पीएम इमरान

शपथ ली, दक्षिण एशिया की नज़र उन पर, कैसा होगा भारत से रिश्ता

बाईस गज की क्रिकेट पिच पर सालों राज करने के बाद करीब ८,०३,९४० वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल और करीब २१ करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान का जिम्मा सँभालने के लिए इमरान खान को करीब २२ साल लगे। कोइ २६ साल पहले नवाज शरीफ ने इमरान को अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया था लेकिन इमरान ने उसे स्वीकार नहीं किया था। आज यही इमरान खान नियाज़ी पाकिस्तान के 22वें वज़ीर-ए-आज़म हो गए। राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

सन १९९६ में जब उन्होंने पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी बनाई थी तब बहुत लोगों ने उन्हें गंभीर राजनेता नहीं माना था लेकिन वे लगातार मैदान में डटे रहे और वो मुकाम आज हासिल कर लिया जिसका सपना उनके समर्थकों ने पाकिस्तान में देखा था। उनकी पत्नी बुशरा भी हिजाब के पीछे से पति इमरान को शपथ लेते देख रहीं थी।

पूरे दक्षिण एशिया की नजर 65 वर्षीय इमरान खान पर है। हिन्दोस्तान के साथ पाकिस्तान के रिश्तों को देखते हुए पूरी दिनिया की नज़र इमरान खान है जिनके बारे में चुनाव ने नतीजे आने तक यह कहा गया कि वे पाक सेना और आईएसआई के सहयोग से जीते हैं। यदि सच में ऐसा है तो इसे एक सकारात्मक रूप से भी देखा जा सकता है कि यदि इमरान इन दोनों (सेना-आईएसआई) के भरोसे में लेकर भारत के साथ रिश्तों में सुधार की कोशिश करते हैं तो वह ज्यादा मजबूत और सफल हो सकती है।

क्रिकेट की टीम के कप्तान के नाते इमरान खुद टीम का चयन करते थे। उनका वहां के क्रिकेट बोर्ड पर भी पूरा कंट्रोल रहता था। अब बतौर पीएम वे क्या देश पर वैसी ही पकड़ बना पाएंगे इस पर सभी नज़र रहेगी।

पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिद्धू भी बतौर इमरान के दोस्त शपथ ग्रहण में शामिल हुए। टीवी फुटेज में दिखा की उन्होंने पाक आर्मी चीफ से हाथ मिलाया और उनके गले भी मिले। कुछ देर उनके बीच बातचीत भी हुई। शपथ लेते हुए इमरान कई बार लड़खड़ा गए और शब्दों का उच्चारण सही नहीं कर पाए। उनके शपथ लेने का पहला शब्द ”बतौर मुस्लमान” था। भारत में इमरान को लेकर प्रतिक्रियाएं जारी हैं और सभी अपने अपने हिसाब से मत व्यक्त कर रहे हैं।

इस बीच रिपोर्ट्स के मुताबिक शपथ से एक रोज पहले ही इमरान ने कहा था कि ”वह ऐसी चुनाव प्रणाली बनाएंगे जिससे कोई भी व्यक्ति भविष्य में चुनावों में खामियां नहीं तलाश पाएगा। कोइ मुझे ब्लैकमेल करने की कोशिश नहीं करे। मैं किसी तानाशाह के कंधों पर चढ़कर नहीं आया। मैं 22 साल के संघर्ष के बाद इस मुकाम पर पहुंचा हूं। सिर्फ एक नेता ने मुझसे ज्यादा संघर्ष किया और वह मेरे हीरो (पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली) जिन्ना थे”। देखना है इमरान अपने इन सकारात्मक शब्दों को किस हद तक अमलीजामा पहना पाते हैं।

इमरान ने देश में पाकिस्तान में सख्त जवाबदेही कायम करने की बात भी कही है। उन्होने कहा -” मैं वादा करता हूं कि मैं पाकिस्तान को लूटने वालों के खिलाफ कार्रवाई करुंगा। जिस काले धन को सफेद किया गया, मैं उसे वापस लाऊंगा। जो पैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी पर खर्च होने चाहिए थे, वे लोगों की जेब में चले गए”।

गौरतलब है कि पूर्व क्रिकेटर को देश की नव-निर्वाचित संसद ने शुक्रवार को ही अपना नया प्रधानमंत्री चुना था। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने प्रधानमंत्री पद के लिए हो रहे मतदान से हटने का फैसला किया। मतदान में इमरान को 176 मत हासिल हुए। पीपीपी के पास सदन में 54 सीटें हैं तो पीएमएल-एन के पास 81 सीटें हैं। दूसरी तरफ 25 जुलाई को देश में हुए आम चुनाव में गठबंधन दलों के साथ मिलकर 151 सीटें हासिल की जो बहुमत से ज्यादा है। हालांकि असेंबली में अभी उसके पास 175 सांसदों का समर्थन है।

पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए आम चुनाव में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने 116 सीटें जीती थीं, लेकिन इमरान समेत कुछ उम्मीदवारों के एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव जीतने की वजह से पार्टी को छह सीटें छोड़नी पड़ीं। चुनाव आयोग ने पीटीआई को नौ सीटें अल्पसंख्यक कोटे की और 33 सीटें आरक्षित कोटे की दीं। उसके पास कुल 152 सीटें हैं और बहुमत के लिए पीटीआई ने कई छोटे दलों से गठबंधन किया। पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में नए प्रधानमंत्री के चयन के लिए शुक्रवार को विशेष सत्र बुलाया था। विशेष सत्र में प्रधानमंत्री पद के लिए वोटिंग कराई गई जिसमें पाटीआई नेता इमरान खान ने बाजी मार ली।

विशेष सत्र में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मनोनीत प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल) के नेता शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। दोनों ने सदन में नेता के रूप में नामांकन किया था जिस कारण वहां पर प्रधानमंत्री के चुनाव की स्थिति पैदा हुई और इसके लिए शुक्रवार को असेंबली में मतदान कराना पड़ा। उनकी नियुक्ति में उस समय ट्विस्ट आ गया जब पीएमएल-एन के नेता शहबाज शरीफ ने भी विपक्षी दलों के साथ गठबंधन कर प्रधानमंत्री पद के लिए दावा ठोक दिया।