गये थे उन्होंने बोला आप यहाँ पर एक दिन दे दो, …सोमवार या मंगलवार; तो में सोमवार दिन और रात दे देती हूँ। ह$फ्ते में एक दिन बस।

रिपोर्टर : ठीक है। अच्छा, मुझे थोड़ा-सा ब्रीफ कर दीजिए अपने बारे में। क्योंकि आपसे बहुत पहले बात हुई थी; तो थोड़ा आप बता देंगी, तो मैं बता दूँगा उन्हें आपके बारे में।

सादिया : जी-जी; उनको बस यही बताइएगा कि इसने…पाकिस्तान लाहौर से एमबीबीएस किया है फातिमा जिन्ना मेडिकल यूनिवर्सिटी और उधर भी जो गंगा राम है, वहाँ उसकी हाउस जॉब हुई है। लाहौर का गंगा राम हॉस्पिटल, …हाउस जॉब के बाद मेरा आठ महीने का एक्सपीरियंस है प्राइवेट हॉस्पिटल का। और हाउस जॉब मतलब इंटर्नशिप भी कम्प्लीट है।

रिपोर्टर : आपका आठ महीने का एक्सपीरियंस xxxxx अस्पताल श्रीनगर का है?

सादिया : हाँ; वो xxxxx हॉस्पिटल श्रीनगर में, वहाँ से आके मैंने xxxx हॉस्पिटल ज्वाइन कर लिया था।

रिपोर्टर : अभी भी आप वीक में एक दिन वहाँ जाती हैं?

सादिया : जी-जी; वीक में एक बार। …वैसे उनको मैंने बोल दिया है कोई और रेजिडेंट उनको मिल जाएगा, तो मैं छोड़ दूँगी।

रिपोर्टर : कितनी सैलरी ड्रा कर रही हैं आप?

सादिया : जी, जब में वहाँ दो दिन करती थी, तो वो मुझे 35के (35 हजार) तक दे देते थे। …एकमोडेशन, कैंटीन वगैरह सब वहीं होता था।

रिपोर्टर : वीक में दो दिन थीं आप वहाँ?

सादिया : मैं टू डेज किया करती थी नाईट नहीं; लेकिन आजकल में करती हूँ 24 घंटे, दिन और रात।

रिपोर्टर : ओके।

सादिया : इस बार मैंने इस महीने से शुरू किया था, …जिसका पर डे वो मुझे 3,000 देंगे पर डे का, मतलब 3,000-3,500 …जितने मेरे डेज बनेंगे, उसके हिसाब से वो मुझे दे देंगे।

रिपोर्टर : अभी आप कितना ड्रा कर रही हैं… इन अ मंथ?

सादिया : अभी उन्होंने मुझे डे के हिसाब से दिया है। उन्होंने कहा है, जितने दिन आप हमें दोगी, मतलब डे एंड नाइट मिलाकर। …डे एंड नाईट मिलाकर उन्होंने मुझे 35के (35 हजार) किया हुआ है, एकोमोडेट।

अब सादिया ने एफएमजीई पास किये बिना कश्मीर के एक निजी अस्पताल में काम करते हुए और इस प्रक्रिया में मानव जीवन को खतरे में डालकर उन जिम्मेदारियों को समझाया, जो वह सँभाल रही हैं।

रिपोर्टर : अभी रिस्पॉन्सिबिलिटी आपकी xxxx हॉस्पिटल में क्या है सादिया जी?

सादिया : सर! रिस्पॉन्सिबिलिटीज तो वहाँ पर जितनी भी ओपीडी आती हैं ना! …हमारी डे एंड नाईट जो ओपीडी आती हैं, उन्हें रन करते हैं, साथ में हम एडमिट करते हैं पेशेंट्स को, वो वर्क आउट करते हैं। …प्री ओपीडी, फिर राउंड्स करते हैं। …जिन पेशेंट्स में कॉम्प्लिकेशंस आते हैं, फिर उन्हें ट्रीट करते हैं। वहाँ गायनी के पेशेंट्स बहुत होते हैं, ये सर्जरीज हुई, मेजर-माइनर सर्जरीज होती हैं; लैब…डक्टिंग एक्सेट्रा वगैरह में तो प्री और पोस्ट फॉलोअप हम कर लेते हैं। जैसे वो आ गये, एडमिट होंगे, उनके जो भी टेस्ट करने होंगे, वो हम करवा देते हैं। उनकी फाइल बनाएँगे, उनकी हिस्ट्री ले लेंगे। फिर उसके बाद पोस्टअप के बाद नोट्स बनाएंगे, हम एग्जामिनेशन करेंगे; कोई कॉम्प्लिकेशन आती है, वो हम कर लेते हैं डील।

रिपोर्टर : अच्छा आप किसी सीनियर डॉक्टर के साथ xxxx अस्पताल में रहती हैं या इंडिपेंडेंटली करती हैं?

