बीआरओ की इंजीनियरिंग की बेजोड़ मिसाल अटल टनल का उद्घाटन किया पीएम मोदी ने

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की अथक मेहनत और बेजोड़ इंजीनियरिंग की श्रेष्ठ मिसाल – रोहतांग टनल – शनिवार को देश को समर्पित कर दी गयी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, सीडीएस जनरल विपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, बीआरओ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में अटल टनल का उदघाटन किया।

इस टनल का सपना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देखा था जबकि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी मंजूरी दी और तत्कालीन यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2009 में इसकी आधारशिला रखी। अब पीएम मोदी ने आज इसका उदघाटन किया है।

इस मौके पर पीएम मोदी ने पूर्व यूपीए की पूर्व मनमोहन सिंह सरकार पर बरसते हुए कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद इस सुरंग के निर्माण का काम तेज हुआ अन्यथा यह 2040 में बनकर तैयार होती। मोदी ने इस मौके पर बिना यूपीए का नाम लिए उसपर जमकर राजनीतिक हमले किये और उसपर देश की सुरक्षा से खिलवाड़    का आरोप लगाया। उन्होंने इस स्थिति को बदलने का श्रेय खुद को और अपनी सरकार को दिया।

इस सुरंग की योजना में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का भी बड़ा रोल रहा है जिन्होंने अपने पहले मुख्यमंत्रित्व काल में वाजपेयी के समक्ष इस सुरंग के निर्माण का मुद्दा बहुत जोर शोर से उठाया था। तब मोदी हिमाचल भाजपा के प्रभारी थे जिन्होंने आज अपने संबोधन में धूमल का खास तौर पर जिक्र किया और कहा कि हम दोनों वाजपेयी से हिमाचल की योजनाओं का जिक्र करते थे तो वो बहुत गंभीरता से उन्हें सुनते थे।

सामरिक रूप से भारत के लिए यह सुरंग बेहद महत्पूर्ण है। सुरंग बन जाने से इस सुरंग के कारण मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी चार से पांच घंटे कम हो जाएगा। अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। लाहुल स्पीति के सीसू में उद्घाटन समारोह के बाद मोदी सोलांग घाटी में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है और 9.02 लंबी सुरंग मनाली को सालों भर लाहुल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। पहले घाटी छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी। सुरंग को हिमालय के पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है।

अटल सुरंग की डिजाइन इस तरह बनायी गयी है कि प्रतिदिन तीन हजार कार और 1500 ट्रक यहां से पार हो सकते हैं। इसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई, 2002 को रखी गई थी।

इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आज इस ऐतिहासिक अवसर पर देश का सपना पूरा हुआ। देश के लिए हिमाचल का योगदान बहुत ज्यादा है। देश के लिए किसी भी योगदान में हिमाचल पीछे नहीं है। इसके बन जाने के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। लाहुल स्पीति को लोगों की परेशानी दूर होगी। टनल के निर्माण से दुनिया भर में इंजीनियरिंग के बेहतरीन मिसाल पेश की।

इससे पहले मोदी ने अटल टनल को बनाये जाने के समय की तस्वीरें भी देखीं। इन तस्वीरों में दिखाया गया है कि किस प्रकार से अटल टनल के निर्माण में कितनी बाधाएं आयी है। बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने उन्हें इन तस्वीरों का परिचय दिया।