पश्चिमी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में किसे चुनेगा किसान !

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश न केवल सुर्खियों में है बल्कि यहां की बाजी जीतने के लिए सभी दलों ने ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा रखा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को चार्टलैंड व गन्ना बेल्ट भी कहा जाता है। इस इलाके में ‘जय जवान, जय किसान’ नारा सटीक बैठता है। यहां के जाट खेती तो करते ही है साथ ही सीमा पर जाकर देश की रक्षा भी करते है।

इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश इसलिए भी खास है क्योंकि किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत इसी इलाके (सिसौली) से है। और लगभग एक साल चला किसान आंदोलन का असर सियासी समीकरणों पर भी पड़ता नज़र आ रहा है।

किसान आंदोलन समर्थकों का मानना है कि भाजपा को किसान आंदोलन का नुकसान ज़रूर होगा। क्योंकि जाट भाजपा से नाराज़ है। जबकि भाजपा का दांवा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसे पहले से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी।

भाजपा के कद्दावर नेता व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना में घर-घर जाकर भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह के लिए चुनाव प्रचार कर पर्चे भी बांटे। अमित शाह ने वहां हिंदुओं के पलायन, 2013 के मुजफ्फरनगर के दंगों को बड़ा मुद्दा बनाया।

तहलका संवाददाता ने जब कैराना से भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह से बात की तो उन्होंने बताया, “मैं पिछले दो दिनों में ना केवल हिंदू परिवारों से मिली बल्कि सभी जातियों के घर गई और मुझे सभी से एक समान इज्जत व आदर मिला। यहां भाजपा से कोई भी नाराज नहीं है। बल्कि इस बार कैराना में भाजपा की ही जीत होगी।”

तहलका संवाददाता ने भाजपा सरकार में कैबिनेट गन्ना मंत्री व थानाभवन विधायक (उत्तर प्रदेश) सुरेश राणा से बातचीत की और लम्बे समय से लंबित गन्ने की पेमेंट व गन्ने की रिकवरी से नाराज किसान की परेशानी पर उसे जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि, “मैं आपकी बात से सहमत हूं। जो भी आपने कहा है हमें इस बात से बिल्कुल भी आपत्ति नहीं है और वो इसलिए क्योंकि लगातार 120 चीनी मिल उत्तर प्रदेश में है 94 मिले ऐसी है जिसका भुगतान 14 दिनों के अंतर्गत किया जा रहा है, 12 मिले ऐसी है जिनका करंट का भुगतान 75 प्रतिशत तक किया जा चुका है।

बाकी बची 10 मिले और यह वह मिले है जो कि बजाज ग्रुप की थी जो कि बहुत ही कठिनाई और भुगतान में रही है। यह मिले 2004 में लगी थी तबसे लगातार यह मिले कठिनाई में ही रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण चीनी के पैसे को अन्य उद्योग में परिवर्तित (डाइवर्ट) करना था। भाजपा सरकार ने यह डाईवर्जन रोक दिया। इसके साथ ही सरकार के पास भुगतान करने के केवल दो तरीके थे जिसमें पहला तरीका मिल की आरसी करने का और दूसरा तरीका मिल की एफआईआर करने का। और यदि हम आरसी करते है तो उसका कितना बकाया है उसका 10 प्रतिशत टैक्स सरकार को चला जाएगा।

उन्होंने आगे कहा, तो मैं योगी जी का धन्यवाद करूंगा की वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री है प्रदेश के जिन्होंने चौधरी चरण सिंह जी से प्रेरित हो कर यह कानून बनाया कि यदि कोई शुगर मिल भुगतान नहीं करती तो सभी सिस्टर कंसर्न कंपनियों को जब्त करके हम गन्ना किसानों का भुगतान सुनिश्चित करेंगे। और कानून के उसी क्रम में जद में सबसे पहले बजाज ग्रुप आया और ढाई महीने पहले कानून बना और हमने 1 हजार करोड़ रूपया बजाज एनर्जी से लेकर किसानों का भुगतान करना सुनिश्चित किया और आज यहां एक भी रुपया बकाया नहीं है।”

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांटे की टक्कर मुख्य रूप से भाजपा और सपा इन दो पार्टियों के बीच मानी जा रही है। वहीं दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) व कांग्रेस भी चुनाव में जीत हासिल करने के लिए जद्दोजहद में लगी हुई है। किंतु उत्तर प्रदेश चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन भी ग्राउंड जीरो पर बेहद पसंद किया जा रहा है।

बड़ौत के किसानों से बातचीत तो उन्होंने बताया की गन्ने की रिकवरी व सही समय पर गन्ने की पेमेंट पिछले एक साल से ना होने से हमें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही युवाओं के लिए रोजगार की भी कोई व्यवस्था नहीं है।

तहलका संवाददाता ने कैराना जिले में स्थित ‘कैरियर वील्स’ नाम की कंपनी के मालिक से बातचीत तो उन्होंने बताया कि, “पहले यहां डकैती, लूटमार और फिरौती का बेहद खौफ था। और शाम को कंपनी में काम करते हुए यदि कोई वर्कर लेट हो जाता था तो वह घर न जाकर कंपनी में ही सो जाता था। साथ ही उनकी कंपनी में पहले एक भी महिला नहीं हुआ करती थी लेकिन जब से योगी आदित्यनाथ जी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने है तब से हमारी कम्पनी में आज 25 से 30 के करीब महीलांए है। जो कि ऐसे जगह पर बेहद बड़ी बात है। और आज हमारे वर्कर यदि शाम को काम करते हुए देर-सवेर हो भी जाए तो निश्चिंत होकर अपने घर जाते है।“

इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव किसान आंदोलन व गन्ने पर सिमट गया है। इस बार का चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि किसान नाराज़ है। लेकिन सभी पार्टियां हर बार की तरह इस बार भी चुनाव प्रचार में नए-नए तमाम वादे कर रही है। जहां साफ तौर पर भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन इन दो पार्टियों के बीच आर पार की लड़ाई दिख रही है। लेकिन उत्तर प्रदेश का किसान इन दोनों में किसे चुनेगा।