सादिया : सर! ओपीडी तो इंडिपेंडेंटली डील करती हूँ, यहाँ पे कश्मीर में हॉस्पिटल्स में कंसल्टेंट जो होते हैं, वो अपना इंडिविजुअल डील कर लेते हैं। उन्हें पेशेंट्स को एडमिट भी करना है, सर्जरीज भी करनी है; इंडिविजुअली करते हैं। लेकिन जो उनकी ओपीडी होती है, अपनी हॉस्पिटल में चाहिए, वो ट्रॉमा केस होगा। अगर हमसे वो हो सकता है, तो हम कर लेंगे। नहीं तो हम…कर लेते हैं अकेले भी रन कर लेते हैं विदाउट कंसल्टेंट।

रिपोर्टर : अच्छा आप स्वतंत्र रूप से मरीजों को हैंडल कर लेती हैं?

सादिया : जी-जी सर! आपके पास क्या ही आता है; …इमरजेंसी में कोई पेशेंट पेन के साथ आएगा, कोई ट्रॉमा का होगा, कोई ड्रेसिंग के लिए आएगा, कोई गैस्ट्रिक पेन के साथ आएगा, उन चीजों को डील करना इतना मुश्किल नहीं है।

रिपोर्टर : मेडिसिन वगैरह आप ही प्रिस्क्राइब करती हैं उनको?

सादिया : हाँ; मान लो कोई हाई बीपी पेशेंट आएगा, ..उसका सिस्टर बीपी देखेगी। हायर बीपी की भी तीन चीजें होती हैं, …एक तो बहुत हाई आएगा, एक मिड में और एक बिलकुल दवा से ठीक हो जाएगा; वो चीजें आती हैं डील करना। अगर इतना कोई इश्यू नहीं है तो।

रिपोर्टर : ठीक है। अभी डेजिग्नेशन क्या है आपकी, xxxxx हॉस्पिटल में?

सादिया : सर! आरएमओ हूँ मैं, …रेजिडेंट डॉक्टर।

रिपोर्टर : रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर?

सादिया : हाँ, रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर।

रिपोर्टर : और कितना टाइम हो गया आपको, आठ मंथ्स?

सादिया : जी सर! मैने जून में किया था ज्वाइन, …जून से लेकर अभी तक…।

रिपोर्टर : जून 2022?

सादिया : जी सर!

अब, सादिया उन जिम्मेदारियों के बारे में बताती हैं, जिन्हें वह दिल्ली के एक अस्पताल में नौकरी मिलने की सूरत में सँभाल सकेंगी।

रिपोर्टर : आप यहाँ क्या रिस्पॉन्सिबिलिटी लेना चाहती हैं। दिल्ली के हॉस्पिटल्स में?

सादिया : सर! दिल्ली में तो बहुत बड़े बड़े हॉस्पिटल्स होते हैं वार्ड्स में; …पेशेंट्स भी एडमिट करने होंगे तो करेंगे। उधर का तो मुझे पता ही नहीं है किस तरह होता है। …बट मेरी फ्रेंड्स जो करती हैं, बताती हैं…काफी सीनियर डॉक्टर यहाँ होते हैं। का$फी रश होता है, फिर वार्ड्स में जाना पड़ता है, फिर नोट्स बनाने पड़ते हैं, फिर राउंड्स करवाना पड़ता है, कंसल्टेंट को। सर! वो चीज भी आ जाती हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें पाकिस्तान और भारत में दी जाने वाली चिकित्सा शिक्षा के बीच कोई अंतर दिखायी देता है? सादिया ने कहा कि पाकिस्तान में चिकित्सा शिक्षा के मानक उच्च हैं; लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उनका यह मतलब नहीं है कि यह भारत से बेहतर है।

रिपोर्टर : तो पाकिस्तान या इंडिया की मेडिकल की पढ़ाई में आपने क्या डिफरेंस पाया सादिया जी?

