बीजेपी को सत्ता का नशा और अहंकार – शिवसेना

आज एक बार फिर शिवसेना ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया है लेकिन निशाना मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस को बनाया है।शिवसेना के माउथपीस ‘सामना’ में सीएम को टारगेट करते हुए कहा है कि फडणवीस ने इस लोकसभा चुनाव में किसी भी हालत में 43 सीटें जीतने का दावा किया है और बारामती में शरद पवार को पराजित का दावा भी।

सीएम के इस दावे पर तंज कसते हुए शिवसेना ने कहा कि अपने बलबूते पर बीजेपी महाराष्ट्र में 48 सीटें और देशभर में 548 सीटें जीत सकती है, ईवीएम और इस तरह झाग वाले आत्मविश्वास के साथ तो बीजेपी अमेरिका में भी कमल खिला सकती है लेकिन अभी तक बीजेपी के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि उसने अयोध्या में राम मंदिर का कमल क्यों नहीं खिलाया?
इन सवालों के जवाब उनके पास नहीं है लेकिन इसे गिराएंगे, उसे गिराएंगे, उसे गाड़ेंगे इस तरह की भाषा इन दिनों  इनकी जुबान पर बस गयी है कहीं ऐसा न हो कि किसी दिन खुद ही अपने लोगों को गिराने की बात करन करने लगे!
किसानों के संकट, सूखाग्रस्त महाराष्ट्र की फिक्र केंद्र को नहीं है ।महाराष्ट्र के गंभीर सवालों पर कोई चर्चा नहीं है ।अहमदनगर जिले के किसानों की बेटियों ने अनशन शुरू किया तो उस आंदोलन को कुचलने के लिए सरकार ने पुलिस बल का इस्तेमाल किया किसानों की बेटियों बहू को गाड़ दो यह संदेश सरकार का है। प्याज को सिर्फ साढ़े सात पैसे का भाव मिल रहा है ,दूध पर लगने वाली जीएसटी से किसान परेशान हैं, अनाथ आश्रम के दत्तक केंद्रों में पिछले 4 वर्षों में 1000 से अधिक बच्चे बच्चों की मौत हुई है ,राज्य में शिक्षकों की 24000 सीटें खाली पड़ी हैं इन गंभीर मसलों का उनके पास कोई उपाय है लेकिन महाराष्ट्र में 48 में से 43 सीटें जीतने का उपाय उनके पास है। जनता को मरने दो, राज्य खाक होने दो लेकिन राजनीति टिकनी चाहिए ।
बीजेपी सत्ता को लोकतंत्र की दुर्घटनाओं का नाम देते हुए शिवसेना ने उस पर वार करते हुए कहा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में दुर्घटना से राह निकालने का काम जनता करती है और पिछले 70 सालों में यह कार्य बखूबी किया जा रहा है। 24 घंटे सत्ता के नशे में रहकर झूमना और नशे में डूब कर बोलना उचित नहीं है ।सत्ताधारी दल में जो संयम और विनम्रता का भाव होना चाहिए वह हाल के दिनों में सत्ताधारी खो चुके हैं ।शिवसेना –  बीजेपी गठबंधन पर भी सवाल उठाते हुए पूछा गया है कि एक ओर तो सीएम गरजते हैं उन्हें 48 में से 43 सीटें मिल जाएंगी और दूसरी ओर शिवसेना के साथ हिंदुत्व के मुद्दे पर गठबंधन की बात कहते हैं आखिर क्यों तय नहीं कर लेते कि करना क्या है ?अनाप-शनाप बोलने से उनकी बची खुची प्रतिष्ठा खत्म हो जाएगी। महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी  गठबंधन को अधर में लटकाए रखने के लिए बीजेपी पर दोष मढते पर शिवसेना ने कहा कि इस पाप का बीजारोपण 2014 में बीजेपी ने ही किया था।