नीदरलैंड्स की बादशाहत बरकरार भारत का सफर क्वार्टर फाइनल तक

भारत ने महिला हाकी विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन करते हुए क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। 1978 के बाद यह पहला मौका था जब भारत ने क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। लेकिन वहां वह आयरलैंड से पेनाल्टी शूट आऊट में 1-3 से हार कर सेमी फाइनल में प्रवेश का मौका गंवा बैठा।

दूसरी और अक्तूबर 2011 से विश्व रैंकिंग में नंबर एक के स्थान पर चल रही नीदरलैंड्स की टीम ने एक तरफा फाइनल में आयरलैंड को 6-0 के भारी अंतर से हरा कर विश्व कप पर कब्जा कर लिया। इस जीत के साथ नीदरलैंड्स ने आठवीं बार यह खिताब अपने नाम कर लिया। इसके अलावा अर्जेंटीना, जर्मनी और आस्ट्रेलिया भी दो-दो बार यह खिताब जीत चुके हैं। नीदरलैंड्स और आस्ट्रेलिया ही दो ऐसी टीमें हैं जो लगातार दो बार विश्व कप जीती हैं।

1974 में जब यह टूर्नामेंट शुरू हुआ और 1978 में इसमें 10 टीमों ने भाग लिया। 1976 में 11 टीमें और 2002 में सबसे ज़्यादा 16 टीमें इसमें थी। इसके बाद खेले गए सात विश्व कप मुकाबलों में 12-12 टीमें ही हिस्सा लेती रही। 2018 के इस विश्व कप में फिर 16 टीमों को भाग लेने दिया गया है। एफआईएच इस बात पर भी विचार कर रही हे कि 2022 में 24 टीमों को इसमें भाग लेने की मंजूरी दे दे।

इस विश्व कप में नीदरलैंड्स के लिए कभी कोई चुनौती थी ही नहीं। पूल ए में खेल रही इस टीम ने अपने पूल मैचों में एक तरफा जीत दर्ज की। इसने चीन को 7-1 से, दक्षिण कोरिया को 7-0 से और इटली को 12-1 से पराजित किया। इस प्रकार उसने पहले तीन मैचों में ही 26 गोल कर डाले जबकि उस पर मात्र दो ही गोल हुए। क्वार्टर फाइनल में उसने नंबर दो टीम व मेजबान को 2-0 से और सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया को 1-1 की बराबरी पर रहने के बाद शूटआऊट में 3-1 से पराजित किया।

फाइनल मैच तो पूरी तरह से एक तरफा था। आयरलैंड की टीम जिसने पूल बी में अमेरिका को 3-1 से और भारत को 1-0 से हराया था तीसरा मैच इंग्लैंड से 0-1 से हार गई थी। क्वार्टर फाइनल में उसने भारत पर शूट आऊट में 3-1 से विजय हासिल की। सेमीफाइनल में उसका खेल निखरा और उसने स्पेन को पूरे समय तक 1-1 से रोक रखा और फिर बाद में शूट आऊट में 3-2 से जीत दर्ज कर ली। फाइनल में वह कहीं नजऱ नहीं आई और नीदरलैंड्स जैसी मज़बूत टीम ने उसके पैर उखाड़ दिए।

तीसरे स्थान के लिए खेले गए मैच में स्पेन ने दो बार की विश्व विजेता आस्ट्रेलिया को 3-1 से परास्त कर कांस्य पदक पर कब्जा कर लिया।

भारत का प्रदर्शन

भारत के लिए इस बार कम से कम सेमीफाइनल में पहुंचने का सुनहरा मौका था। पूल बी में भारत के साथ विश्व की दो नंबर की टीम इंग्लैंड, 16 नंबर की आयरलैंड और सातवें नंबर की अमेरिका का रखा गया था। पहले मैच में जब भारत ने इंग्लैंड के साथ 1-1 की बराबरी हासिल कर ली तो एक आस बंधी थी कि कुछ अच्छा हो सकता है। अगला मैच आयरलैंड के साथ था जिसने पहले मैच में अमेरिका को 3-1 से पराजित किया था। हालांकि विश्व लीग में भारत आयरलैंड से 1-2 से हार चुका था लेकिन उम्मीद थी कि युवा व अनुभव की मिश्रित भारतीय टीम आयरलैंड को हरा सकती है। भारत आक्रामक हाकी खेलने के लिए जाना जाता है। पर 2-4-4-1 की पद्धति ने भारतीय रक्षा पंक्ति को तो मज़बूती दे दी पर गोल करने की क्षमता को काफी कमज़ोर कर दिया। इसकी सबसे बड़ी मिसाल यह है कि तीन पूल मैंचों में वह मात्र दो गोल की कर पाई जब कि उस पर तीन गोल हो गए। इस तरह भारत की टीम पूल में दो ड्रा खेल दो अंकों के साथ तीसरे स्थान पर आ गई। अंक तो अमेरिका के भी दो थे, पर उनका गोलांतर -2 था जबकि भारत का -1। इस प्रकार गोलांतर के कारण भारत चार टीमों के पूल में तीसरा स्थान पा गया।