सादिया : सर! उधर का मेडिकल बहुत अच्छा है।

रिपोर्टर : मतलब पाकिस्तान का ज्यादा अच्छा है?

सादिया : मतलब मुझे वहाँ ज्यादा मुश्किल लगा पास करना, …और फिर जब यहाँ सेलेक्ट हुए ही नहीं, तो हम तो यही बोलेंगे ना! यहाँ इतना कॉम्पिटिशन है, और कश्मीरियों के लिए, शायद आपको बुरा लगे…सीट्स कम हैं। हम बस ऐवई हैं। कश्मीर के हिसाब से मुझे पाकिस्तान की पढ़ाई मुश्किल लगी, …शायद हालात ऐसे हैं कश्मीर के इसलिए।

एनएमसी के साथ पंजीकृत हुए बिना एक अस्पताल में प्रैक्टिस करके सादिया साबित करती हैं कि वह मरीजों के स्वास्थ्य के साथ कितना खिलवाड़ कर रही हैं। इसी तरह की स्वीकारोक्ति पिछली रिपोर्ट में सिराज ने की थी, जिसने दिल्ली में नौकरी के लिए सादिया का नाम प्रस्तावित किया था। और अब भाग-2 में वह कहता है कि उसके पास स्वयं सहित चार और गैर-एनएमसी पंजीकृत डॉक्टर हैं, जो दिल्ली में नौकरी की तलाश कर रहे हैं। इनमें से दो ने पाकिस्तान से एमबीबीएस किया है।

सिराज : उनको कितने डॉक्टर्स चाहिए?

रिपोर्टर : कम-से-कम मान के चलें, 10-12…।

सिराज : अगर नॉन-एमसीआई माँगेंगे, …मेरे पास 4 रेडी हैं।

रिपोर्टर : रेडी हैं? …दिल्ली में हैं?

सिराज : वो रेडी हैं आने के लिए। एक्सपीरियंस है, इंटर्नशिप सब है।

रिपोर्टर : कहीं काम भी कर रहे हैं?

सिराज : एक तो कर रही है यहाँ…श्रीनगर में, एक-डेढ़ महीना हो गया।

रिपोर्टर : कर रही है। लेडी है?

सिराज : मैंने भी वहाँ 15 दिन काम किया, दो लेडी हैं, एक और लड़का है मेरा और एक मैं। हम चार हैं। दोनों लड़कियों ने पाकिस्तान से किया है।

रिपोर्टर : अच्छा, लड़कियाँ दोनों पाकिस्तान की हैं?

सिराज : हाँ, और हम दोनों बांग्लादेश से।

रिपोर्टर : और चारों (ऑल 4) नॉन-एमसीआई?

सिराज : हाँ।

रिपोर्टर : ये तीनों लोग कहाँ हैं नॉन-एमसीआई वाले?

सिराज : वो कश्मीर में हैं।

रिपोर्टर : काम कर रहे हैं सब?

सिराज : नहीं-नहीं; एक काम कर रहा है।

रिपोर्टर : फरजाना (बदला हुआ नाम)?

सिराज : दूसरी सादिया।

रिपोर्टर : दूसरी का क्या नाम बताया आपने? फरजाना, सदिया काम कर रही है। सादिया भी पाकिस्तान से है, कहाँ से है?

सिराज : हम्म; लाहौर, जहाँ मैं करता था ना काम, मुझे वहीं पर मिली, xxxx कश्मीर में।

अब सिराज ने कुछ डॉक्टरों के बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिन्होंने पाकिस्तान से एमबीबीएस किया है और एफएमजीई परीक्षा पास किये बिना फरीदाबाद के एक अस्पताल में काम कर रहे हैं। हालाँकि ‘तलहका’ सिराज के किये दावे की पुष्टि नहीं करता है।

रिपोर्टर : पाकिस्तान भी काफी लोग आते हैं?

सिराज : पाकिस्तान के नॉन-एमसीआई… xxxxx हॉस्पिटल ये जो मैंने आपको बताया फरीदाबाद में, 10-15 लोग वहाँ पर काम कर रहे हैं।

रिपोर्टर : पाकिस्तान के डॉक्टर्स?

