धुरंधर धोनी का संन्यास- क्या अब राजनीतिक पारी की शुरुआत करेंगे कैप्टन कूल?

महेंद्र सिंह धोनी निश्चित ही भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अलग तरह की प्रतिभा और तौर-तरीकों के लिए जाने जाएँगे। उन जैसा बहुत ही सामान्य रहने वाला व्यक्ति भारतीय क्रिकेट के लिए एक धरोहर की तरह है। निजी जीवन और क्रिकेट को बहुत ही सलीके से जीने वाले धोनी एक नेतृत्वकर्ता के तौर पर भी अलग तरह की शिख्सयत रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उनको लिखी चिट्ठी के बाद इस बात की चर्चा है कि क्या वह राजनीति में जा सकते हैं? धोनी से जुड़े तमाम पहलुओं के साथ विशेष संवाददाता राकेश रॉकी की यह रिपोर्ट :-

बल्लेबाज़ी में हेलीकॉप्टर शॉट की खोज करने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने स्वतंत्रता दिवस पर जिस तरह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करके देश में क्रिकेट प्रेमियों को चकित कर दिया, वैसे ही वह मैदान में डेढ़ दशक के अपने शानदार करियर में अपनी खेल-प्रतिभा से भी करते रहे हैं। अभी वह आईपीएल में खेलते रहेंगे। लेकिन क्या क्रिकेट के बाद भी माही देश में अपने प्रशंसकों को चकित करने की तैयारी में हैं? अपुष्ट खबर है कि झारखण्ड की राजनीति भूमिका निभाने की बात वह स्वीकार कर सकते हैं।

धोनी को भले बहुत-से क्रिकेट विशेषज्ञ भारत का अब तक का सबसे बेहतरीन विकेट कीपर मानने को लेकर अलग-अलग राय रखते हों, पर यह सभी मानते हैं कि वह देश के अब तक के सर्वश्रेष्ठ विकेट कीपर-बल्लेबाज़ रहे हैं। उनकी कप्तानी को भी देश के अब तक के बड़े कप्तानों की श्रेणी में रखा जाता है।

मैदान में कप्तानी करते हुए उनका शान्त रहना, उनकी सबसे बेहतर आदत रही; जिसके कारण उनका नाम ही कैप्टन कूल पड़ गया। धोनी के एक अलग ही क्लास के क्रिकेटर होने को लेकर पूर्व दिग्गज बल्लेबाज़ वीवीएस लक्ष्मण की टिप्पणी दिलचस्प है, जो यह दर्शाती है कि धोनी दबावों से कितने ऊपर थे। लक्ष्मण कहते हैं – धोनी कभी भी मैच के नतीजों से भावनात्वक तौर पर जुड़े नहीं रहे। इसी खूबी के कारण शायद धोनी मैच में हमेशा कूल बने रहते थे और इसी कारण वे अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट को दे पाये।

सौरव गांगुली की ही तरह धोनी भी टीम बनाने में विश्वास रखने वाले कप्तान रहे। इसमें कोई दो राय नहीं कि सौरव से धोनी को विरासत में एक बहुत मज़बूत टीम मिली, जिसका धोनी को एक कप्तान के नाते बहुत लाभ मिला। बतौर कप्तान उनकी सफलता की एक बड़ी वजह यह भी रही। सौरव ने धोनी के संन्यास के बाद जो टिप्पणी की वह भी गौरतलब है। सौरव गांगुली, जो अब भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष हैं; ने बहुत सारगर्भित बात कही कि धोनी के संन्यास से भारतीय क्रिकेट के एक युग का अन्त हो गया है। निश्चित ही धोनी की भारतीय टीम में कमी हमेशा खलेगी। उनकी 7 नम्बर की जर्सी को आँखें हर उस मौके पर मैदान में ढूँढती रहेंगी, जब भारत की टीम को उन जैसी फिनिशिंग की ज़रूरत होगी। भले ही आखरी वर्षों में धोनी फिनिशिंग को लेकर उतने संतुष्ट नहीं रहे; लेकिन इसमें कोई दो-राय नहीं कि वह एक बेहतरीन फिनिशर रहे और कई मैचों में उन्होंने अपने इस हुनर के बूते देश को जीत दिलवायी। खासकर एक दिवसीय और टी-20 में फिनिशिंग मैचों का रुख पलटने में बहुत बड़ा रोल अदा करती है, और माही इस फन के माहिर थे।

धोनी कितने भरोसेमंद खिलाड़ी थे, यह सन् 2011 में वल्र्ड कप जीतने के समय भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रहे गैरी कस्र्टन की बात से साबित हो जाता है। धोनी की तारीफ में कस्र्टन ने कहा था- सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक के साथ काम करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। यदि मेरे साथ धोनी हों, तो मुझे युद्ध में भी जाने में कोई परेशानी नहीं होगी। धोनी वास्तव में एक सम्पूर्ण खिलाड़ी रहे और उनकी इसी खूबी के कारण दुनिया भर में उनका नाम हुआ।

