धोखे की शादी का मकडज़ाल

देश में इन दिनों अनुबन्धित शादी (कॉन्ट्रेक्ट मैरिज) के चलन ने इस पवित्र रिश्ते को जैसे अपवित्र बना दिया है। ठगी और धोखाधड़ी का यह कारोबार बड़े स्तर पर चल रहा है। जो शादियाँ शर्तों पर होती हों, वो वैसे भी लम्बे समय तक नहीं चल सकतीं। फिर इसमें तो सीधे तौर पर अनुबन्ध होता है, जो दोनों परिवारों को मान्य होता है। ऐसा नहीं कि इस आधार पर शादियाँ हवा में होती हैं। ये बाक़ायदा धर्म के अनुसार धूमधाम से होती हैं, जिनमें आनंद कारज (शगुन कार्य) भी होते हैं।
लेकिन ऐसी 10 शादियों में दो से तीन मामले विवाद में आ जाते हैं; जिनमें लडक़ी या लडक़ा जीवनसाथी को धोखा दे देता है। अगर सिर्फ़ पंजाब की अगर बात करें, तो राज्य में इस तरह के मामलों में वर पक्ष के पीडि़त परिवार ज़्यादा होते हैं। मतलब लड़कियाँ दुल्हन बनकर दुल्हे पक्ष का पैसा ख़र्च करा स्पाउस वीजा पर पति को विदेश बुला लेने की शर्त पर विदेश चली जाती हैं और फिर ससुराल पक्ष से किनारा कर लेती हैं। ऐसा नहीं कि अनुबन्धित शादियाँ नाकाम होती हैं। लेकिन ऐसे कई मामले सामने आये हैं, जिनमें साज़िश के तहत वर पक्ष ने धोखा खाया है।
दरअसल दोनों बातें साथ-साथ नहीं चल सकतीं। या तो शादी होगी या फिर कॉन्ट्रेक्ट; लेकिन इसका नाम है कॉन्ट्रेक्ट मैरिज। बावजूद इसके लोग इसे अपना रहे हैं, जिनमें कुछ बाद में ख़ुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के वैवाहिक विज्ञापनों में बाक़ायदा साफ़तौर पर पैसा ख़र्च करने वाले लडक़े या लडक़ी की माँग का उल्लेख होता है। इसमें इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वैज टेस्ट सिस्टम (आईईएलटीएस) डिग्री और उसके बैंड (नंबर) लिखे होते हैं। पंजाब में इसे आईलेट्स के नाम से ज़्यादा जाना जाता है। विदेश जाने की पहली सीढ़ी ही यह डिग्री होती है।
कनाडा, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, इंग्लैड, फ्रांस, न्यूजीलैंड आदि देशों में वहाँ के विश्वविद्यालयों में पढऩे के लिए यह डिग्री अनिवार्य होती है। पंजाब में इस डिग्री की जबरदस्त माँग है और राज्य में लाखों की संख्या में इसके इंस्टीट्यूट हैं। जो लडक़ा या लडक़ी मेहनत के बाद भी इस डिग्री को हासिल नहीं कर पाते, वे निराश ज़रूर होते हैं; लेकिन विदेश जाने का सपना उनका क़ायम ही रहता है। इसके लिए वे आईलेट्स डिग्रीधारकों की खोज में रहते हैं और यह तलाश वैवाहिक विज्ञापन पूरी करते हैं।
समाचार पत्र के ऐसे विज्ञापन में कुछ ऐसा उल्लेख होता है- ‘सुंदर, सुशील, गोरी, उच्च शिक्षा और आईलेट्स लडक़ी के लिए लडक़े की ज़रूरत है; जो शादी का सारा ख़र्च उठा सके।’ इसका मक़सद विज्ञापन देने वाले और उसे अपनाने वाले बख़ूबी समझते हैं। ऐसे विज्ञापनों के आधार पर ख़ूब शादियाँ भी हो रही हैं। मगर इनमें सफल कम और असफल ज़्यादा होती हैं। पंजाब में पिछले पाँच साल के दौरान 3,600 से ज़्यादा शिकायतें विदेश मंत्रालय में जा चुकी हैं।
इन शिकायतों में 3,000 पंजाब से जुड़ी हैं। यह संख्या इससे कहीं ज़्यादा भी हो सकती है। क्योंकि बहुत-से लोग लोकलाज के डर से आगे तक शिकायतें नहीं ले जाते। शिकायती मामलों में कुछ की जाँच चल रही है और ज़्यादातर मामले अभी लम्बित ही हैं।
