बेडिय़ाँ तोड़तीं बेटियाँ

अमेरिकी सेना में भारतवंशी सिख महिला ने स्नातक उपाधि हासिल कर रचा इतिहास

अमेरिकी सेना के 218 साल के इतिहास में पहली बार किसी सिख महिला अनमोल नारंग ने प्रतिष्ठित सैन्य अकादमी से स्नातक की उपाधि हासिल की है। सेकेंड लेफ्टिनेंट नारंग को उम्मीद है कि उनके धर्म और समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के उनके प्रयास अमेरिकियों को सिख धन धर्म के बारे में और सीखने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्य जून में 23 वर्षीय नारंग समेत 1,107 युवाओं को सम्बोधित किया, जो अकादमी के वार्षिक दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। समारोह में कोविड-19 महामारी को देखते हुए उपाधि प्राप्त करने वाले अधिकारियों के बीच 6 फीट की दूरी रखी गयी।

इस दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि प्रतिष्ठित सैन्य अकादमी केवल श्रेष्ठ, सबसे मज़बूत और सबसे बहादुर अधिकारी को यह उपाधि देती है। वेस्ट प्वाइंट अमेरिकी बहादुरी, निष्ठा, समर्पण, अनुशासन और कौशल का प्रतीक है। अकादमी से अन्य सिख भी स्नातक की डिग्री हासिल कर चुके हैं; लेकिन अनमोल यह उपाधि हासिल करने वाली सिख धर्म की पहली महिला अनुयायी हैं, जो अपने धर्म की समस्त परम्पराओं का अनुसरण करती हैं।

रिपोर्ट के अनुसार अनमोल नारंग ने अमेरिकी सेना के ऐतिहासिक बैरिकेडिंग को तोड़ दी है। न्यूयॉर्क टाइम्स रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सेना में 1925 के बाद रंगभेद का प्रभाव बढ़ गया था। सेना के अधिकतर अधिकारी रैंक का पद एक विशेष वर्ग को जाने लगा, जिसके कारण निचले स्तर पर भी उसी वर्ग का वर्चस्व बढ़ता गया। ऐसा लगभग एक सदी से चलता आ रहा है।

लेकिन अब भारतवंशी सिख महिला अनमोल ने अमेरिकी सैन्य अकादमी के इतिहास में उन तमाम बेडिय़ों को तोड़ दिया है, जो अमेरिका जैसे विकसित और खुले विचार वाले देश में बेहद मज़बूती से जकड़ी हुई थी।

नारंग जॉॢजया के सिख परिवार में जन्मीं। उनकी शुरुआती पढ़ाई यहीं हुई। उनका परिवार दो पीढिय़ों से यहाँ रह रहा है। उनके दादा भारतीय सेना में थे। लिहाज़ा वह बचपन से ही आर्मी में करियर बनाना चाहती थीं। जब वह हाईस्कूल में पढ़ती थीं, तो उनका परिवार हवाई में पर्ल हॉर्बर नेशनल मेमोरियल देखने गया था। इसके बाद से ही उन्होंने वेस्ट प्वॉइंट मिलिट्री एकेडमी में अप्लाई करने की तैयारी शुरू कर दी थी।

अनमोल ओकलाहोमा में बेसिक ऑफिसर लीडरशिप कोर्स पूरा करेंगी और इसके बाद उन्हें जनवरी में जापान के ओकीनावा में पहली तैनाती के लिए भेजा जाएगा। अनमोल ने कहा- ‘मैं बहुत उत्साहित हूँ कि मेरा सपना पूरा होगा। यह मेरे लिए फख्र की बात है।’

दादा से मिली प्रेरणा

अनमोल नारंग के दादा भारतीय सेना में जवान थे। अनमोल को बचपन से उनसे ही प्रेरणा मिली। अनमोल के मन में उन्हें ही देखकर सेना में करिअर बनाने की इच्छा जागृत हुई। इसीलिए अनमोल ने दादाजी से प्रेरित होकर ही सैन्य क्षेत्र में कदम रखा और हवाई में पर्ल हार्बर राष्ट्रीय स्मारक की यात्रा के बाद इसके लिए आवेदन किया, जिसमें उन्हें सफलता मिली।

अनमोल ने अमेरिकी जॉॢजया प्रौद्योगिकी संस्थान से स्नातक की पढ़ाई की और उसके बाद वेस्ट प्वाइंट सैन्य अकादमी से परमाणु इंजीनियङ्क्षरग में स्नातक की डिग्री हासिल की। न्यूयॉर्क की एनजीओ सिख कॉलिशन में नारंग ने कहा- ‘मैं अभिभूत हूँ कि इस लक्ष्य तक पहुँचकर मैं अन्य सिख अमेरिकियों को यह दिखा रही हूँ कि किसी के लिए भी करिअर में कोई भी रास्ता चुनना मुमकिन है। यह मेरे लिए एक सपने को पूरा करने जैसा है।