धोनी ने सेना के जवानों से मिलते हुए खुलासा किया था कि वह बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे और वह अक्सर रांची के आर्मी एरिया में चले जाते थे और वहाँ जवानों को देखकर सोचते थे कि एक दिन वह भी ऐसे की सैनिक बनेंगे। धोनी फौज में तो नहीं गये, लेकिन एक क्रिकेटर के नाते उन्होंने इस खेल को एक फौजी की ही तरह जीया। वैसे धोनी ने टेरीटोरियल आर्मी में शामिल होकर एक तरह से सेना में शामिल होने का अपना शौक भी पूरा कर ही लिया। धोनी टेरीटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। उनका सेना के हेलीकॉप्टर से पैराशूट से कूदने का एक वीडियो बहुत ही मशहूर हुआ था और उनके बिना खौफ के नीचे कूदने पर उनकी बहादुरी की लोगों ने बहुत तारीफ की थी।

बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि नागपुर में एक बार धोनी टेस्ट मैच के दौरान स्टेडियम से होटल तक खिलाडिय़ों से भरी बस खुद चलाकर ले गये थे। घटना यह है कि मैच खत्म होने के बाद जब खिलाड़ी बस में बैठे, तो धोनी ने अचानक बस चालक से पीछे बैठने के लिए कहा और बोले- ‘वह खुद बस चलाकर होटल ले जाएँगे।’ बस में बैठे खिलाड़ी धोनी के इस ऐलान से हैरान रह गये। भारतीय खिलाड़ी वीवीएस लक्ष्मण के मुताबिक, भारतीय टीम के कप्तान ने बस चलायी और उन्हें होटल पहुँचाया। लक्ष्मण कहते हैं कि धोनी कुछ इस तरह ही जीवन का आनन्द लेते थे और मैदान से बाहर वह एक बहुत सामान्य इंसान की तरह थे। निश्चित की धोनी ने भारतीय क्रिकेट टीम को भी इसी तरह बहुत बेहतरीन तरीके से चलाया और ऊँचे मकाम तक पहुँचाया। जहाँ बड़े खिलाडिय़ों की तामझाम के साथ विदाई की तमन्ना रहती है, वहीं धोनी ने चुपचाप संन्यास लिया। यह बहुत दिलचस्प है कि धोनी ने अपने संन्यास की घोषणा इंस्टाग्राम पोस्ट के ज़रिये की। धोनी ने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा- ‘अब तक आपके प्यार और सहयोग के लिए धयवाद। शाम 7:29 बजे से मुझे रिटायर्ड समझिए।’ इससे एक दिन पहले ही वह यूएई में होने वाली इंडियन प्रीमियर लीग के लिए चेन्नई सुपर किंग्स टीम से जुडऩे चेन्नई पहुँचे थे। बीसीसीआई ने एक बयान में उनके करियर की ऐतिहासिक उपलब्धियों का पूरा ब्यौरा दिया और कहा- ‘इस शानदार विरासत को दोहरा पाना मुश्किल होगा।’

धोनी उन खिलाडिय़ों में शामिल हैं, जिन्होंने छोटे शहर से निकलकर ऊँचा मकाम हासिल किया और देश के हज़ारों युवा खिलाडिय़ों के सपनों को पंख दिये। धोनी उन चंद खिलाडिय़ों में शामिल हैं, जो इतनी चकाचौंध के बावजूद ज़मीन पर रहे और कभी किसी विवाद में नहीं उलझे। खिलाडिय़ों के चयन में भले हमेशा विवाद रहते हैं और धोनी भी इससे अछूते नहीं रहे। लेकिन यह हमेशा होता है, और हर कप्तान पर इस तरह की छींटाकशी होती ही है, भले वो कितना ही निष्पक्ष रहा हो।

माही के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास से निश्चित ही भारतीय टीम एक अनुभवी विकेटकीपर की सेवा से वंचित हो गयी है। साथ ही धोनी के रूप में मार्गदर्शन करने वाला एक खिलाड़ी भी अब उसे शायद ही उपलब्ध होगा। सभी जानते हैं कि विराट कोहली मैदान में हमेशा धोनी की सलाह लिया करते थे। वैसे तो किसी खिलाड़ी के जाने से टीम नये विकल्प तलाश लेती है; लेकिन कई बार ऐसा नहीं भी होता है। इसका एक बड़ा उदाहरण कपिल देव हैं। भारत को आज तक कपिल देव जैसा ऑल राउंडर नहीं मिल पाया।

धोनी के विकल्प

धोनी के संन्यास के बाद अब इस बात पर चर्चा है कि उनकी जगह कौन लेगा? इस बारे में वरिष्ठ खिलाडिय़ों की अलग-अलग राय है। हालाँकि ज़्यादातर मानते हैं कि लम्बी रेस के घोड़े के लिहाज़ से ऋषभ पंत सबसे उपयुक्त चुनाव हो सकता है। वैसे भारत के तीन पूर्व विकेटकीपर कहते हैं कि भविष्य में लोकेश राहुल भी धोनी के एक बेहतर  विकल्प के रूप में सामने हैं। नयन मोंगिया, एमएसके प्रसाद और दीप दासगुप्ता मानते हैं कि माही की खाली की गयी जगह के लिए राहुल और पंत के बीच मुकाबला होगा; जबकि तीसरा विकल्प संजू सैमसन हैं। यह माना जाता है कि बार-बार धोनी से तुलना ने ऋषभ पंत पर अनावश्यक दबाव बना दिया था, जिसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ा। हालाँकि अब धोनी के संन्यास से यह दबाव कम होगा और वह बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे। बहुत से खिलाड़ी मानते हैं कि पंत भारतीय क्रिकेट में एक बेहतर निवेश की तरह हैं।

