पार्टी का पूरा नाम ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ ही इस्तेमाल करें, प्रवक्ताओं को निर्देश  

हाल के सालों में अपने नाम के साथ ‘भारतीय राष्ट्रीय’ शब्द को लगभग भूल चुकी कांग्रेस अब अपना पूरा नाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंडियन नैशनल कांग्रेस) इस्तेमाल करेगी। मकसद देश की जनता में अपने इतिहास से जुड़ी भारतीयता को सामने रखना है। पार्टी ने अपने तमाम प्रवक्ताओं को निर्देश जारी कर टीवी डिबेट्स और अन्य मंचों पर पार्टी का पूरा नाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस्तेमाल करने को कहा है।

इसका फैसला उदयपुर के चिंतन शिविर में किया गया था। अब इसे लेकर बाकायदा आधिकारिक आदेश जारी किये गए हैं। एक तरह से यह भारतीय जनता पार्टी की तर्ज पर होगा। वैसे अभी भी कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की तरफ से जारी सभी प्रेस विज्ञप्तियों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ही लिखा जाता है, लेकिन तमाम टीवी चैनल पार्टी को कांग्रेस ही लिखते/बोलते हैं। यहाँ तक कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और तमाम बड़े नेता सार्वजनिक मंचों पर पार्टी को सिर्फ ‘कांग्रेस’ ही कहते हैं।

हालांकि, अब संभवता पार्टी का पूरा नाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (अंग्रेजी में इंडियन नैशनल कांग्रेस) नाम इस्तेमाल किया जाएगा। कांग्रेस के बड़े नेताओं का कहना है  कि पार्टी कुछ नया नहीं कर रही, बस अपने पूरे नाम के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। मकसद देश के लोगों को यह संदेश देना है कि आज़ादी से पहले बनी कांग्रेस भारतीयता के चरित्र में रची बसी है और स्वतंत्रता संग्राम में इसकी बड़ी भूमिका रही है।

हाल के सालों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), खासकर इसके बड़े नेता पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह आदि जिस तरह पार्टी की चुनावी रणनीति को ‘राष्ट्रवाद’ के इर्द-गिर्द रख रहे हैं और कांग्रेस पर ‘राष्ट्रवाद’ को लेकर आक्रमण करते हैं, उससे भी कांग्रेस को लगता है कि उसे जनता को यह बताना जरूरी है कि उसकी देश की स्वतंत्रता में बड़ी भूमिका रही है और उसका जन्म ही शुद्ध रूप से राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद पर आधारित रहा है।

कांग्रेस ने महसूस किया है कि देश की युवा पीढ़ी को यह बताना जरूरी है कि  देशभक्ति, आज़ादी और राष्ट्रीयता में पार्टी ने बड़ी भूमिका निभाई है और भाजपा उसे लेकर जो कहती है, वह महज़ दुष्प्रचार है। चिंतन शिविर में इस बार पहली बार कांग्रेस ने पार्टी के प्रस्तावों में हिंदी को प्रमुखता दी। पहले उसके प्रस्ताव अंग्रेजी में आते थे और बाद में उनका अंग्रेजी में उनका अनुवाद किया जाता था।