सिराज : जी हाँ; ये जो मैं बता रहा था दो लड़कियाँ, इन्हीं के फ्रेंड्स, इन्हीं के सीनियर्स।

रिपोर्टर : पाकिस्तान से करके आये हैं?

सिराज : यही तो मसला है ना, इनको क्लीयरेंस ही नहीं देते। मतलब 100 लोग अगर अप्लाई करेंगे क्लीयरेंस के लिए, 10 को मिलती है। क्लीयरेंस सिर्फ बैठने के लिए एमसीआई में, पास तो बाद की बात है।

रिपोर्टर : ये जो xxxx में काम कर रहे हैं, कितने हैं वो?

सिराज : बहुत हैं वो। वो क्या पॉलिटिकल इश्यू है।

रिपोर्टर : कश्मीर के होंगे सारे लोग?

सिराज : हाँ; काफी कश्मीर के हैं।

रिपोर्टर : पाकिस्तान में कहाँ से करे हुए हैं सारे लोग, लाहौर?

सिराज : डिफरेंट जगह से करते हैं। लाहौर है, कराची है। इस्लामाबाद।

रिपोर्टर : ये वहाँ बताते ही नहीं होंगे नॉन-एमसीआई हैं, हॉस्पिटल नहीं बताता होगा?

सिराज : हॉस्पिटल नहीं बताता। प्राइवेट में चल जाता है।

रिपोर्टर : आपको जानते हैं ये लोग जो xxxxx में काम कर रहे हैं?

सिराज : इनसे ऐसे ही रैंडमली बात हुई।

यह पूछे जाने पर कि अगर वह भविष्य में भी एफएमजीई परीक्षा पास करने में विफल रहते हैं, तो वह भारत में मेडिकल प्रैक्टिस कैसे करेंगे? सिराज ने कहा कि वह भारत में कुछ जुगाड़ करके प्रैक्टिस करेगा या देश छोड़ देगा।

रिपोर्टर : अगर एमसीआई कभी क्लियर हुआ ही नहीं किसी का, तो कैसे प्रैक्टिस करेगा?

सिराज : ऐसे ही सब जुगाड़ करके करते हैं सब, या फिर बाहर चले जाते हैं।

यह आपके लिए सिराज और सादिया थे। क्रमश: ढाका और पाकिस्तान से एमबीबीएस करके, मानव जीवन को जोखिम में डालकर एफएमजीई पास किये बिना भारत में मेडिकल प्रैक्टिस कर रहे हैं। ‘तहलका’ फिर एक अन्य छात्र राजेश शर्मा (बदला नाम), जिसने स्टावरोपोल, रूस से एमबीबीएस किया है, और कई प्रयासों के बाद भी एफएमजीई परीक्षा में असफल होने के बावजूद भारत में अभ्यास कर रहा है, से मिला। ‘तहलका’ जांच के समय, राजेश 20 जनवरी, 2023 को आयोजित अंतिम एफएमजीई परीक्षा में भी फेल हो गया था। हम राजेश से ऐसे लोगों के रूप में मिले, जो उसे डॉक्टर की नौकरी दिलवा सकते हैं।

रिपोर्टर : कहाँ के रहने वाले हैं आप?

राजेश : मध्य प्रदेश का, …जबलपुर।

रिपोर्टर : कहाँ से किया आपने एमबीबीएस?

राजेश : रूस से, …स्टावरोपोल।

रिपोर्टर : स्टावरोपोल, …रूस में कोई जगह है?

राजेश : हाँ-हाँ; है ना।

रिपोर्टर : कब किया एमबीबीएस?

राजेश : 2013 में सर!

रिपोर्टर : 2013 में कम्प्लीट किया आपने?

राजेश : 2013 में कंप्लीट करके आया, 2014 से एग्जाम दे रहा हूँ।

रिपोर्टर : कौन-सा एग्जाम?

राजेश : अपना जो फॉरेन मेडिकल का एग्जाम जो होता है।

रिपोर्टर : एमसीआई का?

राजेश : जी-जी।

रिपोर्टर : अभी क्लियर नहीं किया?

राजेश : अभी क्लियर नहीं किया, दे रहा हूँ। इस बार शायद हो जाए।

रिपोर्टर : अभी आप एमसीआई में रजिस्टर्ड नहीं हैं?