पूर्व मुख्य चयनकर्ता और विकेटकीपर नयन मोंगिया को लगता है कि राहुल 50 ओवरों के प्रारूप के लिए सबसे बेहतर हैं। उनकी बल्लेबाज़ी में भी हाल में सुधार हुआ है। राहुल के नाकाम होने पर ऋषभ पंत श्रेष्ठ विकल्प हैं। हालाँकि उन्हें एक विकेटकीपर के रूप में ज़्यादा मेहनत करने की ज़रूरत है। उधर दास गुप्ता मानते हैं कि राहुल और पंत को इस्तेमाल करने के मामले में टीम को ज़रूरत और परफॉर्म के लिहाज़ से देखना होगा। राहुल फिलहाल बेहतर हैं; लेकिन टी20 में दोनों में से कोई भी इलेवन में हो सकता है।

वैसे राहुल इस समय 28 साल के हैं; जबकि ऋषभ 22 साल के। पूर्व तेज़ गेंदबाज़ आशीष नेहरा कहते हैं कि अगर कोई उनसे पूछे तो वह कहेंगे कि मुझ पर भरोसा करिए कि 22 साल के पंत में उस 23 साल के धोनी से ज़्यादा स्वाभाविक प्रतिभा है, जिन्होंने 2004 में पहली बार भारत के लिए खेला था। मैंने ऋषभ पंत को सोनेट (टूर्नामेंट) में देखा है; जब वह 14 साल के चुलबुले बच्चे थे।

माही का करियर

धोनी का जन्म झारखण्ड के रांची में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। वैसे बचपन में धोनी की रुचि बैडमिंटन और फुटबॉल में ज़्यादा थी। इंटर-स्कूल प्रतियोगिता में धोनी ने इन दोनों खेलों में स्कूल का प्रतिनिधित्व किया था, जहाँ उन्होंने बैडमिंटन और फुटबॉल में अच्छा प्रदर्शन दिखाया और वह ज़िला और क्लब स्तर पर चुने गये। क्रिकेट के माहिर धोनी अपनी फुटबॉल टीम के गोलकीपर रहे हैं।

यहाँ यह भी दिलचस्प है कि उनमें क्रिकेट की सम्भावना उनके फुटबॉल कोच ने देखी। जब उनके कोच ने उन्हें क्रिकेट खेलने भेजा, तो उन्होंने विकेट-कीपिंग से वहाँ सभी लोगों को प्रभावित किया। वह कमांडो क्रिकेट क्लब के नियमित विकेटकीपर बना लिये गये। क्रिकेट क्लब में धोनी ने बेहतर प्रदर्शन किया। इतना बेहतर कि उन्हें सन् 1997-1998 के सीज़न में वीनू मांकड़ ट्राफी (अंडर-16) के लिए चुन लिया गया। मैट्रिक पास करते ही धोनी ने तय कर लिया था कि क्रिकेट पर ही पूरा ध्यान देंगे। यहाँ यह भी बता दें कि धोनी बचपन से ही ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट के प्रशंसक थे।

यह बहुत दिलचस्प है कि धोनी के 16 साल के करियर का अन्त रन आउट से हुआ; जबकि वह अपने पहले मैच में भी रन आउट ही हुए थे। धोनी के करियर की शुरुआत 23 दिसंबर, 2004 को हुई थी; जबकि सन् 2019 के क्रिकेट विश्व कप सेमीफाइनल में उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ आखरी अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला था। उनके इस मैच में रन आउट होने से भारत के तीसरी बार विश्व कप सम्भावना भी खत्म हो गयी थी। वैसे धोनी ने अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू 23 दिसंबर, 2004 को बांग्लादेश के खिलाफ किया था और बिना खाता खोले रन आउट हो गये थे। तब धोनी सातवें नम्बर पर बल्लेबाज़ी करने उतरे थे। सन् 1998 में एमएस धोनी को सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) टीम ने अपने लिए चुन लिया। सन् 1998 तक उन्होंने स्कूल क्रिकेट टीम और क्लब क्रिकेट के लिए खेला। शीश महल टूर्नामेंट क्रिकेट मैचों में धोनी ने जब भी छक्का लगाया, तो उन्हें देवल सहाय ने 50 रुपये का उपहार दिया। अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन की मदद से सीसीएल ए-डिवीजन में उनका चयन हो गया। देवल सहाय उनके समर्पण और क्रिकेट कौशल से प्रभावित हुए और बिहार टीम में चयन के लिए प्रेरित किया। सीज़न 1999-2000 के लिए उन्हें 18 साल की उम्र में बिहार की सीनियर रणजी टीम में चुना गया। बिहार अंडर-19 टीम फाइनल तक पहुँची; लेकिन ट्रॉफी नहीं जीत पायी। उन्हें सीके नायडू ट्रॉफी के लिए पूर्वी क्षेत्र अंडर-19 टीम के भी लिए चुना गया। सन् 2001 सो सन् 2003 के दौरान, धोनी पश्चिम बंगाल में दक्षिण-पूर्वी रेलवे के तहत खडग़पुर रेलवे स्टेशन पर टीटीई की नौकरी में चले गये।

