नेशनल हेराल्ड मामला, रियल एस्टेट का खेल!

यह सन् 2013 की बात है, जब भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक निचली अदालत में याचिका के ज़रिये यह आरोप लगाया कि गाँधी परिवार ने धोखाधड़ी से नेशनल हेराल्ड समाचार पत्रों की प्रकाशन कम्पनी का अधिग्रहण किया था। अब साल 2022 में एक साक्षात्कार में अर्थशास्त्री से राजनेता बने स्वामी ने कहा है कि इस मामले में उपलब्ध सभी तथ्यों के आधार पर सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और अन्य को निश्चित रूप से जेल में डाल दिया जाएगा। अगर भाजपा सरकार सत्ता में रहती है, तो उन्हें निश्चित रूप से जेल में डाल दिया जाएगा।

सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि पूरा लेन-देन प्रमोटरों ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की अचल सम्पत्ति हासिल करने के लिए दुर्भावनापूर्ण तरीक़े से अंजाम दिया था। रियल एस्टेट रिसर्च फर्म लिएसस फोरास, जिसे डाटा और सलाहकार सेवाओं की पेशकश करने वाली एक अत्यधिक सम्मानित ग़ैर-ब्रोकरेज रियल एस्टेट रिसर्च फर्म होने का दर्जा हासिल है; ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा आयोजित अचल सम्पत्ति के सन् 2010 से सन् 2016 तक अनुमानित बाज़ार मूल्य वृद्धि पर ध्यान दिया।

कुल अचल सम्पत्ति
यह अनुमान लगाया गया कि 63,750 वर्ग फुट में फैली दिल्ली की सम्पत्ति सन् 2010 में 28.69 करोड़ रुपये थी, जो सन् 2016 तक बढक़र 57.38 करोड़ रुपये हो गयी। क़रीब 69,610 वर्ग फुट में फैली लखनऊ की सम्पत्ति इस दौरान 3.48 करोड़ रुपये से बढक़र 6.96 करोड़ रुपये हो गयी। वहीं 37,660 वर्ग फुट में फैली पंचकूला की सम्पत्ति इन्हीं छ: वर्षों में 7.53 करोड़ रुपये से बढक़र 13.18 करोड़ रुपये हो गयी थी। इसी तरह मुम्बई के बांद्रा के उपनगर में 26,508.605 वर्ग फुट में फैली सम्पत्ति का मूल्य सन् 2010 में 29.16 करोड़ रुपये था, जो सन् 2016 में 45.06 करोड़ रुपये पर पहुँच गया। एजेएल के पास 31 मार्च, 2021 तक नई दिल्ली और पटना में लीजहोल्ड ज़मीन थी। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत भूमि और विकास कार्यालय द्वारा 1962 में 4,88,599 रुपये में नई दिल्ली की ज़मीन लीज पर दी गयी थी, जहाँ आज हेराल्ड हाउस है।

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के शुरुआती शेयरधारक के रूप में शुरुआत में 5,000 से अधिक स्वतंत्रता सेनानी थे। हालाँकि सितंबर, 2010 तक नई दिल्ली, लखनऊ, भोपाल, मुम्बई, इंदौर, पटना और पंचकुला में एजेएल के 1,057 शेयरधारक और करोड़ों की सम्पत्ति थी। दिल्ली में हेराल्ड हाउस अपने आप में एक छ: मंज़िला इमारत है, जिसमें लगभग 10,000 वर्ग मीटर कार्यालय की जगह है। अपने धन के बावजूद एजेएल का उत्पाद (नेशनल हेराल्ड) सन् 2008 में गम्भीर नक़दी संकट के कारण बन्द हो गया।

