‘पक्षपात का करेगा, मीडिया तो यहां सरकारे चलाने में लगा हुआ है’

inबात 28 अक्टूबर की है. पटना में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों और नरेंद्र मोदी की रैली के ठीक अगले दिन की. शाम करीब चार बजे राष्ट्रीय जनता दल नेता राबड़ी देवी के आवास पर दो बसें पहुंचती हैं. इनमें पटना के अलग-अलग इलाकों की कुछ मुस्लिम महिलाएं हैं. राबड़ी इनसे गले मिलती हैं. महिलाएं बताती हैं कि वे अपने नेता लालू प्रसाद यादव की जल्द से जल्द रिहाई की दुआ मांग रही हैं और राबड़ी देवी को भरोसा दिलाने आई हैं कि अल्लाह की मेहरबानी होगी, लालू जी जेल से जल्द छूटेंगे.

ये महिलाएं आई थीं या लाई गई थीं, यह राजनीतिक गलियारों में बहसबाजी या चटकारे लेकर सुनने-सुनाने का मसला हो सकता है, लेकिन उन महिलाओं से मिलने पहुंची राबड़ी देवी में छलक रहा आत्मविश्वास कुछ अलग संदेश दे रहा था. इस छोटे से अवसर को कवर करने कुछ पत्रकार भी पहुंचे थे. उनके साथ राबड़ी का व्यवहार उनका एक नया रूप दिखा रहा था. वे राबड़ी जो धीरे-धीरे एक सधे हुए नेता की तरह बर्ताव करने लगी हैं. राबड़ी ने खुद कम बोला, और वहां पहुंची महिलाओं को सामने कर दिया. पत्रकार राबड़ी को घेरने की कोशिश करते रहे, राबड़ी जवाब के बजाय प्रतिप्रश्न करके उन्हें गच्चा देती रहीं. उनके हाव-भाव देख साफ लग रहा था कि उन्हें इतना तो अच्छे से मालूम हो गया है कि मीडिया के फेरे में फंसने के बजाय उसे अपने फेरे में फंसा देना या साध लेना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है और एक चतुर नेता की यही पहचान भी होती है. वे मीडियावालों को नजरअंदाज करके, सबको छोड़कर अपने सरकारी आवास के बाहर तक उन महिलाओं को विदा करने चली गईं. विदा करते वक्त कइयों से गले भी मिलीं. बहुत देर तक पत्रकार भीतर ही उनका इंतजार करते रहे. फिर पता चला कि आज मीडिया से जो बात होनी थी हो गई. अब वे किसी से नहीं मिलेंगी.

हमारी ओर से बातचीत करने का आग्रह उनके बड़े बेटे तेजप्रताप करते हैं. राबड़ी देवी बातचीत को तैयार होती हैं तो फिर खुलकर बात करती हैं. अहाते में ही घूमते हुए उनसे लंबी बातचीत होती है. उनसे हुई बातचीत के अंश भरसक उनके ही अंदाज में :

आप नीतीश कुमार सरकार की सबसे बड़ी विफलता क्या मानती हैं?
ई तो आप भी देख ही रहे हैं. रोजे बलात्कार हो रहा है. हत्या हो रहा है. लोग केस लिखवावे थाना में जा रहा है तो भगा दिया जा रहा है. गरीब लोग के सुनवाइये नहीं है ई सरकार में. गरीब के तो समझिये नहीं रहा है सरकार. आजे जहानाबाद में हमरा पार्टी के नेता के दुनो हाथे काट दिया है. यही सब तो हो रहा है ई सरकार में.

आपकी पार्टी के नेताओं पर हमला क्या जान-बूझकर हो रहा है?
और का, एकदम जानबूझ के हो रहा है.

आपके नेता बनने से आपकी पार्टी में कुछ वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी की भी खबर आई. क्या अब भी नाराज हैं कुछ लोग?
कोई नाराज नहीं है. सब मनगढ़ंत बात है. हमारा पार्टी पहले से ज्यादा मजबूत हुआ है और एकजुट हुआ है. इसके पहले जो कार्यकर्ता-नेता थोड़ा बहुत बिखरल था, उ लोग भी एकजुट हो गया है. हर जिला में, हर क्षेत्र में पार्टी की मीटिंग हो रही है.

आप नहीं जा रही हैं कहीं पार्टी के सम्मेलन में?
जाएंगे, छठ पूजा के बाद से जाएंगे.

मुख्य मुद्दा क्या होगा पार्टी का चुनाव में?
मुद्दे-मुद्दा है. मुद्दा बताने की जरूरत नहीं है बिहार में. रोज-रोज तो दिखाइये पड़ रहा है. भ्रष्टाचार, गरीबों पर जुल्म-अत्याचार बढ़ा है. एक बड़ा मुद्दा तो लालू जी के जेल भेजे जाने का ही है. देखिएगा उ कितना बड़ा मुद्दा बनेगा और उसका असर भी देखिएगा.

मुद्दा तो महंगाई भी है. महंगाई का मसला उठाइएगा?
महंगाई हइये है बड़ा मुद्दा. उठाएंगे. गरीब लोग दिक्कत में है महंगाई से.

महंगाई मुद्दा उठाइएगा तो कांग्रेस के खिलाफ जाएगा. कांग्रेस का विरोध करेंगी?
महंगाई में खाली केंद्र सरकार के रोल नहीं होता है. राज्य सरकार के भी ओतने रोल होता है. केंद्र में अटल बिहारी जी का सरकार था तब निमक 100 रुपइये किलो बिका रहा था. हम लोगों का तब बिहार में राज था. कहां बिहार में 100 रुपइये हुआ था निमक? राज्य सरकार चाहेगी तो महंगाई रोक सकती है. बिहार में महंगाई नीतीश के देन है.