धोनी ने सन् 2002 से सन् 2003 के दौरान रणजी ट्रॉफी और देवधर ट्रॉफी के लिए झारखण्ड टीम में खेलते हुए निचले क्रम के योगदान और धुरंधर बल्लेबाज़ी की शैली से अलग पहचान बनायी। दिलीप ट्रॉफी फाइनल में धोनी को पूर्वी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर दीप दासगुप्ता की जगह चुना गया था। बाद में धोनी को जिम्बाब्वे और केन्या के दौरे के लिए इंडिया ए टीम के लिए चुना गया।

हरारे स्पोर्ट्स क्लब में, जिम्बाब्वे के खिलाफ धोनी ने 7 कैंच और 4 स्टंप लिये। केन्या, भारत-ए और पाकिस्तान-ए के साथ त्रिकोणीय राष्ट्र टूर्नामेंट में धोनी ने पाकिस्तानी टीम के खिलाफ अद्र्धशतक के साथ 223 रनों के लक्ष्य का पीछा करने में भारतीय टीम की मदद की। उन्होंने 6 पारियों में 72.40 की औसत से 362 रन बनाये। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने भारतीय क्रिकेट टीम के तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली और रवि शास्त्री का ध्यान आकर्षित किया। इंडिया-ए टीम में चयन के बाद धोनी को 2004-05 में बांग्लादेश दौरे के लिए वन-डे टीम में चुना गया था। अपने पहले ही मैच में धोनी रन आउट हुए। बांग्लादेश के खिलाफ औसतन खेलने के बावजूद धोनी को पाकिस्तान के खिलाफ एक दिवसीय शृंखला के लिए चुना गया था। शृंखला के दूसरे मैच में धोनी ने 123 गेंदों में 148 रन बनाये और एक भारतीय विकेटकीपर का सर्वाधिक स्कोर का रिकॉर्ड बनाया।

धोनी ने श्रीलंका द्विपक्षीय वन-डे शृंखला में अक्टूबर-नवंबर, 2005 में तीसरे वन-डे में नम्बर-3 पर बल्लेबाज़ी करते हुए 145 गेंदों में नाबाद 183 रन बनाये। उन्हें मैन ऑफ द सीरीज चुना गया। दिसंबर, 2015 में धोनी को बीसीसीआई से बी-ग्रेड अनुबन्ध मिला। पाकिस्तान के खिलाफ एक शृंखला में धोनी ने तीसरे मैच में 46 गेंदों पर 72 रन बनाये, जिससे भारत 2-1 से आगे रहा। अंतिम मैच में धोनी ने 56 गेंदों पर 77 रन बनाये, जिससे भारत 4-1 से शृंखला जीतने में सफल रहा। 20 अप्रैल, 2006 को उन्होंने रिकी पोंटिंग को दरकिनार करते हुए आईसीसी ओडीआई रैंकिंग में नम्बर-1 बल्लेबाज़ के रूप में स्थान दिया गया।

भारत 2007 क्रिकेट विश्व कप से जल्दी ही बाहर हो गया और धोनी बांग्लादेश और श्रीलंका के खिलाफ मैचों में बाहर हो गये। उनके घर को जेएमएम के कार्यकर्ताओं ने तोड़ दिया। पहले दौर में भारत के विश्व कप से बाहर होने के बाद धोनी के परिवार को पुलिस सुरक्षा प्रदान की गयी। धोनी को दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के खिलाफ शृंखला के लिए एक दिवसीय टीम का उप-कप्तान नामित किया गया था। जून, 2007 में, धोनी को बीसीसीआई से ‘ए ग्रेड’ अनुबन्ध मिला। सितंबर, 2007 में विश्व ट्वेंटी-20 मैचों के लिए धोनी को भारतीय टीम के कप्तान के रूप में चुना गया था। सितंबर, 2007 में धोनी ने अपने आदर्श एडम गिलक्रिस्ट के साथ एक रिकॉर्ड साझा किया, जो एक दिवसीय में एक पारी में सबसे अधिक विकेट लेने का था। सन् 2009 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई सीरीज के दौरान धोनी ने दूसरे वन-डे में 107 गेंदों पर 124 रन और तीसरे वन-डे में 95 गेंदों पर 71 रन बनाये। 30 सितंबर, 2009 को धोनी ने चैंपियंस ट्रॉफी में वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना पहला विकेट लिया। सन् 2009 में उन्होंने आईसीसी ओडीआई बल्लेबाज़ रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया।

सन् 2011 में धोनी ने क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया पर जीत और फाइनल में पाकिस्तान पर जीत दर्ज कर भारत को फाइनल में पहुँचाया था। धोनी ने गौतम गम्भीर और युवराज सिंह के साथ फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 275 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत को जीत दिलायी। धोनी ने 91 नाबाद के स्कोर के साथ एक ऐतिहासिक छक्के के साथ मैच समाप्त किया। 2011 क्रिकेट विश्व कप में शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच पुरस्कार मिला। सन् 2012 में विश्व कप जीतने के बाद पाकिस्तान ने पाँच साल में पहली बार द्विपक्षीय शृंखला के लिए भारत का दौरा किया, जिसे भारत 1-2 से सीरीज हार गया। सन् 2013 में भारत ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीती और धोनी आईसीसी ट्रॉफी का दावा करने वाले क्रिकेट के इतिहास में पहले और एकमात्र कप्तान बन गये। इसी साल वह सचिन तेंदुलकर के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1,000 या उससे अधिक वन-डे रन बनाने वाले दूसरे भारतीय बल्लेबाज़ बन गये।

