नफ़रत के सौदागर

कैच छूटने पर क्रिकेटर अर्शदीप सिंह को ख़ालिस्तानी कहना शर्मनाक

अपनी फ़िल्मों के लिए आमिर ख़ान को देश-विरोधी करार देकर उनकी फ़िल्मों के वहिष्कार की अपील की जाती है। अपने हक़ के लिए किसान जब आन्दोलन करते हैं, तो उन्हें ख़ालिस्तानी और दलाल बता दिया जाता है। क्रिकेट के एक मैच में दबाव भरे क्षणों के बीच जब युवा क्रिकेटर अर्शदीप सिंह से कैच छूट जाता है, तो उन्हें ख़ालिस्तानी और पाकिस्तान-समर्थक कहकर ट्रोल करके उनका हौसला तोड़ा जाता है। लेकिन एक गर्भवती महिला से रेप और उसके परिजनों की हत्या के दोषियों को सरकार की तरफ़ से जब छोड़ा जाता है, तो उनका फूलमालाओं से स्वागत कर उन्हें संस्कारी की उपाधि दी जाती है। क्या इन घटनाओं से दुनिया में हमारे देश को लेकर यह सन्देश नहीं जा रहा है कि यदि आप यहाँ बहुसंख्यक का हिस्सा नहीं हैं, तो आपकी हर ग़लती जानबूझकर किया गया अपराध है और आप देशद्रोही भी कहलाएँगे। और तो और अल्पसंख्यकों से मानवीय भूल हो जाना भी अपराध है; क्योंकि उन्हें हमेशा परफेक्ट दिखते रहना ज़रूरी है। लेकिन अगर आप बहुसंख्यक हैं, तो घृणित अपराध करके भी आप फूल-मालाओं से स्वागत के अधिकारी हैं। क्या यही न्यू इण्डिया है?

पूर्व कप्तान विराट कोहली और हरभजन सिंह जैसी हस्तियाँ हैं, जो पंजाब के युवा क्रिकेटर अर्शदीप सिंह के पाकिस्तान के साथ मैच में कैच छूट जाने और उसके बाद उनकी भयंकर क़िस्म की ट्रोलिंग होने के बावजूद उनका हौसला बनाये रखने के लिए उनके साथ दृढ़ता से खड़ी दिखती हैं। पूर्व क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने तो अपनी प्रोफाइल पिक्चर ही अर्शदीप की लगा दी। फ़िल्मी जगत से भी अर्शदीप को काफ़ी समर्थन मिला। लेकिन नफ़रत फैलाने वालों की फ़ौज इतनी बड़ी और संसाधनों से इतनी ज़्यादा सक्षम है कि पल भर में ही नफ़रत का ज़हर फैला देती है।

अर्शदीप की ट्रोलिंग समाज के एक ख़ास तबक़े अर्थात् सोशल मीडिया के नफ़रतियों की तरफ़ से शुरू हुई, और जल्द ही इसका कनेक्शन पाकिस्तान से जोड़ दिया गया। यदि मान लें कि अर्शदीप को ख़ालिस्तानी कहने के पीछे पाकिस्तान में बैठे कुछ लोगों की ही साज़िश थी, तब भी आप अपने देश के युवा खिलाड़ी अर्शदीप सिंह के साथ खड़े होते नहीं दिखे। यदि अर्शदीप को ख़ालिस्तानी कहने वाला मैसेज एक घंटे में ही हमारे देश के लाखों लोगों के पास पहुँच गया, तो ज़ाहिर है कि इसे वायरल करने के पीछे हमारे ही समाज के नफ़रती तबक़े का मक़सद था। याद कीजिए किसान आन्दोलन के दौरान किसानों को भी ऐसी ही घृणित शब्दों से इस नफ़रती ब्रिगेड ने बदनाम करने की भरपूर कोशिश की थी।

खिलाड़ी ख़राब प्रदर्शन के लिए ट्रोल होते हैं, यह कोई नयी और बड़ी बात नहीं। लेकिन उनके धर्म को देखकर उन पर नस्ली टिप्पणियाँ करना निश्चित ही बहुत ख़राब बात है। इसके दुष्परिणामों को लेकर सोचा नहीं जा रहा। एक खिलाड़ी, जो कैच छूट जाने के बाद ख़ुद ग्लानि महसूस कर रहा था, उसे ख़ालिस्तानी कहना क्या संकेत देता है? क्या यह प्रतिभा से भरे एक युवा खिलाड़ी की हिम्मत तोड़ देने की साज़िश नहीं है? वह भी कथित धार्मिक भावनाएँ भडक़ाकर अपने राजनीतिक साधने के लिए!

जिन आसिफ़ अली का कैच अर्शदीप से छूटा था, उनका विकेट बाद में अर्शदीप ने ही लिया। कह सकते हैं कि कैच छूटने की ग़लती उन्होंने उसी मैच में सुधार ली। लेकिन नफ़रतियों को तो अपना खेल खेलना था, उन्होंने जमकर खेला। कोई रोकने वाला नहीं था उन्हें। ट्रोलर्स ने अपने शब्दों से जैसा व्यवहार अर्शदीप से किया, उससे उनके परिजन भी काफ़ी चिन्तित हुए। यह एक अकेला उदाहरण नहीं है, जहाँ ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि अल्पसंख्यक ख़ुद को असुरक्षित महसूस करें। ऐसे अनेक उदाहरण हाल के समय में सामने आये हैं। निश्चित ही यह एक ख़तरनाक भविष्य का संकेत है।

