नेताओं का पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं : मंत्री जेके सिंह

वैसे तो हर समय में नेताओं के बयान चर्चा में रहे हैं, पर आजकल इन्होंने अलग ही अपना स्थान बनाया है। पहले कहीं मूल्यों व नैतिकता का ध्यान रखा जाता था। पर, अब से पराये होते नजर आ रहे हैं। अब खुलेआम नेता-मंत्रियों के मुँह से मारो, काटो, दुष्कर्म करो, लूटो, तोड़ो, फोड़ो जैसे भड़काऊ शब्द रैलियों, जनसभाओं में दिये जा रहे हैं। खास बात ये है कि इन नेताओं पर कोई लगाम लगाता नजर भी नहीं आ रहा, ताकि आगे इस तरह के बयानों पर लगाम लगे। दिल्ली चुनाव में पहले आप से भाजपा में शामिल हुए और उम्मीदवार बनाए गए कपिल मिश्रा नेा भारत-पाकिस्तान के बीच ‘मुकाबला’ करार दिया।  बात यहीं नहीं रुकी, इसके बाद केंंद्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर देश के गद्दारों को, गोली मारो… को! जैसा नारा जनसभा में लोगों से लगवाया। इससे आगे बढ़ते हुए भाजपा ने सांसद प्रवेश वर्मा ने तो वोटरों को एक तरह से धमकाते हुए कहा कि शाहीन बाग में लाखों लोग इकट्ठा हैं, जो आप लोगों के घरों में घुसकर बहन-ब्ेटियों से दुष्कर्म करेंगे, मारेंगे-तब कोई मोदी और शाह बचाने नहीं आएगा।

अब चर्चा में नया नाम सामने आया है उत्तर प्रदेश के जेल मंत्री का बयान। यह बयान कई नेताओं और गुंडो-लुटेरों के लिए भी आदर्श वाक्य बन जाए तो कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा। योगी सरकार में जेल मंत्री जेके सिंह का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह खुले तौर पर स्वीकार करते हैं कि नेता या मंत्री बनने के लिए पढ़ा-लिखा होना कोई जरूरी नहीं है।

जेके सिंह के शब्दों में कहें तो ‘नेता कोई पढ़ा लिखा हो, इसकी उसको आवश्यकता नहीं है। मैं मंत्री हूं, मेरे पस निजी सचिव होता है, स्टाफ होता है… जेल मुझे थोड़ी चलानी है, जेल के अधीक्षक बैठे हैं, जेलर बैठे हैं, उन्हें चलानी है। इस बयान से महज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी और देश में राजनेता अपने दिल की बात कितने खुले तौर पर और सच्चाई के साथ पढ़े-लिखे लोगों के सामने पेश कर दे रहे हैं। इससे राजनीति का स्तर और आने वाले कैसे नेताओं की उम्मीद समाज से कर सकते हैं।