पंजाब चुनाव को लेकर हलचल तेज मतदान 20 फरवरी को है

आगामी 20 फरवरी को होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। पंजाब में कुल 117 विधानसभा सीटें है। इस बार का चुनाव पिछली बार की तुलना में काफी हट के है। क्योंकि इस बार दो नये दलों का उदय होने से चुनावी रंगत कुछ और है।
बताते चलें 2017 में आम आदमी पार्टी के पंजाब में चुनाव लड़ने से पंजाब की सियासत में नये प्रयोग हुये है। वहां के लोगों ने राजनीति में बदलाव को महत्व भी दिया है। वहीं 2021 में किसान आंदोलन से निकली किसानों की पार्टी ने भी पंजाब की सियासत में नया रख पैदा किया है। और 2021 में ही  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने कांग्रेस को छोड़कर नयी पार्टी  पंजाब लोक कांग्रेस बनाकर भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव में अपना सियासी समीकरण साधा है।
वैसे पंजाब में कांग्रेस और अकाली दल-भाजपा के साथ गठबंधन होने की वजह से दोनों ही दलों कांग्रेस और अकाली दल के बीच ही चुनावी जंग होती रही है। लेकिन इस बार चुनाव पूरी तरह पंचकोणाीय चुनाव हो रहा है।पंजाब के जानकार जत्थेदार दर्शन सिंह का कहना है कि पंजाब में मौजूदा सियासत को भांप पाना मुश्किल है। क्योंकि जिस तरीके से पंजाब में जाति और धर्म को लेकर सियासत हो रही है। जो अभी तक के इतिहास में कभी नहीं हुई है। इस लिहाज से पंजाब  के चुनाव  परिणाम चैौंकाने वाले होगें। 
बताते चलें पंजाब की सियासत का अपना मिजाज है और अपने तौर तरीके है। पंजाब एक सम्पंन्न राज्य है। जो सिख धर्म गुरूओं की धरती है। जहां से धर्म का प्रचार -प्रसार भी हुआ है। वीरों और बलिदानों की भूमि है। पंजाब ने मुगलों के लेकर अंग्रेजों से जंग लड़ी और जब आतंकवाद आया तो उन्होंने आतंकियों को लोहे के चने चबवायें। पाकिस्तान की सीमा से सटें होने की वजह से पाकिस्तानियों के सामने सीना तान के खड़े हुये है।दर्शन सिंह का कहना है कि एक दौर था जब पंजाब में कल काऱखाने थे।
यहां की साइकिल और हौजरी के कारोबार को लेकर पूरी दुनिया में डंका बजा है। लेकिन दो दशकों से सियासत में गिरावट आने से यहां के कारखानों -फैक्ट्रियों में कमी आयी है। जिससे यहां के लोगों का पलायन अन्य राज्यों की ओर हुआ है। पंजाब में इस समय अगर सबसे बड़ी समस्या है तो नसा की है। उसको  लेकर कोई भी राजनीतिक दल कुछ भी बोलने से  डर रहा है।पंजाब के किसानों के साथ काफी अन्याय  हो रहा है। फिर भी सियासत दांन चुप है। महगांई और बेरोजगारी से लोगों का बुराहाल है।