सन् 2013-14 के दौरान भारत ने दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड का दौरा किया; लेकिन दोनों सीरीज हार गये। सन् 2014 में भारत ने इंग्लैंड में 3-1 से और वेस्टइंडीज के खिलाफ 2-1 से भारत में एक दिवसीय शृंखला जीती। सन् 2015 क्रिकेट विश्व कप के दौरान धोनी इस तरह के टूर्नामेंट में सभी रूप स्टेज मैच जीतने वाले पहले भारतीय कप्तान बने। सन् 2015 के क्रिकेट विश्व कप में शानदार शुरुआत के बावजूद भारत उस वर्ष के चैंपियंस ऑस्ट्रेलिया से मैच हार गया।

जनवरी, 2017 में धोनी ने सीमित ओवरों के सभी प्रारूपों में भारतीय टीम के कप्तान के पद से इस्तीफा दे दिया। इंग्लैंड के खिलाफ एक दिवसीय घरेलू शृंखला में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और सन् 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी में टीम ऑफ द टूर्नामेंट के विकेटकीपर के रूप में नामित किया गया। अगस्त, 2017 में श्रीलंका के खिलाफ वन-डे के दौरान वह 100 स्टंपिंग करने वाले पहले विकेटकीपर बने।

श्रीलंका के खिलाफ एक दिवसीय मैच में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद धोनी ने दिनेश कार्तिक को भारतीय टीम के टेस्ट विकेट कीपर के रूप में प्रतिस्थापित किया। अपने डेब्यू मैच में, जो बारिश से प्रभावित था, धोनी ने 30 रन बनाये। जनवरी-फरवरी, 2006 के दौरान, भारत ने पाकिस्तान का दौरा किया और धोनी ने फैसलाबाद में 93 गेंदों पर अपना पहला शतक बनाया। सन् 2006 में वेस्टइंडीज दौरे पर उन्होंने पहले मैच में आक्रामक रूप से 69 रन बनाये; जबकि उन्होंने अपने विकेट कीपिंग कौशल में सुधार किया और 13 कैंच और 4 स्टंपिंग के साथ सीरीज समाप्त की। सन् 2009 में धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ दो शतक बनाये और भारत को 2-0 से जीत दिलायी। इस जीत के साथ भारत ने इतिहास में पहली बार टेस्ट क्रिकेट में नम्बर-1 स्थान हासिल किया। सन् 2014-15 के सीज़न में धोनी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी आखरी टेस्ट शृंखला खेली और दूसरे और तीसरे टेस्ट मैच में कप्तानी की। मेलबर्न में तीसरे टेस्ट के बाद धोनी ने टेस्ट प्रारूप से संन्यास की घोषणा की। अपने आखरी टेस्ट मैच में धोनी ने नौ विकेट झटके और सभी प्रारूपों में 134 के साथ स्टंपिंग के लिए कुमार संगकारा के रिकॉर्ड को तोड़ा। सन् 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ धोनी भारत के पहले ट्वेंटी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैच का हिस्सा थे। अपने डेब्यू मैच में वह डक के लिए आउट हुए; लेकिन दो विकेट झटके। 12 फरवरी, 2012 को उन्होंने 44 रन बनाये, जिसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर अपनी पहली जीत हासिल की। सन् 2014 में आईसीसी ने उन्हें टी20 विश्व कप के लिए टीम ऑफ द टूर्नामेंट के कप्तान और विकेटकीपर के रूप में नामित किया।

सन् 2007 में एमएस धोनी ने अपने पहले विश्व टी20 मैच में भारत का नेतृत्व किया। उन्होंने स्कॉटलैंड के खिलाफ अपनी कप्तानी की शुरुआत की; लेकिन बारिश की वजह से मैच नहीं हो पाया। सितंबर, 2007 में उन्होंने फाइनल में पाकिस्तान पर जीत का नेतृत्व किया। सन् 2019 क्रिकेट विश्व कप में धोनी को भारतीय टीम में चुना गया था। धोनी ने दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के खिलाफ अच्छा खेला; लेकिन अफगानिस्तान और इंग्लैंड के खिलाफ स्ट्राइक रेट के लिए उनकी आलोचना की गयी। न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में धोनी ने दूसरी पारी में अद्र्धशतक बनाया; लेकिन एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण चरण में रन आउट हो गये। उनके आउट होने के साथ ही भारत का विश्व कप दौड़ से बाहर हो गया।

आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) के पहले सीज़न में धोनी को चेन्नई सुपर किंग्स द्वारा यूएस डॉलर 1.5 मिलियन के लिए अनुबन्धित किया गया था, जो पहले सीज़न की नीलामी में सबसे महँगा खिलाड़ी साबित हुए। उनकी कप्तानी में टीम ने सन् 2010, 2011 और 2018 में आईपीएल खिताब जीते। टीम ने सन् 2010 और सन् 2014 चैंपियंस लीग टी20 खिताब भी जीते। सन् 2016 में चेन्नई सुपर किंग्स को दो साल के लिए निलंबित कर दिया गया था और धोनी को अपनी टीम का नेतृत्व करने के लिए राइजिंग पुणे सुपरजाइंट ने अनुबन्धित किया था। हालाँकि टीम 7वें स्थान पर रही। सन् 2017 में उनकी टीम फाइनल में पहुँची; लेकिन मुम्बई इंडियंस के सामने खिताबी मैच हार गयी। सन् 2018 में चेन्नई सुपर किंग्स पर से प्रतिबन्ध हटा दिया गया और टीम आईपीएल खेलने के लिए वापस आ गयी। धोनी को फिर से इस टीम ने अनुबन्धित किया और धोनी ने टीम को तीसरा आईपीएल खिताब दिलाने के लिए नेतृत्व किया। सन् 2019 में उन्होंने फिर से सीएसके के लिए कप्तानी की और यह टीम सीज़न में सबसे मज़बूत टीमों में से एक बनकर उभरी; हालाँकि खिताब मुम्बई इंडियंस ने जीता।

बिजनेसमैन धोनी

धोनी सहारा इंडिया परिवार के साथ रांची रेज (रांची स्थित हॉकी क्लब) के सह-मालिक हैं। रांची रेज  हॉकी इंडिया लीग की एक फ्रैंचाइजी है। अभिषेक बच्चन और वीता दानी के साथ धोनी चेन्नईयिन एफसी (चेन्नई स्थित फुटबॉल क्लब) के सह-मालिक हैं। यह भारतीय सुपर लीग की एक फ्रैंचाइजी है। वह अक्किनेनी नागार्जुन के साथ सुपरस्पोर्ट वल्र्ड चैम्पियनशिप टीम माही रेसिंग टीम इंडिया के सह-मालिक हैं। इसके अलावा फरवरी, 2016 में धोनी ने अपना ब्रांड सेवेन लॉन्च किया। यह ब्रांड जूते बनाता है। धोनी इसके ब्रांड एंबेसडर भी हैं। यही नहीं, धोनी का एक प्रोडक्शन हाउस भी है, जिसका नाम धोनी एंटरटेनमेंट है। इस बैनर के तहत पहला शो एक वृत्तचित्र वेब शृंखला थी, जिसका प्रीमियर हॉटस्टार पर द रोर ऑफ द लायन के साथ किया गया था। सीरीज में एमएस धोनी मुख्य भूमिका में थे। इसके अलावा धोनी बहुत-से प्रॉडक्ट्स के लिए विज्ञापन भी करते हैं।

होगा विदाई मैच!

आमतौर पर क्रिकेट खिलाड़ी जब संन्यास लेने वाले होते हैं, तो इसका फैसला पहले ही हो जाता है। ऐसे में बीसीसीआई उनके लिए विदाई मैच का आयोजन करता है, जो उनका आखरी मैच होता है। लेकिन पूर्व कप्तान धोनी इंस्ट्राग्राम पर संदेश डालकर  अपने संन्यास का ऐलान किया, इसलिए उनका कोई विदाई मैच नहीं हो पाया। तहलका की जानकारी के मुताबिक, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए एक फेयरवेल मैच का आयोजन करने की सोच रहा है। बोर्ड आने वाले आईपीएल के दौरान धोनी से इसके लिए बात कर सकता है, जिसके बाद इसका कार्यक्रम बनाया जाएगा। अभी फिलहाल कोई अंतर्राष्ट्रीय सीरीज नहीं है। बीसीसीआई का कहना है कि धोनी ने देश के लिए बहुत कुछ किया है और वह इस सम्मान के हकदार हैं। जब उन्होंने अपने संन्यास की घोषणा की, तो किसी ने भी इसके बारे में सोचा नहीं था। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने हाल में कहा था कि आईपीएल के दौरान उनसे बात करेंगे और मैच या सीरीज के बारे में उनकी राय लेने के लिए यह सही जगह होगी। वैसे आईपीएल इस बार यूएई में हो रहा है।

रिकॉड्र्स के अद्भुत साल

सन् 2004 : बांग्लादेश के खिलाफ चटगाँव में दिसंबर में वन-डे सीरीज से धोनी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया।

सन् 2005 : उनके धुआँधार रन बनाने के हुनर को देखते हुए उनकी बल्लेबाज़ी क्रम में तरक्की की गयी। दूसरी पारी में उन्होंने 145 गेंद में 183 रन बनाकर इस फैसले को सही साबित कर दिया। पाँच मैचों की सीरीज में धोनी मैन ऑफ द सीरिज चुने गये।

सन् 2005 : दिसंबर में चेन्नई में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया।

सन् 2007 : धोनी को सितंबर में राहुल द्रविड़ की जगह वन-डे क्रिकेट का कप्तान बना दिया गया।

सन् 2007 : इसी महीने धोनी ने वन-डे क्रिकेट में एक पारी में सबसे ज़्यादा शिकार के एडम गिलक्रिस्ट के अंतर्राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी की। वह दक्षिण अफ्रीका में पहले टी20 विश्व कप में भारत के कप्तान बने। भारत ने फाइनल में धोनी के आखरी ओवर जोगिंदर शर्मा जैसे कम अनुभव वाले गेंदबाज़ को दे दिया जिनके प्रदर्शन के कारण भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया।