राजेश : नहीं; नहीं हैं।

रिपोर्टर : कितने साल का था ये एमबीबीएस?

राजेश : सिक्स (6) इयर्स।

राजेश ने कैमरे के सामने कुबूल किया कि एफएमजीई परीक्षा पास किये बिना उसने उत्तर भारत के कई प्रतिष्ठित अस्पतालों में काम किया है।

राजेश : मैंने ऐज अ डॉक्टर xxxx हॉस्पिटल में काम किया है, सीसीयू में, ये रायपुर में है सर!

रिपोर्टर : मध्य प्रदेश। ओह छत्तीसगढ़?

राजेश : जी।

रिपोर्टर : वहाँ पर कितने साल काम किया?

राजेश : वहाँ पर एक साल काम किया।

रिपोर्टर : किस जगह पर?

राजेश : सीसीयू में।

रिपोर्टर : सीसीयू मतलब?

राजेश : कार्डियक केयर यूनिट, …कार्डियक सर्जरी होती थी सर वहाँ पर। आईसीयू के पेशेंट्स होते हैं ना सर! वो सीसीयू में आते हैं। उनको सीसीयू बोलते हैं। तो वहीं पर मैंने सर काम किया है।

रिपोर्टर : रायपुर में?

राजेश : जी।

रिपोर्टर : ये एमबीबीएस करने के बाद रशिया से?

राजेश : जी, मैं आपको फाइल सेंड कर देता हूँ। …उसके बाद सर मैं यहाँ पर आया, …ऐसे ही टेम्पररी जॉब कर रहा था।

रिपोर्टर : कहाँ दिल्ली?

राजेश : लेकिन उसका सर मेरे पास ये नहीं है एक्सपीरियंस, …एक्सपीरियंस नहीं है। दिल्ली में ही मैं जो पार्ट टाइम जॉब कर रहा था ना! उसका कोई एक्सपीरियंस तो कोई देता नहीं है। आपको तो पता ही है।

रिपोर्टर : नहीं, xxxxx का है आपको एक्सपीरियंस?

राजेश : xxxxx का मिल जाएगा सर आपको और xxxxx का मिल जाएगा। ..xxxx अभी तो मैं यहाँ कर ही रहा हूँ। जब छोड़ूँगा, तब मिलेगा।

रिपोर्टर : xxxx के बाद आपने कहाँ किया?

राजेश : xxxx में, न्यूरो का जो हॉस्पिटल है। …हाँ वहाँ फोर मंथ्स काम किया है। मैंने कोविड के टाइम पर, ऐज ऐन आरएमओ।

रिपोर्टर : आरएमओ, रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर?

राजेश : जी।

रिपोर्टर : कब से कब तक?

राजेश : डेट तो मुझे याद नहीं है, …लास्ट ईयर कोविड के टाइम।

रिपोर्टर : फिर छोड़ क्यों दिया?

राजेश : सर! फिर मुझे कोविड हो गया।

रिपोर्टर : अब ठीक हैं आप?

राजेश : हाँ; अब तो ठीक हूँ। उसके बाद मैं घर गया, जॉब छोड़ने के बाद मैं घर गया, घर जाने के बाद फिर ड्रग्स लिया अपनी…उसके बाद मैं वापस आया हूँ अभी 2-3 महीने ही हुए हैं।

राजेश ने अब खुलासा किया कि एफएमजीई परीक्षा पास किये बिना वह दिल्ली में केंद्र सरकार की परियोजना में काम कर रहा है, अन्य डॉक्टर के स्थान पर, जिसने इस्तीफा दे दिया है और कहीं और शामिल हो गया है; लेकिन उसने उसे सब्सिट्यूट करने का अनुरोध किया है।

रिपोर्टर : ये cxxxx vxxxx का जॉब आपका परमानेंट नहीं है?

राजेश : नहीं है। मैं जब चाहे छोड़ सकता हूँ, क्योंकि मैं एक बंदे की जगह भी जाता हूँ, समझे आप?

