पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम का दिल्ली एम्स में निधन

संचार घोटाले से सुर्ख़ियों में आये हिमाचल के कद्दावर नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम का बुधवार तड़के दिल्ली में निधन हो गया। वे 94 साल के थे। सुखराम को हिमाचल के मंडी में एक अस्पताल में भर्ती कराने के बाद सुधार नहीं होने पर 7 मई को प्लेन से दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती किया गया था, जहाँ उन्होंने आज अंतिम सांस ली।

उनके एक पोते आश्रय शर्मा ने सोशल मीडिया पर दादा के साथ तस्वीर पोस्ट करते हुए उनके निधन की सूचना दी है। सुखराम के दूसरे पोते सलमान खान की मुहँबोली बहन अर्पिता खान के पति अभिनेता आयुष शर्मा हैं। उनके निधन पर कई नेताओं ने शोक जताया है। याद रहे एक साल पहले प्रदेश के दिग्गज नेता और पांच बार के सीएम वीरभद्र सिंह का भी निधन हो गया था।

सुखराम का जन्म हिमाचल के कोटली में 27 जुलाई, 1927 को हुआ था। वह 1993 से 1996 तक केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रहे। वह मंडी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य थे। उन्होंने पांच बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनाव जीता।

साल 1996 में जब सुखराम संचार मंत्री थे तब 2011 में उन्हें भ्रष्टाचार के लिए 5 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। सुख राम ने 1963 से 1984 तक मंडी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया। वह 1984 में लोकसभा के लिए चुने गए और राजीव गांधी सरकार में एक मंत्री बने। राजीव गांधी सरकार ने उन्हें रक्षा उत्पादन और आपूर्ति, योजना और खाद्य और नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री बनाया। 1993 से 1996 तक सुख राम केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संचार विभाग रहे।

वह 1996 में मंडी लोकसभा सीट से फिर सांसद बनें लेकिन दूरसंचार घोटाले के बाद कांग्रेस पार्टी से उन्हें निष्कासित कर दिया गया। उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस का गठन किया। चुनाव के बाद भाजपा सरकार गठबंधन में शामिल हो गए। राम ने 1998 में मंडी सदर से विधानसभा चुनाव लड़ा और 22000 से ज्यादा मतों के भारी अंतर से जीते। उनके बेटे अनिल शर्मा 1998 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे।

साल 2003 के विधानसभा चुनाव में, राम ने मंडी विधानसभा सीट बरकरार रखी, लेकिन 2004 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस में शामिल हो गए। शर्मा ने 2007 और 2012 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मंडी विधानसभा सीट जीती थी। 2017 में, चुनाव से पहले, सुखराम शर्मा अपने पोते आश्रय शर्मा के साथ भाजपा में शामिल हो गए। कहा जाता है कि यह उनका ही प्रभाव था कि मंडी जिले की 10 में से 9 सीटों पर भाजपा को जीत मिली।