सन् 2008 : धोनी ने श्रीलंका में भारत को पहली द्विपक्षीय सीरीज में जीत दिलायी।

सन् 2008 : अगस्त में धोनी को राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार  मिला।

सन् 2008 : धोनी भारत के टेस्ट कप्तान बने। नागपुर में आस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट में अनिल कुंबले से कप्तानी सँभाली।

सन् 2008 : धोनी आईसीसी वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वन-डे क्रिकेटर चुने गये।

सन् 2009 : धोनी को अप्रैल में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

सन् 2009 : धोनी आईसीसी वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वन-डे क्रिकेटर का पुरस्कार लगातार दो बार जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन गये।

सन् 2010 : धोनी की कप्तानी में चेन्नई सुपर किंग्स ने आईपीएल जीता।

सन् 2010 : धोनी ने 4 जुलाई को साक्षी सिंह रावत से शादी की। अपनी शादी के समय साक्षी प्रशिक्षु के रूप में कोलकाता के ताज में एक होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही थीं। साक्षी से उनकी एक बेटी ज़ीवा (जन्म 6 फरवरी, 2015) है।

सन् 2011 : धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ विश्व कप फाइनल में 91 रन की नाबाद पारी खेलकर 28 साल बाद भारत की झोली में विश्व कप डाला।

सन् 2011 : धोनी को क्रिकेट में उनके योगदान के लिए भारतीय प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट-कर्नल की मानद रैंक प्रदान की गयी थी। अगस्त, 2019 में उन्होंने जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में सेना के साथ दो सप्ताह का कार्यकाल पूरा किया।

सन् 2013 : धोनी ने  बतौर कप्तान 49 टेस्ट में 21वीं जीत दर्ज करके सौरव गांगुली का रिकॉर्ड तोड़कर भारत के सफल टेस्ट कप्तान बन गये।

सन् 2013 : भारत ने धोनी की कप्तानी में आईसीसी चैम्पियंस ट्राफी जीती।

सन् 2013 : धोनी ने टेस्ट क्रिकेट में पहला और इकलौता दोहरा शतक बनाया।

सन् 2018 : धोनी को पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया।

धोनी के रिकॉर्ड

टेस्ट मैच : महेंद्र सिंह धोनी ने 90 टेस्ट मैचों में 4876 रन बनाये हैं; जिसमें उन्होंने 6 शतक के अलावा एक दोहरा शतक बनाने साथ-साथ 33 अद्र्धशतक भी बनाये। टेस्ट मैच में उनका उच्चतम स्कोर 224 रन है। संन्यास।

वन-डे : वन-डे करियर की बात करें, तो धोनी ने 350 वन-डे मैच खेले और 10,773 रन बनाये। इसमें उनके 10 शतक और 73 अद्र्धशतक हैं। वन-डे में उनका उच्चतम स्कोर 183 रन है।

टी-20 : टी-20 में धोनी ने 98 मैच खेले। इनमें उन्होंने 1617 रन बनाये। टी-20 करियर में उन्होंने सिर्फ अद्र्धशतक ही बनाये हैं। उनका उच्चतम स्कोर 56 रन है।

आईपीएल : आईपीएल में धोनी ने अब तक 190 मैच खेले हैं और 4432 रन बनाये हैं। उन्होंने 23 अद्र्धशतक बनाये हैं। आईपीएल में उनका अब तक उच्चतम स्कोर 84 रन है। धोनी अभी आईपीएल में खेलते रहेंगे।

बतौर कप्तान : धोनी की कप्तानी में भारत ने 2007 में पहला टी-20 वल्र्ड कप जीता था। इसके बाद 2011 में 50 ओवर वल्र्ड कप और 2013 में चैम्पियंस ट्रॉफी जीती थी। भारत ने साथ ही 2010 और 2016 का एशिया कप भी धोनी की कप्तानी में जीता था।

क्या राजनीति में आएँगे धोनी!

धोनी ने कभी यह संकेत नहीं किया कि राजनीति में उनकी कोई भी दिलचस्पी है। हाँ, वह यह ज़रूर कहते हैं कि उन्हें अपने राज्य झारखण्ड से बहुत प्यार है और वह इसके विकास और खुशहाली की हमेशा कामना करते हैं। तो फिर धोनी के राजनीति में आने का सवाल ही कहाँ उठता है। लेकिन इसके बावजूद धोनी के राजनीति में आने की सम्भावना को खारिज भी नहीं किया जा सकता। इस सोच के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उन्हें उनके संन्यास के बाद लिखा पत्र है। यह पत्र बहुत आत्मीय होते हुए भी राजनीतिक है, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता। वैसे प्रधानमंत्री ने सुरेश रैना को भी ऐसा ही पत्र लिखा; लेकिन बहुत-से जानकार धोनी को लिखे उनके पत्र को संकेतात्मक देखते हैं।