कभी अप्रवासी भारतीय पंजाब की लड़कियों से शादी करने के बाद विदेश चले जाते थे और फिर उनसे रिश्ता तोड़ लेते थे। अब इसके विपरीत कुछ लड़कियाँ ऐसे ही शादियाँ करके युवकों को धोखा दे रही हैं। एक सर्वे के मुताबिक, पंजाब में ऐसी अनुबन्धित शादियों में हर साल 27,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा धन विदेशों में जा रहा है। ज़्यादातर बाहरी देशों के विश्वविद्यालयों में एक साल की शिक्षा का ख़र्च 18 लाख रुपये के आसपास होता है।
ऐसी शादी में 20 से 50 लाख रुपये का ख़र्च लडक़े वालों को इस उम्मीद में उठाना पड़ता है कि शादी के बाद दुल्हन पति को विदेश बुला लेगी और बाद में सब कुछ ठीक हो जाएगा। दुर्भाग्य से बहुत-से मामलों में ऐसा नहीं होता। अनुबन्धित शादियाँ कराने वाले दलालों की भी राज्य में कमी नहीं है। ऐसे लोग लडक़ी या लडक़े के परिजनों को विदेश की नागरिकता मिलने का झाँसा देकर सब तरह के सुखों और ऐश-ओ-आराम की ज़िन्दगी का सपना दिखाकर अनुबन्धित शादी के लिए उन्हें तैयार कर लेते हैं।
राज्य में विदेश जाने का चलन कुछ ज़्यादा ही है। इसके लिए कुछ लोग तो ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े अपना लेते हैं। काम की तलाश में नक़ली वीजा और पासपोर्ट से विदेश जाने वाले वहाँ की जेलों में पहुँच जाते हैं और बहुत मुश्किल से किसी तरह अपने घर आ पाते हैं।


अनुबन्धित शादी में तो उन्हें लगता है कि सब कुछ ठीक ही है। कुछ लोग ज़मीन-जायदाद और अन्य तरह की पुश्तैनी सम्पत्ति तक इसी चक्कर में बेच देते हैं। सभी मामलों में ऐसा नहीं है। आज लाखों की संख्या में राज्य के लोग विदेशों में रहते हैं और वहाँ की नागरिकता हासिल करके आराम की ज़िन्दगी व्यतीत कर रहे हैं। लेकिन बात अनुबन्धित शादियों के मामले की हो, तो ज़रूर विचार किया जाना चाहिए।
यह चलन सामाजिक ताने-बाने को बिल्कुल उधेडक़र रख देने वाला है। एक सर्वे के मुताबिक, अनुबन्धित शादियों के हज़ारों मामले प्रकाश में आने के बाद अब भी ऐसी शादियाँ हो रही हैं और लोग धोखा खा रहे हैं। ऐसी शादियाँ ठगी के लिए ही की जाती हैं। ससुराल पक्ष से सारा पैसा ख़र्च कराने के बाद कई लड़कियाँ सम्पर्क पूरी तरह से काट लेती हैं। क्योंकि उसका या उसके परिजनों का मक़सद भी किसी तरह विदेश पहुँच जाने का होता है। अनुबन्धित शादी में पढ़ाई के अलावा रहने और खाने-पीने का ख़र्च वर पक्ष को ही करना पड़ता है।
पंजाब के होशियारपुर ज़िले के गुरप्रीत सिंह नवजोत कौर से शादी कर पछता रहे हैं। लाखों रुपये ख़र्च हो गये। न पत्नी मिली और न विदेश जाने का सपना पूरा हुआ। कांग्रेस सांसद परणीत कौर ने राज्य में अनुबन्धित शादियों के बढ़ते मामलों पर चिन्ता जताते हुए विदेश एस. जयशंकर को पत्र लिखकर पीडि़त परिजनों को इंसाफ़ दिलाने की माँग की है।
विदेश मंत्रालय ऐसे मामलों में बहुत कुछ नहीं कर पा रहा है। क्योंकि ऐसे मामले सम्बन्धित दूतावासों की फाइलों में अटके रहते हैं। आईलेट्स की डिग्री की सहारे लाखों रुपये ख़र्च करके विदेश जाने की तमन्ना युवाओं को पूरी तरह बर्बाद करने का खेल है, जिसमें जालसाज़ों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए। शादी जैसे पवित्र रिश्ते को कारोबार में बदलने वाले जिस तरह से इस खेल में आगे तक बढ़ गये हैं, उसका रुकना मुश्किल है। देखने में आया है कि ज़्यादातर विज्ञापनों और दलालों के माध्यम से होने वाली अनुबन्धित शादियाँ असफल रही हैं। कुछ मामलों में शादी के बाद दुल्हनें पीछा छुड़ाने के लिए दुल्हों को घरेलू हिंसा या अन्य आरोपों में प्रताडि़त करती हैं। अन्त में ऐसी शादी टूट जाती है, जिसका ख़ामियाजा वर पक्ष को भुगतना पड़ता है।