रिपोर्टर : नहीं।

राजेश : आपकी जॉब है कहीं परमानेंट, आप बोले भाई मेरे जगह चले जा आज। …आपका जो आउनर है मैंने उससे बात कर ली कि आज में आ जाऊँगा। आपके आउनर ने बोला ठीक है आज आप चले जाएँ। मैं चला गया वहाँ पे।

राजेश : cxxxx vxxxx में किसी और की ड्यूटी है, वो छोड़ दिया है cxxxx vxxxx को…उसने छोड़ दिया है उसे xxxxx ज्वाइन कर लिया है गुड़गाँव में। उसकी सैलरी भी अच्छी-खासी है वहाँ पे, वो बोल रहा है तू यहाँ सेट हो जा, कहाँ? cxxxx vxxxx में। मैंने कहा ठीक है। जब मेरे पास है ही नहीं कोई जॉब, मैंने कहा ठीक है मैं कर लेता हूँ। तो मैं कर रहा हूँ cxxxx vxxxx में। cxxxx vxxxx का जो एडवाइजर है, इनका बॉस; मतलब मेडिकल वालों का बॉस होता है, वो बोला नहीं उनको भेजो, जो पहले डॉक्टर थे उनको भेजो।

रिपोर्टर : तो उन्होंने तो नौकरी छोड़ दी।

राजेश : हाँ; उन्होंने तो नौकरी छोड़ दी है। लेकिन वो अब इनके कहने पर जा रहे हैं, अब ऑफिशियली मैं हूँगा वहाँ पे। लेकिन वो मेरे कारण वहाँ जाते हैं, बस कभी-कभी, बाकी टाइम मैं ही करता हूँ।

अब राजेश कुछ डॉक्टरों के आउटसोर्सिंग कारोबार के बारे में बताता है। इसमें साइट पर काम करने वाले मजदूरों की स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतों के लिए बड़ी निर्माणाधीन सरकारी और निजी परियोजनाओं को लेने वाले लाइसेंस प्राप्त डॉक्टर शामिल हैं। पंजीकृत डॉक्टर, जो कार्यस्थल पर किसी दुर्घटना में श्रमिकों के घायल होने पर उनका इलाज करने और उन्हें फिटनेस प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, उनके जैसे गैर-पंजीकृत डॉक्टरों के माध्यम से अपना काम आउटसोर्स करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि वह केंद्र सरकार की ऐसी परियोजना का हिस्सा हैं। पंजीकृत डॉक्टरों बड़ी राशि पर इन परियोजनाओं के लिए लिए जाते हैं, जो बदले में गैर-एनएमसी डॉक्टरों को बहुत कम वेतन पर नियुक्त करते हैं। राजेश के मुताबिक, इस तरह यह लोग खूब चाँदी कूटते हैं।

राजेश : देखो अब मैं आपको बताता हूँ। गवर्नमेंट के जो प्रोजेक्ट रहते हैं ये लोग इन्हें हायर कर लेते हैं, गवर्नमेंट के प्रोजेक्ट प्राइवेट प्रोजेक्ट, प्राइवेट हॉस्पिटल के आईसीयू का पूरा ये लोग हायर कर लेते हैं सब, …जैसे आप रजिस्टर्ड हो, आपको मैं बताऊंगा कि कैसे हायर करना होता है, आप मुझे दोगे 50के (50 हजार) सैलरी, आपके पास महीने का आएगा पाँच लाख। ना मुझे बुरा लग रहा है। ठीक है, काम चल रहा है मेरा। ना आपको बुरा लग रहा है।

रिपोर्टर : आप रजिस्टर्ड हो?

राजेश : रजिस्टर्ड डॉक्टर हूँ एमसीआई से। …आपने कॉन्ट्रैक्ट ले लिया। जैसे आपको कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिल रहा है, मैं काम कर रहा हूँ, मेरे थ्रू आपने कॉन्ट्रैक्ट ले लिया। मैं एक एग्जांपल दे रहा हूँ, पर्सनली नहीं बोल रहा। …आपने कॉन्ट्रैक्ट ले लिया; आपके पास 5 लाख महीने के आ रहे हैं, ठीक है। आपको मुझे देना है 50के (50 हजार), नर्सिंग को देना है 25के (25 हजार); बाकी जो बचा, वो आपकी जेब में। मुझे 50के (50 हजार) में कोई दिक्कत नहीं है, बस मैं काम कर रहा हूँ। …मैं आपके लिए काम कर रहा हूँ और आप बैठे-बैठे अपने पास पैसे रख रहे हो। क्यूँ? क्यूँकि आपके पास रजिस्ट्रेशन है।