पहलवानों से बदसलूकी की हद पार

भारतीय खेल इतिहास का यह शायद सबसे मार्मिक क्षण रहेगा। दुनिया के सबसे बड़े खेल मंचों पर देश के लिए मेडल जीतकर उसे गौरव दिलाते हुए भावुक होने वाली महिला पहलवान हरिद्वार में गंगा मैया के किनारे अपने यही मेडल बहाने की लिए तैयार खड़ी थीं और फूट-फूटकर रो रही थीं। भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह, जो भाजपा के एक ताक़तवर सांसद भी हैं; के ख़िलाफ़ यौन उत्पीडऩ के आरोपों पर सही कार्रवाई न होने पर धरना दे चुके ये पहलवान इतने निराश हैं कि उन्हें ख़ून-पसीने से कमाये अपने मेडल गंगा में बहाने का फ़ैसला करना पड़ा। आख़िरी समय में भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने उन्हें ऐसा करने से रोका और अपने साथ वापस ले गये। लेकिन इस घटना, जिसने दुनिया भर के मीडिया का ध्यान अपनी और खींचा है; ने कई सवाल खड़े दिये हैं।

जिस समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नये संसद भवन में सेंगोल स्थापित करते हुए दंडवत हो रहे थे और देश में लोकतंत्र की दुहाई दे रहे थे; लगभग उसी समय बग़ल के जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार की पुलिस न्याय के लिए शान्ति से धरने पर बैठीं देश की गौरव कहलाने वाली महिला पहलवानों को अपनी ताक़त दिखाकर जबरदस्ती बसों में ठूँस रही थी। साफ़ लग रहा था कि लोकतंत्र इमारतों के भीतर दुहाई देने या राजनीति करने तक ही सीमित रह गया है। न्याय देना तो दूर, केंद्र की सरकार इन पहलवानों से ताक़त निपटने लगी है। आख़िर वह किसे बचाने के लिए यह सब कर रही है? यह बड़ा सवाल है।

सत्ता की इस निष्ठुरता से न्याय के लड़ रहीं ये पहलवान कितनी ख़फ़ा और निराश हैं, यह इनमें से एक पहलवान साक्षी मालिक के शब्दों से ज़ाहिर हो जाता है। वह अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कहती हैं- ‘हमने पवित्रता से इन मेडल (पदकों) को हासिल किया था। इन मेडल को पहनाकर तेज़ सफ़ेदी वाला तंत्र सिर्फ़ अपना प्रचार करता है। फिर हमारा शोषण करता है। हम ये मेडल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को नहीं लौटाएँगे, क्योंकि उन्होंने हमारी कोई सुध नहीं ली। हमें अपराधी बना दिया, शोषण करने वाला ठहाके लगा रहा है। क्या हमने मेडल इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ घटिया व्यवहार करे? हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे?’

यह अच्छा ही हुआ कि अपने हितचिंतक लोगों के आग्रह पर धरना देने वाले पहलवानों ने हर की पौड़ी में अपने मेडल गंगा में बहाने का फ़ैसला टाल दिया। अन्यथा दुनिया भर में यह घटना भारतीय खेलों पर एक बड़ा सवाल लगाने की सामथ्र्य रखती थी। पहलवान मेडल बहाने के लिए हरिद्वार पहुँचे गये हैं, यह जानकारी मिलती ही भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत वहाँ पहुँचे थे और उन्होंने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।

टिकैत ने पहलवानों से बात कर केंद्र सरकार को कार्रवाई के लिए पाँच दिन का अल्टीमेटम दिया है। टिकैत ने पहलवानों से मेडल्स और मोमेंटो वाली पोटली भी अपने पास रख ली। इसके बाद सभी खिलाड़ी हरिद्वार से घर के लिए रवाना हो गये। वह दृश्य हर किसी को द्रवित कर रहा था, जब साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट क़रीब एक घंटे तक हर की पौड़ी पर बैठकर मेडल पकड़े लगातार रोते रहे। इस दौरान मेडल बहाने के पहलवानों के फ़ैसले का गंगा समिति ने विरोध किया और कहा कि ‘हर की यह पौड़ी पूजा-पाठ की जगह है, राजनीति की नहीं।’ यह समझ से बाहर की बात है कि जिस गंगा मैया में वहाँ आये श्रद्धालु अपनी मर्ज़ी से सोने-चाँदी के ज़ेवर अर्पित कर देते हैं, वहाँ मेडल बहाने पर क्यों आपत्ति होनी चाहिए?

