फिर वही बसों में परेशानी

कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुये दिल्ली सरकार ने कोरोना विरोधी कदम उठाये के साथ-साथ तमाम पाबंदियां भी लगाई है। जिसका दिल्ली वासियों ने स्वागत किया है। लेकिन परिवहन व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। दिल्ली परिवहन निगम की बसों के लिए सरकार ने सख्त आदेश भी जारी किया है इस आदेश के अनुसार प्रत्येक बस में 20 से अधिक लोगों के यात्रा की अनुमति नहीं दी गर्इ है।

सराकर के इस आदेश के बाद से बसों में दैनिक यात्रियों को यात्रा करने में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर दफ्तर के लिए बस से आवागमन करने वाले यात्रियों को घंटे भर इंतजार के बाद मिली बस से दफ्तर पहुंचने में घंटो की देरी से पहुंच रहे है। जिससे उन्हें दफ्तर में कर्इ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

लोगों का कहना है कि दिल्ली सरकार की जो भी बसें है, उनमें तो 20 से अधिक लोग यात्रा नहीं कर सकते है। जबकि प्राईवेट बस वाले यात्रियों को ठूस–ठूस कर यात्रा करवा रहे है। और कोरोना विरोधी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है साथ ही जम कर औने–पौने दाम यात्रियों से वसूल रहे है। बस में यात्रा करने वाले संतोष कुमार और जगत कुमार ने बताया कि सरकार तो सीधा आदेश जारी कर देती है। लेकिन पहले से उसका विकल्प तैयार नहीं करती है। जिसके चलते लोगों को परेशानी होती है। उनका कहना है कि मासिक पास बनवाया है। बसों में जगह न मिलने से उनको अब आँटो से यात्रा करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

लोगों का कहना है कि जब भी दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ा है तब ही दिल्ली सरकार ने प्राईवेट बसों को सड़कों पर ऊतारा है, ताकि लोगों को यात्रा करने में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करने पड़े, उसी तरह लोगों की मांग है कि प्राईवेट बसों को फिर से उतारा जाये ताकि लोगों को अपने गतंव्य स्थान और आँफिस में आने–जाने में परेशानी न हो। जानकारों का कहना है कि बसों में तो सरकार कोरोना को रोकना चाहती है। जबकि बस स्टैण्डों में सैकड़ो लोगों की भीड़ भी तो संक्रमण बढ़ा सकती है। इसलिये सरकार को कोई विकल्प तो सकारात्मक निकालना ही होगा।