कांग्रेस का पक्ष
जाँच के केंद्र में 90 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण है, जिसे कांग्रेस ने 2001 से समय-समय पर अपने फंड से एजेएल को दिया है। कांग्रेस का बचाव इस तथ्य में निहित है कि यंग इंडियन धारा-25 के तहत बनी एक ग़ैर-लाभकारी कम्पनी के रूप में पंजीकृत है। एजेएल को सन् 1956 के कम्पनी अधिनियम की धारा-25 के तहत कम्पनी के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जिसका अर्थ है कि एक ग़ैर-लाभकारी संगठन के रूप में पंजीकृत कम्पनी, जो दान, विज्ञान, शिक्षा, संस्कृति और अन्य सामाजिक चीज़ों को बढ़ावा देती है, और इसके मालिक एक नियमित कम्पनी की तरह लाभ या लाभांश प्राप्त नहीं कर सकते हैं। 23 नवंबर, 2010 को यंग इंडियन नामक एक और धारा-25 कम्पनी शुरू की गयी थी। सन् 1937 में एजेएल की तरह यंग इंडियन को 5,00,000 रुपये की चुकता पूँजी के साथ शामिल किया गया था और उसी 5ए, हेराल्ड हाउस, बहादुर शाह जफ़र मार्ग पते के साथ पंजीकृत किया गया था।

कहाँ हुई चूक?
13 दिसंबर, 2010 को राहुल गाँधी को यंग इंडियन का निदेशक नियुक्त किया गया था और एक महीने बाद 22 जनवरी, 2011 को सोनिया गाँधी निदेशक मंडल में शामिल हो गयीं। 31 मार्च, 2021 तक सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी (प्रत्येक) की यंग इंडियन में 38 फ़ीसदी हिस्सेदारी (1,900 शेयर) थी। वहीं पूर्व राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मोती लाल वोरा और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत ऑस्कर फर्नांडीस में से प्रत्येक के पास 12 फ़ीसदी हिस्सेदारी यानी 600 शेयर थे। वोरा का 21 दिसंबर, 2020 को निधन हो गया, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री फर्नांडीस का 13 सितंबर, 2021 को निधन हो गया। 30 मार्च, 2022 तक उनके शेयरों के ट्रांसमिशन के लिए कोई अनुरोध नहीं किया गया था।

यंग इंडियन के निदेशक के रूप में राहुल गाँधी की नियुक्ति के लगभग एक हफ़्ते बाद कांग्रेस ने यंग इंडियन को एजेएल का ऋण सौंपा, जिसका मतलब था कि एजेएल पर अब यंग इंडियन का 90 करोड़ रुपये बक़ाया है। दिलचस्प बात यह है कि यंग इंडियन ने कांग्रेस को 90 करोड़ रुपये का ऋण ख़ुद पर ट्रांसफर करने के लिए केवल 50 लाख रुपये का भुगतान किया। 21 दिसंबर 2010 को एजेएल के बोर्ड ने यंग इंडियन को संचित ऋणों के आवंटन को मंज़ूरी दी। लेकिन राशि का भुगतान करने में असमर्थ एजेएल ने इसके बजाय अपनी इक्विटी का एक हिस्सा यंग इंडियन को हस्तांतरित कर दिया, जिसका अर्थ है कि सोनिया और राहुल द्वारा नियंत्रित निजी कम्पनी सार्वजनिक रूप से सीमित एजेएल का अधिग्रहण कर रही थी और एजेएल के साथ वे कथित तौर पर सात शहरों में मूल्यवान अचल सम्पत्ति सम्पत्तियों को नियंत्रित करना चाहते थे।

कांग्रेस शासन में प्रकाशन बन्द
01 अप्रैल, 2008 को दिल्ली में अख़बार के अन्तिम संस्करण के आने के साथ नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन बन्द हो गया। लखनऊ संस्करण उससे 10 साल पहले ही बन्द हो चुका था। सन् 2008 को एडिटर-इन-चीफ टीवी वेंकटचलम को शीर्ष पर रहते हुए 20 वर्ष हो चुके थे। आख़िरी संस्करण में एक नोटिस के ज़रिये समाचार पत्र के अस्थायी निलंबन की घोषणा की गयी। वेंकटचलम ने समापन की पूर्व संध्या पर घोषणा की कि ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के प्रबंधन द्वारा नेशनल हेराल्ड और क़ौमी आवाज़ को अस्थायी रूप से बन्द करने की घोषणा की गयी थी, जिसने अख़बार का प्रकाशन किया था।’

