बिहार में बच्चों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित

केंद्र, बिहार, यूपी सरकारों को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब की

बिहार में चमकी बुखार से १५२ बच्चों की मौत पर गहरी चिंता जताते हुए सर्वोच्च  न्यायालय ने इस मामले में केंद्र के अलावा बिहार और यूपी की सरकारों को नोटिस जारी कर सात दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की है। इस रोग को तकनीकी भाषा में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) कहा जाता है।
बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर दो जनहित याचिकाएं   (पीआईएल) दायर की गयी हैं जिनपर सुनवाई के लिए सर्वोच्च अदालत ने सहमति जताते हुए यह नोटिस जारी किये हैं साथ ही इन मौतों पर गहरी चिंता भी जताई है।
अदालत इस मामले पर सुनवाई सोमवार को करेगी। चमकी बुखार से अकेले मुजफ्फरपुर के अस्पतालों में ही १३० से ज्यादा बच्चों की जान जा चुकी है।
केंद्र ने मौतों के कारण  जानने के लिए अपनी टीमें बिहार भेजी हैं। खबर है कि अमेरिका के डाक्टरों का दल भी इन मौतों के कारण और रोग के बारे में जानने के लिए बिहार पहुंचा है। दो वकीलों ने इस मुद्दे पर जनहित याचिकाएं दायर की हैं।
बिहार में एक तरह से यह रोग महामारी जैसा स्वरुप ले रहा है जिससे लोगों में चिंता पसरी है। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक कुछ लोग रोग वाले इलाकों से पलायन कर दूसरे इलाकों को चले गए हैं।
अब सर्वोच्च अदालत ने केंद्र के अलावा यूपी और बिहार सरकारों से स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों में इस बीमारी से निपटने के लिए उपलब्‍ध सुविधाओं पर रिपोर्ट तालाब की है। केंद्र और राज्‍य सरकारों को सात दिन के भीतर रिपोर्ट अदालत को सौंपनी है। इस मामले में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि प्रभावित इलाकों में केंद्र और बिहार सरकार को ५०० आईसीयू स्थापित करने और मेडिकल एक्सपर्ट टीम भेजने के निर्देश दिए जाएं।  साथ ही १०० मोबाइल आईसीयू मुजफ्फरपुर भेजे जाएँ और मेडिकल बोर्ड बनाया जाए।
वाइए बिहार सरकार की इन मौतों पर ”चिंता” इस तथ्य से जाहिर हो जाती है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार २० दिन के बाद लोगों का हाल जानने मुजफ्फरपुर गए। तब तक १०० से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी थी। लिहाजा जब सीएम वहां पहुंचे तो उन्हें गुस्से से भरे लोगों के विरोध प्रदर्शन सहने पड़े।