नशा और चुनौतियाँ

हाल में चंडीगढ़ में मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो की तरफ़ से आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि नशीले पदार्थों के प्रति केंद्र की शून्य-सहिष्णुता नीति बेहतर नतीजे दिखा रही है। उनके मुताबिक, पिछले सात साल के दौरान दर्ज मामलों की संख्या में 200 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और गिरफ़्तारियों में 260 फ़ीसदी की। शाह ने कहा कि आज़ादी के 75वें साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नशा मुक्त भारत के आह्वान को अमृत-काल के इस दौर में एक दृढ़ संकल्प में बदलना होगा। गृह मंत्री ने कहा कि सन् 2014 से 2022 के आठ वर्षों में ज़ब्त की गयी ड्रग्स की क़ीमत पिछले आठ वर्षों की तुलना में क़रीब 25 गुना ज़्यादा है। यह अब तक का बहुत अच्छा रिकॉर्ड है। हालाँकि ‘तहलका’ एसआईटी की जाँच में ड्रग पार्टियों की कड़वी सच्चाई के साथ-साथ यह भी पता चलता है कि कोलकाता की सडक़ों पर ड्रग्स कितनी आसानी से उपलब्ध हैं। इस मुद्दे की कवर स्टोरी ‘ड्रग्स की दलदल’ से ज़ाहिर होता है कि न केवल बॉलीवुड नशीले पदार्थों के इस्तेमाल की चपेट में है, बल्कि फैशन उद्योग सहित अन्य उद्योग भी बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों के उपयोग के लिए जाने जाते हैं। उद्योगों को भूल जाइए, मुम्बई और कोलकाता की सडक़ों पर ड्रग्स आसानी से उपलब्ध हैं। यहाँ तक कि स्कूली बच्चों को भी इस जाल में फँसाया जाता है; बशर्ते आपकी जेब भारी हो।

जब राजस्व विभाग के ख़ुफ़िया निदेशालय ने गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर ईरान से आ रही भारी भरकम 21,000 करोड़ रुपये की हेरोइन के तीन कंटेनर पकड़े थे, तो इससे हर किसी को बड़ा झटका लगा था। मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो के इस ड्रग भंडाफोड़ मामले ने ख़तरे की घंटी बजा दी; क्योंकि इसने देशव्यापी नेटवर्क का ख़ुलासा किया कि यह डार्कनेट (फ़र्ज़ी कम्यूप्टर नेटवर्क के ज़रिये फाइल शेयर करना) और क्रिप्टो मुद्रा का उपयोग मादक पदार्थों के धन्धे के लिए करता था। नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय दिवस को चिह्नित करने के लिए जारी यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) की हालिया विश्व ड्रग रिपोर्ट ने महिलाओं और युवाओं के बीच नशीली दवाओं के उपयोग को चिह्नित किया है। 2022 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 15-64 आयु वर्ग के क़रीब 284 मिलियन लोगों ने ड्रग्स का इस्तेमाल किया, जो पिछले दशक की तुलना में 26 फ़ीसदी ज़्यादा है।

एम्फैटेमिन (निद्रारोग और मोटापे से बचने के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा, जिसका लगातार इस्तेमाल इसका आदि बना देता है); औषधीय दवाओं, दर्द निवारक दवाओं, तनाव मुक्ति दवाओं, अनिद्रा की दवाओं, इंजेक्शन से ली जानी वाली दवाओं का ग़ैर-चिकित्सा इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या 45 से 49 फ़ीसदी है। भारत अवैध अफ़ीम उत्पादन के लिए दुनिया में तीन सर्वाधिक बदनाम गोल्डन क्रिसेंट क्षेत्रों (पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान) और तीन गोल्डन ट्रायंगल (म्यांमार, थाईलैंड और लाओस) के बीच घिरा हुआ है, जो हमें इन क्षेत्रों में उत्पादित अफ़ीम के लिए एक गंतव्य और एक पारगमन मार्ग होने के कारण अधिक संवेदनशील बनाता है। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि दुनिया भर में उपयोग की जाने वाली अवैध अफ़ीम में से आधी से अधिक गोल्डन ट्रायंगल क्षेत्र से आती है। अन्य महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय नशीले पदार्थों की तस्करी का मार्ग गोल्डन क्रिसेंट का क्षेत्र है।

‘तहलका’ रिपोर्ट इस बात की याद दिलाती है कि भारत को नशा मुक्त देश बनाने और नशा तस्करी के नेटवर्क को तोडऩे के लिए गुप्त अभियान शुरू करने की तत्काल आवश्यकता है। सवाल यह है कि क्या हमारे पास इस सपने को पूरा करने के लिए कोई योजना है? चरणजीत आहुजा