जालंधर-फ़िरोज़पुर मार्ग पर तलवंडी भाई गाँव के अमृतपाल सिंह ऐसे ही भुक्तभोगी हैं। बेटे ओंकार सिंह को विदेश भेजने के इच्छुक अमृतपाल ज़्यादा पैसे वाले नहीं हैं। लेकिन बेटा विदेश जाने का इच्छुक था। लिहाज़ा उन्होंने किसी तरह पैसा जमा किया। उन्होंने ऐसी ही अनुबन्धित शादी की, जिसमें लडक़ी को कनाडा भेजने, वहाँ शिक्षा के अलावा अन्य सभी ख़र्चे उठाने मंज़र किये। शादी हुई और बेटा ओंकार पत्नी जसप्रीत कौर के साथ कनाडा चला भी गया। कुछ दिन बाद अमृतपाल को पता चला कि घरेलू हिंसा के आरोप में वहाँ की पुलिस ने ओंकार को गिरफ़्तार कर लिया है। अमृतपाल के मुताबिक, उनकी बहू जसप्रीत कौर ने तलाक़ न देने की सूरत में ओंकार के ख़िलाफ़ शिकायत दी थी। बेटे को विदेश भेजने की ख़्वाहिश में की अनुबन्धित शादी ने इस परिवार को बिल्कुल बर्बाद कर दिया।
संगरूर ज़िले के मनदीप सिंह की शादी रतनजोत कौर से हुई। लेकिन उनका हश्र भी ऐसा ही हुआ। लुधियाना के हरविंदर ऐसे ही मामले में तीन साल की बेटी के लिए इंसाफ़ की लड़ाई लड़ रहे हैं। शादी के बाद पत्नी सिमरनजोत कौर विदेश गयी, तो वहीं की होकर रह गयी। अब उसका बेटी, पति और परिवार वालों से कोई सम्पर्क नहीं है।

इंतज़ार में दुल्हनें
देश में एक रात की दुल्हनों की कमी नहीं है। कई विदेश में रहने वाले दूल्हे शादी के कुछ दिन बाद उन्हें स्पाउस वीजा पर विदेश बुलाने की बात कहकर यहाँ नौ-दो-ग्यारह हो गये। ऐसे कई मामले सामने आये, जिनमें पहले से शादीशुदा और बच्चों वालों ने शादी की और नये जीवनसाथी की ज़िन्दगी को नर्क बनाकर छोड़ दी। पंजाब में ऐसी पीडि़तों की संख्या 30,000 के क़रीब है, जो शादीशुदा तो हैं; पर उनका पति से कोई सम्पर्क नहीं है। हालाँकि पीडि़त दुल्हनों की संख्या इससे ज़्यादा है। ऐसे बहुत परिवार हैं, जो लोकलाज के डर से शिकायतें नहीं करते। परिजनों ने अपनी बेटियों की शादी अप्रवासी भारतीयों से की, ताकि वे विदेश में ज़्यादा सुख की ज़िन्दगी बसर कर सकें। लेकिन शादी के बाद कितने ही दुल्हे यह कहकर विदेश चले गये कि जल्द ही पत्नी को स्पाउस वीजा पर बुला लेंगे। लेकिन बहुत-से मामलों में ऐसा नहीं हुआ। शुरू में इस तरह की शादियाँ लगभग सफल रहती थीं। लेकिन धीरे-धीरे ऐसी शादियाँ लड़कियों के लिए अभिशाप बन गयीं। उनका यह इंतज़ार शायद कभी ख़त्म न हो। क्योंकि लौटकर नहीं आने वालों की संख्या बहुत है। कई मामले तो दशकों पुराने हैं और कुछेक ने थक-हारकर तलाक़ लेकर या पति से सम्पर्क न होने पर बिना तलाक़ के ही शादी कर ली।
सतविंदर कौर ने तलाक़ लेकर दूसरी शादी कर ली। लेकिन इंसाफ़ के लिए उन्हें लम्बी लड़ाई लडऩी पड़ी। उनके ग़ैर-सरकारी स्वंयसेवी संगठन के माध्यम से सैकड़ों ऐसी पीडि़त महिलाएँ उनसे जुड़ीं। उनके प्रयासों से धोखेबाज़ अप्रवासी भारतीयों के पासपोर्ट रद्द हुए। कई भगौड़े घोषित हुए। कुछ मामलों में समझौतों के बाद प्रभावितों को राहत मिली। सरकारी तौर पर प्रयास ज़्यादा सफल नहीं रहे हैं। पंजाब में इसके लिए विशेष विंग भी है। लेकिन अब भी बहुसंख्यक महिलाएँ इंसाफ़ के इंतज़ार में ही हैं।