अर्शदीप कैच छूटने से कितने शर्मिंदा और दु:खी थे, यह एक घटना से साबित हो जाता है, जब वह मैच के बाद पवेलियन लौटे, तो उन्होंने अपनी माता बलजीत कौर को गले लगा लिया और भावुक हो गये। निश्चित ही जब उन्होंने ख़ुद को ख़ालिस्तानी कहने वाले कमेंट देखें होंगे, तो उन्हें दु:ख हुआ होगा। हालाँकि बलजीत कौर ने कहा कि ग़लती किसी से भी हो जाती है। लोगों का काम है कहना, कहने दो; कोई बात नहीं। लोग अगर खिलाड़ी को बोल रहे हैं, तो उससे प्यार भी करते हैं। इस सबको हम सकारात्मक ले रहे हैं।

उसके पिता दर्शन सिंह ने कहा- ‘जो लोग अब आलोचना कर रहे हैं, वही लोग अर्शदीप सिंह को आने वाले समय में सिर-आँखों पर बैठाएँगे।’ बेशक एक पिता अपने युवा बेटे का हौसला बनाये रखने के लिए ऐसा कह रहे होंगे; लेकिन सच यह है कि देश में नफ़रतियों की ब्रिगेड से बेहतर की उम्मीद नहीं की जा सकती।

देश की एजेंसियों ने अर्शदीप सिंह के ख़िलाफ़ पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा होने की जाँच भी शुरू की है। यह पता नहीं कि इस नफ़रती माहौल को बनाने में वास्तव में कौन गुनहगार है? लेकिन अर्शदीप को ट्रोल होता देख पाकिस्तान के खिलाड़ी मोहम्मद हफ़ीज़ भी उनके समर्थन में आगे आये। हफ़ीज़ ने घटना के बाद ट्वीट में लिखा- ‘सभी भारतीय टीम के प्रशंसकों से मेरा अनुरोध है कि खेल में हम इंसान होने के नाते ग़लतियाँ करते हैं। कृपया इन ग़लतियों पर किसी को अपमानित न करें।’

अर्शदीप सिंह को सोशल मीडिया पर ट्रोल करके निशाना बनाने के बीच यह ख़बर भी आयी कि विकीपीडिया पर अर्शदीप सिंह के पेज पर बड़ा बदलाव नजर आया और वहाँ पर अर्शदीप का ‘ख़ालिस्तानी’ संगठन से सम्बन्ध जोड़ दिया गया। ज़ाहिर है अर्शदीप के पेज से छेड़छाड़ हुई। यह भी कहा गया कि इस मामले में भारत सरकार ने कड़ा रुख़ अपनाया और आईटी मंत्रालय ने विकीपीडिया को इस मामले को लेकर नोटिस भेजकर उससे जवाब तलब किया है। इसके बाद विकीपीडिया ने अर्शदीप के प्रोफाइल को ठीक कर दिया।

भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने तो इस मामले में फैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर का ही हाथ बता दिया और दिल्ली पुलिस को चिट्ठी लिखकर ज़ुबैर को गिरफ़्तार करने की माँग कर डाली। सिरसा के आरोप के मुताबिक, पाकिस्तान ने ज़ुबैर को इस्तेमाल किया।

अर्शदीप का जुनून
बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि देश की टीम से खेलने के अपने जूनून को पूरा करने के लिए अर्शदीप ने पिता दर्शन सिंह का कनाडा जाने का सुझाव नहीं माना था। दरअसल साल 2017 में लगातार बेहतर प्रदर्शन के बावजूद अर्शदीप को बड़ा मौक़ा नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में पिता ने बेटे के भविष्य की चिन्ता करते हुए उसे कनाडा शिफ्ट होकर नौकरी की सलाह दी, जहाँ उनके बड़े भाई पहले से हैं। लेकिन अर्शदीप को तो नीली जर्सी का जूनून था। उसने पिता से एक साल का समय माँगा। पिता राज़ी हो गये। आख़िर अर्शदीप का उसी साल पंजाब की अंडर-19 टीम में चयन हो गया। नीली जर्सी के प्रति अर्शदीप के जूनून को एक घटना से समझा जा सकता है। चोट के बाद अर्शदीप के रनअप में कमी आ गयी थी। कोच जसवंत राय के मुताबिक, अर्शदीप ने उनसे कार का एक टायर माँगा। फिर 15 दिन बाद ट्रक का टायर लाने को कहा। कबाड़ी की दुकान से जसवंत टायर लाये और उसे दे दिया। टायर ख़ुद से बाँधकर रनअप पर दौडऩे से कुछ ही दिन में अर्शदीप ने रनअप पर पुरानी गति हासिल कर ली। जब पंजाब की तरफ़ से खेलते हुए अंडर-23 में राजस्थान के ख़िलाफ़ अर्शदीप ने में हैट्रिक सहित आठ विकेट लिये, तो आईपीएल के फ्रेंचाइजी भी उनके दीवाने हो गये। अर्शदीप नीलामी में बेस प्राइस 20 लाख रुपये में किंग्स इलेवन पंजाब का हिस्सा बन गये। आईपीएल-2020 में अर्शदीप ने आठ मैचों में नौ विकेट, आईपीएल-2021 में 12 मैचों में 18 विकेट और आईपीएल-2022 में 14 मैचों में 10 विकेट लिये। आईपीएल के अब तक के अपने 37 मैच में अर्शदीप 40 विकेट ले चुके हैं। आज अर्शदीप अपने जूनून के चलते देश की टीम में हैं। उन्हें डेथ ओवर्स और यॉर्कर का मास्टर कहा जाता है।


“प्रेशर मैच में किसी से भी ग़लतियाँ हो सकती हैं। अर्शदीप सिंह अभी युवा हैं और धीरे-धीरे इन चीज़ों के बारे में सीख जाएँगे।’’
विराट कोहली
क्रिकेटर