महिला पहलवानों के यौन उत्पीडऩ के आरोपों से घिरे भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह, जो अब भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष नहीं रहे हैं; ने 5 जून को अयोध्या में महारैली बुलायी है। इसमें संत भाग लेंगे। बृजभूषण और संतों का कहना है कि पॉक्सो एक्ट का फ़ायदा उठाकर इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।

पहलवानों पर किस-किस तरह हमला किया गया इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि केरल के एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी पूर्व डीजीपी एन.पी. अस्थाना, जो बृजभूषण शरण सिंह का समर्थन कर रहे हैं; ने पहलवानों को पुलिस के जबरदस्ती धरने से उठाने पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की। अस्थाना के ट्वीट कर कहा- ‘ज़रूरत हुई तो गोली भी मारेंगे। मगर, तुम्हारे कहने से नहीं। अभी तो सिर्फ़ कचरे के बोरे की तरह घसीट कर फेंका है। दफ़ा-129 में पुलिस को गोली मारने का अधिकार है। उचित परिस्थितियों में वो हसरत भी पूरी होगी। मगर वो जानने के लिए पढ़ा-लिखा होना आवश्यक है। फिर मिलेंगे पोस्टमॉर्टम टेबल पर।’

अच्छा हुआ कि उनकी ही पुलिस बिरादरी ने उन्हें लताड़ लगा दी। इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने अपने ट्वीट में लिखा- ‘एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी का इस तरह का धमकी भरा ट्वीट परेशान करने वाला है। इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है। यह पूरे पुलिस बल की प्रतिष्ठा की छवि बिगाड़ता है।’ दबाव का ही असर था कि अस्थाना का विवादित ट्वीट अचानक ग़ायब हो गया। शायद उन्होंने डिलीट कर दिया। आरोपी बृजभूषण सिंह कहाँ पीछे रहते। उनकी भाषा देखिये। एक ट्वीट में सिंह ने लिखा- ‘महिला पहलवान विनेश फोगाट आज वही काम कर रही हैं, जो त्रेता युग में मंथरा ने किया था। इससे पहले जंतर-मंतर पर हज़ारों पहलवान धरना दे रहे थे और अब केवल तीन जोड़े (पति-पत्नी) बचे हैं। सातवाँ कोई नहीं है। जिस दिन परिणाम आएगा, हम मंथरा को भी धन्यवाद देंगे।’

एक जनसभा में इन्हीं सिंह ने यह कहा- ‘जो पहलवान प्रदर्शन कर रहे हैं, वे आज तक नहीं बता पाये कि उनके साथ कब, कहाँ और क्या-क्या हुआ? कैसे-कैसे हुआ? आप सौभाग्यशाली हैं कि एक ऐसा मामला आया है, जिसमें फँसकर कभी डोनाल्ड ट्रंप को भी परेशान होना पड़ा था। यह आरोप नहीं, छुआछूत का मामला है। गुड टच-बैड टच का मामला है। मुझ पर झूठे आरोप लगाये गये हैं; लेकिन यह आरोप मुझ पर नहीं आया।’

विपक्ष के नेताओं ने भी पहलवानों से एकजुटता दिखायी। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा- ‘मेडल न बहाएँ, ये आपको बृजभूषण की कृपा से नहीं मिले हैं।’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा- ‘हमारे पहलवानों को पीटा गया और प्रताडि़त किया गया। हम उनके साथ हैं। एक व्यक्ति पर आरोप हैं, उसे गिरफ़्तार क्यों नहीं किया जा रहा?’

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- ‘राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि पहलवानों से जल्द बातचीत करें।’ पूर्व क्रिकेटर अनिल कुंबले ने कहा- ‘28 मई को हमारे पहलवानों के साथ हाथापाई के बारे में सुनकर निराशा हुई। उचित बातचीत के ज़रिये कुछ भी हल किया जा सकता है।’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा- ‘पूरा देश स्तब्ध है। पूरे देश की आँखों में आँसू हैं। अब तो प्रधानमंत्री को अपना अहंकार छोड़ देना चाहिए।’

हमने भारत में पहलवानों से बर्ताव का नोटिस लिया है। हमें प्रदर्शन स्थल जंतर-मंतर, नई दिल्ली से पहलवानों को अस्थायी हिरासत में लेने से निराशा हुई है। यदि 45 दिन के भीतर भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव नहीं हुए, तो हमें उसे निलंबित करने का फ़ैसला लेना होगा। ऐसा होने पर भारत के खिलाड़ी देश के ध्वज के साथ अंतरराष्ट्रीय मु$काबलों में हिस्सा नहीं ले पाएँगे।’’ यूनाइटेड वल्र्ड रेसलिंग (आधिकारिक बयान)

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मेडल लौटाने पर मन नहीं माना। राष्ट्रपति कुछ नहीं बोलीं। प्रधानमंत्री ने हमें अपने घर की बेटियाँ बताया था; लेकिन एक बार भी सुध नहीं ली। हमें मुखौटा बना फ़ायदा लेने के बाद हमारे उत्पीडक़ के साथ खड़ा हो जाने वाला हमारा अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर रहे हैं। अब लोगों को सोचना होगा कि वे अपनी इन बेटियों के साथ खड़े हैं या इन बेटियों का उत्पीडऩ करने वाले उस तेज़ सफ़ेदी वाले तंत्र के साथ।’’ साक्षी मलिक (एक ट्वीट में)