पहली प्राथमिकता हो स्वास्थ्य

आयुर्वेद में कहा गया है कि स्वस्थ्य जीवन ही सुखी जीवन है। लेकिन आजकल अधिकतर लोग अस्वस्थ हैं। इसके कई कारण हैं, जिनमें अनियमित दिनचर्या, खान-पान का बिगडऩा और दूषित भोजन तथा पानी का बहुतायत में इस्तेमाल है। वैसे तो हर आदमी चाहता है कि वह स्वस्थ रहे, लेकिन अधिकतर लोग अपनी ही देखभाल में लापरवाही करते हैं। कोरोना वायरस के प्रकोप के डर से लोगों ने थोड़ी-बहुत सावधानी बरतनी शुरू कर दी है, अन्यथा हालात यह थे कि अधिकतर लोग स्वास्थ्य सम्बन्धी दिशा-निर्देशों पर ध्यान तक नहीं देते थे। सवाल यह है कि मिलावट और प्रदूषित खाद्य पदार्थों के इस युग में आिखर क्या किया जाए? जिससे आदमी का स्वास्थ्य सही रह सके। आयुर्वेद में इसके लिए दिनचर्या कैसी हो के अलावा आहार के नियम बताये गये हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं :-

नियमित व्यायाम

आज की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में अधिकतर लोग व्यायाम नहीं करते। जो लोग शारीरिक मेहनत करते हैं, उनका तो व्यायाम मेहनत करने से ही हो जाता है। लेकिन जिनके पास केवल बैठकर काम करने का ज़रिया है, उन्हें प्रतिदिन कम-से-कम एक-दो घंटे शारीरिक क्षमता के अनुसार व्यायाम करना ही चाहिए। कोई व्यायाम अगर न कर सके, तो कम-से-कम सुबह की सैर और शारीरिक क्षमता के अनुसार योग की क्रियाएँ ज़रूर करें।

आहार-विचार

आयुर्वेद में संतुलित खान-पान को आहार-विचार कहा गया है। आहार-विचार का मतलब है कि विचार करके ही आहार लें। अक्सर देखा जाता है कि लोग कुछ भी और कभी भी खाने लग जाते हैं। मसलन जब जिस चीज़ का मन हुआ, उसे खा लिया। कोई भी यह विचार नहीं करता कि उस चीज़ में शुद्धता है कि नहीं? उसे कितनी मात्रा में खाना चाहिए? और कब खाना चाहिए? जैसे आर्युवेद में कहा गया है कि सुबह को दही के साथ कम तला या बिना तला और कम नमक-मिर्च का या बिल्कुल सादा या कच्ची सब्ज़ियों-फलों का नाश्ता करना चाहिए। दोपहर में भोजन करना चाहिए और उसके साथ या उसके बाद दो चुटकी अजबाइन का प्रयोग करना चाहिए और अगर सम्भव हो तो भोजन के उपरांत छाछ (मट्ठा) ज़रूर पीना चाहिए। अगर छाछ पीना पसन्द नहीं है, तो रायता पी लें। शाम को सूर्यास्त से पहले भोजन करें और रात को सोते समय दूध पीएँ। लेकिन आजकल लोग रात को दही खा लेते हैं, रात छाछ या रायता भी पी लेते हैं, जो कि काफी नुकसान करता है। इसके अलावा एक दिन यानी 24 घंटे में कम-से-कम तीन-चार लीटर पानी पीना ही चाहिए और खाना खाने के तुरन्त बाद कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए।

साफ-सफाई

कोरोना वायरस ने हम सबको यह तो सिखा ही दिया कि गन्दगी और प्रकृति से छेड़छाड़ कितनी महँगी पड़ सकती है। इसलिए शरीर के साथ-साथ अपने घर और घर तथा दफ्तर के आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा प्रकृति से किसी तरह की छेड़छाड़ अंतत: हम सबको ही नुकसानदायक साबित होगी। साथ ही पौधरोपड़ पर भी हमें ध्यान देना होगा।

पहले के लोग कैसे जीते थे लम्बा और स्वस्थ जीवन

आजकल हर आदमी में कोई-न-कोई रोग घर किये हुए है। पहले से बीमारियाँ भी अधिक हो गयी हैं। लेकिन पहले के लोग 100 साल या उससे भी अधिक जीते थे और वो भी स्वस्थ रूप से। ऐसा नहीं है कि पहले लोग बीमार नहीं पड़ते थे, लेकिन हर आदमी बीमार नहीं होता था। इसका कारण पहले के लोगों का आयुर्वेद में दिये गये दिशा-निर्देशों का पालन करना था। इसके अलावा पहले किसी घर में खाना बनता था, तो पूरा मोहल्ला महक जाता था, लेकिन अब अपने ही घर में क्या बन रहा है? किसी को पता नहीं चलता। क्योंकि पहले जैविक अनाज और सब्ज़ियाँ होती थीं, वहीं अब कृत्रिम खादों और दवाओं के प्रयोग से हर खाद्यान ने अपने स्वाद के साथ-साथ अधिकतर पोषक तत्त्वों को खो दिया है। यही वजह है कि आजकल के भोजन में न तो उतना स्वाद है और न उतनी ताकत। इसके अलावा जंक फूड, विशेषकर चाइनीज जंक फूड खाकर भी लोग सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।