नेतृत्व को हार का जिम्मा भी लेना चाहिए : गडकरी

विधानसभा चुनाव में हार के बाद पहले बार ''नेतृत्व'' पर निशाना

आरएसएस के नजदीकी माने जाने वाले पूर्व भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री
नितिन गडकरी ने कहा है कि ”नेतृत्व” को हार की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे और तीन में कांग्रेस से भाजपा की सीधी हार के बाद किसी भाजपा नेता का यह पहला ऐसा ब्यान है जिसमें ”नेतृत्व” को लेकर ऐसी कोइ टिप्पणी की गयी है।
गडकरी को उनकी साफगोई के लिए जाना जाता है। दिलचस्प है कि कुछ रोज पहले ही महाराष्ट्र के एक बड़े किसान नेता ने गडकरी को २०१९ के लोकसभा चुनाव में पीएम कैंडिडेट के तौर पर आगे करने की मांग की थी। वसंतराव नाइक शेती स्वाबलंबन मिशन (वीएनएसएसएम) के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के चर्चित किसान नेता किशोर तिवारी, जिन्हे राज्य मंत्री का दर्ज़ा भी सरकार से मिला हुआ है,  ने आरएसएस को बाकायदा चिट्ठी लिखकर उससे आग्रह किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह अब केंद्रीय मंत्री और नागपुर से सांसद नितिन गडकरी को आगे करके पीएम कंडीडेट बनाया जाए।
तिवारी ने चिट्ठी में कहा कि ”आरएसएस प्रमुख को पार्टी की कमान गडकरी के हाथों में सौंप देनी चाहिए ताकि आमलोगों के बीच भयमुक्त माहौल का  निर्माण हो  और विश्वास का वातावरण बने। तिवारी के मुताबिक गडकरी ऐसे नेता हैं जो सभी गठबंधन दलों को साथ लेकर भी चल सकते हैं। तिवारी का यह भी कहना है कि जनविरोधी और किसान विराेधी नीतियों की वजह से भाजपा को तीन राज्यों में सत्ता गंवानी पड़ी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक तिवारी ने कहा कि हाल में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद केंद्रीय नेतृत्व की  तानाशाही के बारे में पार्टी के भीतर और बाहर चर्चा होने लगी है। ”कहा जाने लगा है कि हार की वजह अहंकारी नेता हैं, जिन्होंने नोटबंदी, जीएसटी, तेल के दामों में वृद्धि जैसे जनविरोधी फैसले लागू किए। सही देखरेख न होने से  एलपीजी और मुद्रा स्कीम जैसी योजनाएं फेल हो गईं। ऐसे नेता जो तानाशाही का दृष्टिकोण रखते हैं, वे समाज और देश के लिए खतरनाक है। पार्टी को उदार नेतृत्व की जरूरत है, जो सच में विकास कर सकें।”
अब नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि ”नेतृत्व को हार और विफलताओं” की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। भाजपा नेता ने कहा कि सफलता की तरह कोई विफलता की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। गडकरी ने कहा कि सफलता के कई दावेदार होते हैं लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता। ”सफलता का श्रेय लेने के लिये लोगों में होड़ रहती है लेकिन विफलता को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता, सब दूसरे की तरफ उंगली दिखाने लगते हैं।”
गडकरी ने शनिवार को पुणे जिला शहरी सहकारी बैंक एसोसिएशन लि. की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। गडकरी ने कहा कि राजनीति में जब भी हार होती है तब कमेटी बैठती है लेकिन जब जीत मिलती है तो कोई पूछने वाला नहीं होता है क्योंकि जीत के सभी हकदार होते हैं, हार की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं होता।
रिपोर्ट्स के मुताबिक गडकरी ने कहा के राजनीति में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रत्याशी मिलने पर बहाना बनाते हैं कि पोस्टर नहीं मिला, पार्टी से पैसा मांग रहा था तो नहीं दिया। बड़े नेता की सभा मांगी थी तो वो भी नहीं हुई, कैंसिल कर दी। इस प्रकार सारा वातावरण खराब कर दिया और इन सब कारणों की वजह से हार हुई है।
गडकरी ने कहा की उन्होंने ऐसे नेताओं से कहा कि आप चुनाव हारे क्योंकि इसमें पक्ष और आप खुद लोगों का विश्वास पाने में पीछे रह गए और इसीलिए आपकी हार हुई। ”इसलिए अपने हार की जिम्मेदारी खुद लो दूसरो पर जिम्मेदारी मत डालो।”