भारत की किस्मत अच्छी थी कि ‘क्रासओवरÓ मैचों में उसकी टक्कर सबसे कमज़ोर टीम इटली से हो गई। ध्यान रहे पूल मैच में नीदरलैंड्स ने इटली को 12-1 से हराया था। भारत ने यह मैच 3-0 से जीत कर क्वार्टर फाइनल में स्थान बना लिया। यहां उसका मुकाबला संयोग से फिर आयरलैंड से हो गया। भारत के पास अपनी हार का बदला लेने का सुनहरा मौका था। सभी को उम्मीद थी कि भारत पूरी तरह चढ़ कर खेलेगा और पूल मैच की हार का बदला लेने के इरादे से हमले बनाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। भारत ने एक बार भी यह नहीं दिखाया कि उसे जीतने की भूख है। उसके सारे हमले आधे दिल से किए हुए लग रहे थे। आयरलैंड की 23 मीटर की लाइन से आगे जैसे भारत को कोई लक्ष्मण रेखा दिखाई देती थी। पूरे मैच में एक बार भी वह आयरलैंड पर कोई सार्थक हमला नहीं बना पाया। भारतीय ‘थिंक टैंकÓ शायद यह भूल गए कि मैच जीतने के लिए गोल करने ज़रूरी होते हैं। अपने गोल की रक्षा से आप बचाव तो कर सकते हैं पर मैच जीत नहीं सकते। टीम के कोच सजोर्ड मेरिजन ने बाद में कहा भी कि हमने पूरा ज़ोर रक्षण पर दिया था, इसी कारण पूरे टूर्नामेंट में हम पर मात्र तीन ही गोल हो सके। उनकी यह बात सही है, पर विश्व कप में टीमें जीत के लिए जाती हैं। प्रयोग का समय ऐसे टूर्नामेंटों से पहले होता है।

यदि भारतीय टीम के आयरलैंड के साथ पूल मैच की बात करें तो आयरलैंड की एक ही खिलाडी आना ओ फलैनगन ही भारत से जीत छीन उसे पराजय का हार पहना गई। 170 मैचों का अनुभव लिए आना ने दोनों फ्लैंकस से ज़ोरदार हमले तो बनाए ही साथ उसने भारत के सात पेनल्टी कार्नरों को बेकार करने में भी अहम भूमिका निभाई। आयरलैंड को पता था कि भारत के हमले मध्य मैदान से बनते हैं जहां रानी रामपाल, वंदना कटारिया, लिलिया मिंज और नेहा गोयल मौजूद रहती हैं। इस कारण उन्होंने जितना हो सका गेंद को भारतीय खिलाडिय़ों से दूर रखा। भारत ने मिले सातों पेनल्टी कार्नरों पर कुछ नहीं किया। उनमें कोई विविधता या तेजी नहीं दिखाई। कोई ‘इन डायरेक्टÓ शाट नहीं लिया। आयरलैंड को एक ही पेनल्टी कार्नर मिल जिसे आना ने गोल में मोड़ कर टीम को जीत दिला दी।

यह सही है कि भारत की रक्षा पंक्ति अच्छा खेली और उस पर पांच मैचों में तीन ही गोल हुए लेकिन यदि उसे एशिया खेलों में कुछ करना है तो गोल करने भी सीखने होंगे। वैसे भी कोरिया, चीन और जापान से जीतना इतना सहज नहीं होगा।

विश्व रैंकिंग में भारत नौवें स्थान पर

भारतीय महिला हाकी टीम ने विश्व के क्र्वाटर फाइनल में प्रवेश कर अपनी रैंकिंग में एक कदम का सुधार किया है। 1138 अंकों के साथ वह अब नौवें स्थान पर है। उसके बाद दक्षिण कोरिया 10वें, चीन 11वें और अमेरिका 12वें स्थान पर हैं। विश्वकप में खराब प्रदर्शन के कारण इन टीमों की रैंकिंग में गिरावट आई है। कोरिया की टीम नौवें से 10वें स्थान पर चीन आठवें से 11वें स्थान पर और अमेरिका सातवें से 12वें स्थान पर खिसक गया है।

रैंकिंग में सबसे ऊंची छलांग विश्वकप के उपविजेता आयरलैंड ने लगाई है। वह 16वें स्थान से सीधा आठवें स्थान पर पहुंच गया है। इससे पहले उसका सबसे ऊंचा स्थान 14वां था। विश्वकप विजेता नीदरलैंड्स पहले स्थान पर बनी रही है। उन्होंने फाइनल में आयरलैंड को 6-0 से मात दी। ध्यान रहे कि नीदरलैंड्स अक्तूबर 2011 से पहले स्थान पर बना हुआ है। विश्वकप में छठा स्थान लेने वाला इंग्लैंड अभी भी दूसरे स्थान पर था अब तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। विश्वकप में उसे चौथा स्थान मिला। अब तक तीसरे स्थान पर चल रही पैन अमेरिकी चैंपियन अर्जेटीना की टीम चौथे स्थान पर सरक गई। चौथे स्थान की न्यूज़ीलैंड की टीम खराब प्रदर्शन के कारण छठे स्थान पर चली गई। जर्मनी को एक स्थान का लाभ मिला और वह छठे से पांचवें स्थान पर आ गई। विश्वकप में आस्ट्रेलिया पर 3-1 से अप्रत्याशित जीत दर्ज करने वाली स्पेन की टीम रैंकिंग में सातवें स्थान पर पहुंच गई है। इससे पूर्व स्पेन 11वें स्थान पर था।

नई विश्व रैंकिंग:

  1. नीदरलैंड्स 2.           इंग्लैंड
  2. आस्ट्रेलिया 4.           अर्जेंेटीना
  3. जर्मनी 6.           न्यूज़ीलैंड
  4. स्पेन 8.           आयरलैंड
  5. भारत 10.         दक्षिण कोरिया
  6. चीन 12.         अमेरिका