बिहार चुनाव की बजी रणभेरी, भाजपा का बड़ा इम्तिहान

बेहद खराब अर्थ-व्यवस्था, लम्बे लॉकडाउन में बढ़ी बेरोज़गारी, महामारी का आँकड़ा एक लाख तक पहुँचने, तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ किसान आंदोलन के बीच और चीन के साथ सीमा पर गम्भीर तनाव के बीच बिहार विधानसभा का चुनाव घोषित हो गया है। यह विधानसभा चुनाव केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए भी राजनीतिक रूप से एक बड़ी चुनौती है। देखना दिलचस्प होगा कि 14 नवंबर की दीवाली पर जनता किसे पटाखे फोडऩे का अवसर देती है।

विदित हो कि कोविड-19 के कहर के बीच देश का यह पहला विधानसभा चुनाव है। बिहार के सबसे बड़े नेता लालू प्रसाद यादव जेल में हैं और उनकी पार्टी का नेतृत्व उनके युवा बेटे तेजस्वी यादव के हाथ में है।  इधर नीतीश कुमार भी कम चिंतित नहीं होंगे, क्योंकि जनता उनसे भी खासी नाराज़ है। एक मुख्यमंत्री के नाते उनके काम और लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों के पलायन से उपजी स्थिति ने निश्चित ही एक बड़ी आबादी को नाराज़ किया है। नीतीश को उस स्थिति को भी सँभालना होगा। भाजपा से गठबंधन नीतीश ने चुनाव के बाद बने आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन से तोड़कर बनाया था; जिसके बाद उन्हें महागठबंधन की तरफ से पलटू की संज्ञा दी गयी। इस चुनाव के नतीजे यह भी बताएँगे कि क्या नीतीश का भाजपा के साथ जाना जनता को सही लगा या नहीं? कोविड की पाबंदियाँ निश्चित ही मतदान और नतीजों को प्रभावित करेंगी। बहुत बड़ी संख्या में वोटर मतदान करने निकलेंगे, इसकी सम्भावना बहुत ज़्यादा नहीं दिखती। और यदि निकले, तो इसे नीतीश सरकार के खिलाफ माना जाएगा। खासकर ग्रामीण इलाकों में मतदान प्रतिशत देखना होगा।

नीतीश कुमार नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (एनडीए) की तस्वीर अभी साफ नहीं है। चिराग पासवान की लोजपा ने पेच फँसा रखा है। लोजपा कह रही है कि वो अपने गठबंधन के साथी जदयू के उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार उतार सकती है। लोजपा सीटों के मामले में भाजपा के खाते की पार्टी है, लिहाज़ा भाजपा को उसे सँभालना होगा। जदयू इस पर अभी चुप है; लेकिन राजग में हाल में शामिल हुए हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने लोजपा के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है। हम लोजपा के खिलाफ उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर चुका है। भाजपा के सबसे बड़े चुनाव रणनीतिकार अमित शाह अस्वस्थ हैं और चुनाव का पूरा ज़िम्मा अध्यक्ष जेपी नड्डा के ज़िम्मे है। भाजपा लोजपा को बहुत भाव नहीं दे रही। वह साफ कर चुकी है कि लोजपा को ले-देकर 25 सीट ही देगी। उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए में जाने से उसे कितना लाभ मिलेगा? देखना होगा। उधर लालू यादव दूसरे राज्य में जेल में हैं। लेकिन महागठबंधन की रणनीति पर लगातार सक्रिय दिख रहे हैं। आरजेडी के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का हाल में निधन हो गया, जिससे महागठबंधन उनके अनुभव और जनता में पैठ का लाभ नहीं उठा पायेगा। अन्तिम समय में वह आरजेडी से नाराज़ भी थे और इस्तीफे की घोषणा कर चुके थे।

कुशवाहा के जाने के बावजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला का दावा है कि महागठबंधन बिहार में एकजुट है। अब चूँकि चुनाव का ऐलान हो गया है, सभी गठबंधन अपने सहयोगियों का फोकस करेंगे। महागठबंधन के पास केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ बहुत कुछ कहने को है और मुद्दे भी काफी हैं। हालाँकि नीतीश कह रहे हैं कि आकार का काम बेहतर रहा है। यह चुनाव पाबंदियों से भरा होगा।

चुनाव प्रचार सिर्फ वर्चुअल होगा और नामांकन भी ऑनलाइन भरे जा सकेंगे। इसके अलावा राजनीतिक दलों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे वेबसाइट पर उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दें। उम्मीदवारों को अखबार में भी इसकी जानकारी देनी होगी। सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर कार्रवाई की जाएगी। कोरोना वायरस की वजह से चुनाव में उम्मीदवार समेत कुल पाँच लोग ही डोर-टू-डोर कैंपेन में हिस्सा लेंगे। चुनाव प्रचार में जनता की सभाओं में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। ज़ाहिर है कि इस बार बड़ी-बड़ी जनसभाएँ नहीं की जा सकेंगी। नामांकन के दौरान उम्मीदवार के साथ दो से अधिक गाडिय़ाँ नहीं जा सकेंगी। इस बार मतदान का समय बढ़ाया गया है। सुबह 7:00 से शाम 6:00 बजे तक मतदान होगा। नक्सल प्रभावित इलाकों में ऐसा नहीं होगा। इसके अलावा कोविड-19 के मरीज़ अंतिम के घंटे में वोट डाल पाएँगे। महामारी को देखते हुए छ: लाख पीपीई किट राज्य चुनाव आयोग को दी जाएँगी। चुनाव के दौरान 46 लाख से अधिक मास्क, सात लाख हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाएगा। एक बूथ पर 1000 मतदाता होंगे। एक लाख से ज़्यादा मतदान केंद्र होंगे।

तीन चरणों में होगा मतदान

चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को जब चुनाव के घोषणा की, तो चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि सुरक्षा बंदोबस्त और त्योहारों के मद्देनज़र बिहार चुनाव के चरण कम किये गये हैं। चुनाव तीन चरणों में होंगे। पहले चरण में 16 ज़िलों की 71 सीटों के लिए 28 अक्टूबर को, दूसरे चरण में 17 ज़िलों की 94 सीटों के लिए 3 नवंबर को, जबकि तीसरे चरण में 15 ज़िलों की 78 सीटों के लिए 7 नवंबर को मतदान होगा। नतीजे 10 नवंबर को आएँगे।

वर्तमान स्थिति 

बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं, जिसमें आज की एनडीए की 130 सीटें हैं। इनमें जदयू की 69, भाजपा की 54, लोजपा की 2, हम पार्टी की एक सीट है; जबकि निर्दलीय 4 हैं। उधर महागठबंधन की कुल सीटें 101 हैं। इनमें राजद की 73, कांग्रेस की 23, सीपीआई (एमएल) की 3 और एक निर्दलीय उनके साथ है। अन्य दलों में एआईएमआईएम का एक सदस्य है, जबकि 12 सीटें फिलहाल खाली पड़ी हैं।