पटना में बम विस्फोट हुए, उस पर क्या कहिएगा?
उस पर हम क्या कहें. घटना निंदनीय है. केंद्र सरकार के एजेंसी जांच कर रही है. जो हुआ, वह गलत हुआ. आजादी के रैली में विस्फोट आज तक देश में कहीं नहीं हुआ था, देश का दुनिया में भी ऐसा कहीं नहीं होता लेकिन बिहार में हुआ. पूरा देश के लोग, पूरा बिहार के लोग सहमा हुआ है. राज्य सरकार की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुली. पूरी तरह राज्य सरकार की विफलता है.

भाजपा सरकार से इस्तीफा मांग रही है. लगातार हो रही घटनाओं के बहाने राष्ट्रपति शासन की मांग भी की जा रही है. आपकी पार्टी भी क्या इस मांग के समर्थन में है?
नहीं, हम इस्तीफा नहीं मांग रहे हैं, ना राष्ट्रपति शासन की मांग कर रहे हैं. हम तो यही मांग कर रहे हैं कि सरकार ईमानदारी से काम तो करे. काम करने के लिए ही सरकार बैठी है, स्थिति नियंत्रण में करे. हम सरकार से इस्तीफा नहीं मांगेंगे, जनता सब देख रही है.

नरेंद्र मोदी की रैली का बहुत शोर था. कुछ लोग कह रहे हैं कि बिहार में सब रैली का रिकॉर्ड टूट गया है.
मीडियावाले ही कह रहे हैं कि रैली बहुत सफल रहा. लालू जी की रैली से तुलना कर रहे हैं. लालू जी के रैली में जितना गरीब-गुरबा और गांव-देहात से लोग जुटता है, उतना कउनो पार्टी के रैली में कब्बो नहीं जुट सकेगा. हां, ई बात है कि नीतीश कुमार के अधिकार रैली से थोड़ा ज्यादा भीड़ था इसमें.

नरेंद्र मोदी ने कल लालू जी की तारीफ भी की है और कहा है कि जब लालू जी का एक्सीडेंट हुआ था तो उन्होंने प्रेम से हालचाल लिया था.
कर्टसी में कोई भी पूछ सकता है. दुश्मन से दुश्मन आदमी भी पूछता है. गांव में कहावत है कि दरवाजा पर दुश्मन भी आए तो उसको भी पीढ़ा देके बिठाया जाता है. एक बार तारीफ किए आउर फिर तुरंत जंगलराज बोलने लगे तो सब तारिफ के भैलुए खतम हो गया. बार-बार जंगलराज हमहीं लोग के शासन को न कह रहे थे. जंगलराज हमरा 15 साल के शासन में था कि नीतीश के आठ साल के शासन में है? सबको समझ में आ गया है अब.

नरेंद्र मोदी ने तो बिहार के यादवों को यदुवंशी बताकर द्वारका से रिश्ता जोड़कर उनकी चिंता करने की बात कही. बिहार के मुसलमानों पर भी पासा फेंका. यह तो आपके आधार वोट में ही सेंधमारी की कोशिश हुई न!
यदुवंशी के इयाद आ रहा है और आज उनकी चिंता करने आए हैं. तब कहां थे जब गुजरात में कांड हो रहा था. यदुवंशी हमरा साथे है, हमरा साथे रहेगा. पहिले से भी जादा मजबूती से. थोड़ा-बहुत बिखराव भी था तो अब तो एकजुट हो गया है. रही बात माइनोरिटी के तो सबको समझ में आ रहा है. इतना बुड़बक नहीं है माइनोरिटी लोग. गुजरात में दंगा कौन करवाया, ई जानता है लोग आउर दंगा के बाद रेल मंत्री ना वहां देखने गये थे, न कुछ बोले थे, न इस्तीफा दिए थे, ई सब जानता है लोग. उनके कुछ कहने से कुछो नहीं होता है. माइनोरिटी, यदुवंशी, सब गरीब-गुरबा लालूजी के साथ हमेशा रहा है, रहेगा.

नरेंद्र मोदी की आंधी का क्या हाल होगा?
नरेंद्र मोदी के आंधी मीडिया में है. मीडियेवाला लोग आंधी बता रहा है.

आप मीडिया से नाराज दिख रही हैं. क्या बिहार में मीडिया पक्षपात कर रहा है?
पक्षपात का करेगा, मीडिया तो यहां सरकारे चलाने में लगा हुआ है. मीडिया सरकार चला रहा है. हमारे समय में एक भी कुछ होता था तो 20-20 दिन तक उसको लाल किया जाता था. (अखबारों में घोटाले की खबर का शीर्षक लाल रंग में होने के चलन की तरफ संकेत) लाल-लाल रंगा रहता था. अब नीतीश के राज में उ ललका सियाहिये सुखा गया है मीडिया का. कुछ हो जाये, ललका सियाही का रंग कभियो दिखता है?

जगन्नाथ मिश्र को जमानत मिल गई. लालू जी को अब तक नहीं मिली.
बहुत को मिला है. अलग-अलग कारण रहे हैं सबके. हम लोगों को न्यायालय पर पूरा भरोसा है. न्याय मिलेगा, हम लोगों को विश्वास है.