बीएमसी में बड़ा दवा घोटाला!

लाचार मुंबईकर, बेबस अस्पताल।

बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी में करप्शन किस हद तक बैठ कर चुका है उसका ताजा उदाहरण है बीएमसी द्वारा ब्लैकलिस्टेड कांट्रेक्टरों को फिर से कांट्रेक्ट दे देना।

पिछले दिनों बीएमसी के अस्पतालों में इंजेक्शन की कमी हो गई थी वजह थी इंजेक्शन की आपूर्ति करने वाले कॉन्ट्रैक्टर द्वारा सप्लाई में देरी। मामला सिर्फ इंजेक्शन का ही नहीं था। बीएमसी अस्पतालों में इंजेक्शन ,वैक्सीन ,ग्लूकोज अन्य मेडिसिन की कमी के चलते अस्पताल के मरीज परेशान थे। दरअसल यह कॉन्ट्रैक्ट अप्रैल में ही खत्म हो गया था लेकिन लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते टेंडर मंगवाने में समय बीतता चला गया।
मसला यह था कि मेडिसिंस और इंजेक्शन की सप्लाई में कोताही बरतने वाले कुछ कॉन्ट्रैक्टरों डिफॉल्टर मानते हुए ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था। सूत्र बताते हैं बीएमसी का एक तंत्र जो इन कांटेक्ट को फीवर करने में लगा होता है और जिनकी पहुंच भीतर तक है उनको कॉन्ट्रैक्ट देना चाहता था।
इंजेक्शन और वैक्सीन सप्लाई की पूरी प्रक्रिया को पूर्ण होने में 8 महीने का समय लगा। ग़ौर करने वाली बात यह है कि बार बार इंजेक्शन सप्लाई में देर करने वाले कॉन्ट्रेक्टर्स को ही कॉन्ट्रैक्ट देने का निर्णय लिया हांलाकि और भी कई कॉन्ट्रैक्टर इस रेस में शामिल थे ।135 करोड़ के टेंडर में अलग-अलग इंजेक्शनों की सप्लाई का काम जिन कंपनियों को दिया गया है उनमें से 15 करोड़ से ज्यादा का कॉन्ट्रैक्ट उन पांच कंपनियों को दिया गया है जिन्हें डिफॉल्टर करार दिया गया था। की कंपनी है सिरॉन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल लिमिटेड, सीलॉन लैबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड,एएनजी लाइफ साइंस इंडिया लिमिटेड ,थियोन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड और नवानी मेडिकल लेबोरेट्रीज लिमिटेड।
गौरतलब है कि बीएमसी के हेल्थ डिपार्टमेंट का बजट 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। मुंबईकरों को वर्ल्ड क्लास हेल्थ केयर सर्विस देने का दावा करने वाली बीएमसी में इस तरह का करप्शन शर्मिंदा करने वाला ही नहीं बल्कि उन लाखों लोगों की जिंदगी को खतरे में डालने वाला है जो अपने इलाज के लिए बीएमसी अस्पतालों पर निर्भर हैं।