बिना टीके के ही खत्म होने के कगार पर है कोरोना वायरस?

एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ ने दावा किया है कि कोरोना वायरस विनाश के असर के लिहाज़ से एक बाघ से बिल्ली बन चुका है, और बिना वैक्सीन (टीके) के ही अपनी मौत मर सकता है। फोबे साउथवर्थ ने ‘द टेलीग्राफ’ में पॉली क्लीनिको सैन मार्टिनो अस्पताल में संक्रामक रोगों के क्लीनिक के प्रमुख प्रो. माटेओ बासेटी के हवाले से कहा है कि कोविड-19 पिछले महीने से अपना असर खो रहा है और जो मरीज़ पहले इस वायरस से मर जाते थे, वे अब ठीक हो रहे हैं।

प्रो. बासेटी ने कहा कि मेरे पास जो क्लीनिकल (रोगविषयक) धारणा है, वह यह है कि वायरस अपनी तीव्रता खो रहा है। मार्च और अप्रैल की शुरुआत में तस्वीर पूरी तरह से अलग थी। लोग बीमारी के निदान के लिए बड़ी संख्या में बहुत मुश्किल स्थिति में आपातकालीन विभाग में पहुँच रहे थे और उन्हें ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की आवश्यकता थी, जबकि कुछ को निमोनिया था। अब पिछले चार हफ्तों में तस्वीर पूरी तरह से बदल गयी है। अब श्वसन पथ में अपेक्षाकृत कम वायरल लोड के मामले हैं, शायद वायरस में एक आनुवंशिक बदलाव के कारण; जो अभी तक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं किया गया है। यह मार्च और अप्रैल में एक आक्रामक बाघ की तरह था; लेकिन अब यह एक जंगली बिल्ली की तरह है।

प्रो. माटेओ ने दावा किया कि 80 या 90 वर्ष की आयु के बुजुर्ग मरीज़ भी अब बिस्तर पर उठ बैठे हैं और वह बिना किसी मदद के साँस ले रहे हैं। वही मरीज़ दो या तीन दिन पहले मर गये होते। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वायरस का तीव्रता अब कम हो गयी है; क्योंकि हमारी प्रतिरोधक क्षमता वायरस से मुकाबला करती है और लॉकडाउन, मास्क-पहनने, आपसी दूरी के कारण अब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर हुई है। सम्भवत: यह वैक्सीन के बिना ही पूरी तरह से खत्म हो सकता है। हमारे पास कम-से-कम संक्रमित लोग हैं और यह सिलसिला जल्दी ही थम सकता है; क्योंकि वायरस मर रहा है। रदरफोर्ड हेल्थ के एक ऑन्कोलॉजिस्ट और मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रो. करोल सिकोरा ने पहले कहा था कि यह सम्भावना है कि ब्रिटिश जनता की प्रतिरोधक क्षमता उससे ज़्यादा है, जितनी सोची गयी थी, और कोविड-19 खुद से कमज़ोर हो सकता है। हालाँकि एक्सेटर मेडिकल स्कूल के एक वरिष्ठ क्लीनिकल व्याख्याता और इंग्लैंड के पूर्व सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाहकार डॉक्टर भरत पंखनिया ने कहा कि कोविड-19 जल्द ही खत्म हो जाएगा, यह विचार अल्पावधि का आशावाद है। उनके मुताबिक, उन्हें नहीं लगता यह इतनी आसानी से खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा- ‘हाँ! यदि उसके पास संक्रमित करने के लिए कोई नहीं है, तो ज़रूर यह मर जाएगा। अगर हमारे पास एक सफल टीका है, तो हम वह कर पाएँगे, जो हमने चेचक के समय   किया था।’

प्रो. बासेटी ने कहा कि अब हम इस बीमारी के बारे में अधिक जानते हैं और इसे रोक सकने में पहले से ज़्यादा सक्षम हैं। बासेटी मानते हैं कि वायरस का असर कम होने का एक कारण आनुवंशिक उत्परिवर्तन भी हो सकता है, जिसने इसे फेफड़ों के नुकसान के मामले में कमज़ोर किया है। उन्होंने कहा- ‘या फिर लोग संक्रमित होने पर  वायरस की छोटी मात्रा ही ग्रहण करते हैं; क्योंकि आपसी दूरी और लॉकडाउन के कड़े नियमों ने लोगों को जागरूक किया और वे बेहतर बचाव उपाय अपनाने लगे हैं। इसके चलते कम लोग बीमार पड़ रहे हैं।’

यहाँ यह भी बताना भी दिलचस्प होगा कि पिछले कुछ दिन से दुनिया भर में कोविड-19 की दवा बनाने के दावे किये जा रहे हैं। कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने का दावा करने की दौड़ में आगे चल रही कम्पनियों में एस्ट्राजेनेका, मॉडर्न, फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन, मर्क, सनोफी, बायोनेट और चीन की कैन्सिनो बायोलॉजिक्स हैं।

हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि नया कोरोनो वायरस अचानक कम रोग क्षमता वाला नहीं हुआ है, जैसा कि एक प्रमुख इतालवी चिकित्सक ने दावा किया है कि कोविड-19 ने अपनी शक्ति खो दी है। एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग में डब्ल्यूएचओ एमर्जेंसी के निदेशक माइकल रयान ने कहा कि हमें इसे लेकर असाधारण रूप से सावधान रहने की ज़रूरत है कि कहीं यह संदेश न चला जाए कि वायरस ने अचानक खुद ही अपनी मारक क्षमता खो दी है और वह अब कम घातक रह गया है। उन्होंने कहा- ‘महत्त्वपूर्ण यह है कि वायरस के फैलाव को रोकने और इसे दबाने किये हमने क्या उपाय किये हैं।’