अख़बार के बन्द होने का कारणों में अत्यधिक स्टाफ, मुख्य रूप से प्रेस और ग़ैर-पत्रकारों की वजह से होने वाली हानियाँ और विज्ञापनों से होने वाली आय की कमी जैसे कारण शामिल थे। 31 अगस्त, 2016 को कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड और नवजीवन के पुनरुद्धार की घोषणा की। नीलाभ मिश्र, जो पहले आउटलुक (हिन्दी) के सम्पादक थे; प्रधान संपादक बनाये गये। विडंबना यह है कि सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर याचिका के आधार पर दिल्ली की एक न्यायालय ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और तत्कालीन पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गाँधी को नोटिस जारी करने के कुछ दिन बाद पुनरुद्धार की घोषणा की। उन्होंने आरोप लगाया कि एजेएल को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का ऋण अवैध था, क्योंकि एक राजनीतिक दल को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 29(ए) से लेकर (सी) तक और आयकर अधिनियम-1961 की धारा-13(ए) के तहत व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पैसा उधार देने पर रोक लगी है।

कोलकाता फर्म की भूमिका
नेशनल हेराल्ड मामले में कोलकाता स्थित एक कथित फ़र्ज़ी फर्म की संलिप्तता का भी आरोप लगाया गया है। स्वामी के अनुसार, डोटेक्स नाम की फर्म से एक करोड़ रुपये लिये गये थे, जिस पर उन्होंने हवाला लेन-देन और धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) में शामिल होने का आरोप लगाया था। उनका दावा है कि इस रक़म में से 50 लाख रुपये का इस्तेमाल एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के अधिग्रहण में किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने स्विट्जरलैंड स्थित बैंकों से डोटेक्स को चेक जारी किये थे। डोटेक्स ने उन पैसों को आईएनआर में बदल दिया था और कांग्रेस को भुगतान कर दिया था। इसी से यह धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का स्पष्ट उदाहरण बन गया।
इस साल जून में मामले ने तब फिर तूल पकड़ लिया, जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को समन जारी किये। राहुल गाँधी से 13 जून, 14 जून, 15 जून, 20 जून और 21 जून को क़रीब 55 घंटे तक पूछताछ की गयी। वहीं सोनिया गाँधी से 21 जुलाई को, 26 जुलाई को और 27 जुलाई को कुल 11 घंटे की पूछताछ की गयी। पूछताछ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े और यंग इंडिया के एक पदाधिकारी से भी की गयी, जो 11 अप्रैल और 4 अगस्त को कुल 12 घंटे तक चली। कांग्रेस के अंतरिम कोषाध्यक्ष पवन बंसल, जो एजेएल के एमडी भी हैं; से 12 अप्रैल को पूछताछ की गयी थी।

वर्तमान परिदृश्य
राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी को ईडी की तरफ़ से इस मामले में पूछताछ के लिए तलब करने के प्रत्येक दिन कांग्रेस के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। वरिष्ठ नेताओं ने गिरफ़्तारी भी दी। सोनिया गाँधी से पूछताछ के एक हफ़्ते बाद ईडी ने 2 अगस्त को दिल्ली के बहादुर शाह जफ़र मार्ग स्थित नेशनल हेराल्ड के हेड ऑफिस और कोलकाता में ‘डोटेक्स’ शेल कम्पनी के ठिकाने समेत 11 अन्य जगहों पर छापेमारी की गयी। ईडी ने 3 अगस्त को नेशनल हेराल्ड के परिसर में यंग इंडियन के कार्यालय स्थान को भी अस्थायी रूप से सील कर दिया। इस मामले में अब आगे क्या होगा, यह समय ही बताएगा।