बीमारी को छिपाना घातक हो सकता है

लोगों में डर इस क़दर है कि आज भी कोरोना के नाम पर इलाज कराने से आम जनता कतरा रही है। दिल्ली एनसीआर में तो आलम ये है कि कोरोना को लेकर लोग चर्चा तक करने डरते है। ऐसे ही कई मामले तहलका संवाददाता को लोगों ने बताये । दिल्ली के नजफगढ़ में जब कोरोना की लहर थी । तब लोगों को हल्का भी बुखार चढ़ा तो लोगों ने घरेलू उपचार करके काढ़ा और गरारे करके अपना उपचार किया। लेकिन अस्पताल जाने से कतराते रहे है। वे ही मरीज अस्पतालों में गये है। जिन्हें कोरोना के साथ आँक्सीजन की दिक्कत हुई है।

इस बारे दिल्ली के डाँक्टरों को कहना है कि कोरोना के नाम इलाज ना कराने की वजह ये है, कि कोरोना पीडित से सामाज के लोग कई महीनों तक दूरी बनाते है और गलत दृष्टि से देखते है। जिसके कारण लोग कोरोना होने पर चुपचाप घर में रहकर ही अपना इलाज करते है। जो कई बार घातक हो जाता है और जानलेवा भी हो जाता है। नेशनल मेडिकल फौरम के चैयरमेन डाँ प्रेम अग्रवाल का कहना है कि कोरोना को हल्कें में ना लें । कोरोना होने पर इलाज कराये ताकि समय रहते कोरोना से बचा जा सकें। क्योंकि कोरोना को सही मायने में हराने के लिये हमें समय पर ही उपचार लेना होगा। डाँ प्रेम अग्रवाल का कहना कि कई लोग बीमारी को छिपाकर खुद व अपने परिवार के लिये मुशीबत पैदा करते है।

डाँ पी के जोशी का कहना है कि कोरोना तो तब जायेगा जब लोग कोरोना से बचाब के तौर पर , अपनी बीमारी को छिपाये नहीं । उन्होंने कहा कि कोरोना में इलाज के साथ-साथ जागरूक होना होगा । मुंह में मास्क के साथ सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें।