पेगासस : 5 फोन में मैलवेयर मिला, समिति ने कहा केंद्र सरकार नहीं कर रही सहयोग

पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि 5 फोन में मैलवेयर मिला है, हालांकि, स्पाईवेयर का कोई ठोस सबूत नहीं है। इसके लिए गठित समिति ने कहा है कि केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि ‘हम कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करेंगे, इसमें कोई सीक्रेट नहीं है’।

सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने आज कहा कि समिति को मोबाइल फोन में पेगासस के सबूत नहीं मिले हैं और समिति ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही है। बता दें इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच कर रही है।

जस्टिस आरवी रवींद्रन की अगुवाई में बनी समिति पहले ही रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है। सीजेआई ने कहा कि रिपोर्ट दाखिल की गई है। यह तीन भागों में है। समिति की सिफारिश है कि तकनीकी समिति की रिपोर्ट का विवरण सार्वजनिक डोमेन में प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए। ये सूचना अपराधियों को कानून प्रवर्तन तंत्र को बायपास करने की अनुमति दे सकती है, ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में अधिक जानकारी और नए मैलवेयर बन सकते हैं, नया मैलवेयर बनाने के लिए सामग्री का दुरुपयोग किया जा सकता है।

सीजेआई ने कहा कि विशेषज्ञों ने सिफारिशें की हैं जिनके जरिए लोगों के उपकरण इन मैलवेयर के असर से बचाए जा सकते हैं। साइबर सिक्योरिटी एजेंसी इन आरोपों की जांच करे। सीजेआई ने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि 29 मोबाइल फोन में 5 में मैलवेयर पाए गए हैं। सीजेआई ने कहा कि हम कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करेंगे। इसमें कोई सीक्रेट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डाल दें।

समिति को मोबाइल फोन में पेगासस के सबूत नहीं मिले और समिति ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही। हम बिना रिपोर्ट देखे आगे टिप्पणी नहीं कर सकते।

सीजेआई ने कहा – ‘रिपोर्ट में सिफारिश की गई है गोपनीयता के कानून को बेहतर बनाने और गोपनीयता के अधिकार में सुधार, राष्ट्र की साइबर सुरक्षा बढ़ाने, नागरिकों की निजता के अधिकार की सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने और गैर-कानूनी निगरानी से संबंधित शिकायत उठाने की व्यवस्था पर कानून मजबूत किया जाए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा। कोर्ट तय करेगा कि रिपोर्ट के कौन से हिस्से सार्वजनिक कराएं।’

तकनीकी कमेटी ने बताया है कि 29 मोबाइल फोनों की जांच और पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स से बातचीत भी की गयी। आम लोगों ने भी बड़ी तादाद में अपनी राय भेजी है।