बहुत-से क्रिकेटर राजनीति में आये हैं, जिनमें दिवंगत चेतन चौहान (भाजपा), कीर्ति आज़ाद (कांग्रेस), मोहम्मद अजहरुद्दीन (कांग्रेस), नवजोत सिंह सिद्धू (कांग्रेस), गौतम गम्भीर (भाजपा) शामिल हैं। यही नहीं, सचिन तेंदुलकर को भी उनके संन्यास के बाद राहुल गाँधी के सुझाव पर कांग्रेस ने राज्य सभा के लिए मनोनीत किया था। उनके अलावा रायवर्धन सिंह राठौड़ (भाजपा), लक्ष्मी रतन शुक्ल (टीएमसी), एस श्रीसंथ (भाजपा), मोहम्मद कैफ (कांग्रेस),  पूर्व हॉकी कप्तान दिलीप टिर्की ओडिशा से राज्यसभा सदस्य रहे, छ: बार की विश्व चैम्पियन एमसी मेरीकॉम भी राज्यसभा सदस्य रही हैं। क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी रीवा सोलंकी ने भाजपा की सदस्यता ली है। मशहूर फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया 2014 में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार रहे। पूर्व राष्ट्रीय तैराकी चैम्पियन और अभिनेत्री नफीसा अली 2004 में कांग्रेस और 2009 में सपा की उम्मीदवार रहीं; हालाँकि दोनों बार हार गयीं। वैसे अभी यह मालूम ही नहीं कि धोनी राजनीतिक रूप से किस विचारधारा के करीब हैं; लेकिन इसके बावजूद बहुत-से ऐसे लोग हैं, जो मानते हैं कि थिंकर होने के कारण धोनी राजनीति में जम सकते हैं। यदि प्रधानमंत्री की धोनी को लिखी चिट्ठी को कोई संकेत माना जाए, तो झारखण्ड में वैसे तो भाजपा के पास धुरंधर नेता हैं; लेकिन यदि युवा धोनी राजनीति में आने की सोचते हैं, तो भाजपा के लिए बड़ा चेहरा हो सकते हैं। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी का उन्हें लिखा पत्र संकेतों से भरा लगता है।   प्रधानमंत्री की चिट्ठी में लिखा कि धोनी के नाम को सिर्फ क्रिकेट में उनके आँकड़ों या फिर मैच जिताने वाली पारियों के लिए ही याद रखना सही नहीं है। धोनी को सिर्फ एक खिलाड़ी के तौर पर याद करना, उनके साथ अयाय है। धोनी को सही तरीके से तभी समझा जा सकता है, जब देश पर उनके असर को समझा जाए; क्योंकि यह असर बहुत ही असाधारण है। प्रधानमंत्री ने लिखा कि धोनी एक छोटे से शहर के साधारण परिवार में पले-बढ़े और वहाँ से उठकर राष्ट्रीय स्तर पर चमके। उन्होंने अपने दम पर अपना नाम किया और देश को गर्व महसूस कराया। धोनी की कामयाबी और व्यवहार, देश के उन करोड़ों युवाओं को ताकत और प्रेरणा देता है, जो धोनी की तरह ही, न तो बड़े-बड़े स्कूलों या कॉलेजों में पढ़े, और न ही किसी बड़े परिवार में उन्होंने जन्म लिया। इन युवाओं में इतनी प्रतिभा है कि वे सर्वोच स्तर तक अपनी पहचान बना सकें यानी अब देश के युवा को परिवारवाद से घबराने की ज़रूरत नहीं है। मोदी ने यह भी लिखा कि धोनी नये भारत के ज•बे का प्रतीक हैं। नया भारत मोदी का ही स्लोगन का नारा है। प्रधानमंत्री ने यह भी लिखा कि धोनी मैच के दौरान खतरे उठाते थे, कभी हिम्मत नहीं हारते थे, धोनी खुद पर कभी नियंत्रण नहीं खोते, निजी ज़िन्दगी और अपने काम के बीच संतुलन बनाने की कला में माहिर, देशभक्ति और सेना के प्रति उनका लगाव एक बेहतर उदाहरण हैं। धोनी ने भी प्रधानमंत्री को उनके पत्र के लिए धन्यवाद किया। प्रधानमंत्री मोदी के इस पत्र को यूँ ही खारिज नहीं किया जा सकता। इसमें राजनीति से संदर्भ सीधे न कहते हुए भी बहुत खूबी से जोड़े गये हैं। हालाँकि देखना होगा कि भविष्य में क्या धोनी सचमुच राजनीति का रास्ता चुनते हैं, या नहीं!

बेहतर के हकदार थे सुरेश रैना

सुरेश रैना पिछले कुछ महीनों से जैसी तैयारी कर रहे थे, उससे साफ लगता था कि वह भारतीय टीम में वापसी के लिए प्रतिबद्ध थे। अपने ट्वीट् और सोशल मीडिया पोस्ट्स में भी वह अभ्यास की तस्वीरें लगातार पोस्ट कर रहे थे। लेकिन 15 अगस्त को पूर्व कप्तान एमएस धोनी की संन्यास की घोषणा के कुछ ही देर बाद रैना ने भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया। संन्यास का रैना का फैसला निश्चित ही उनका व्यक्तिगत फैसला है, लेकिन यह भी सच है रैना को जो मिला, संभवत: वह उससे बेहतर के हकदार थे।

यदि भारत के बायें हाथ के खिलाडिय़ों की बात की जाए तो इसमें कोई शक नहीं कि वह सबसे बेहतरीन में से एक थे। यह भी एक संयोग ही कहा जाएगा कि रैना ने जिस कप्तान के साथ अपनी ज़्यादा क्रिकेट खेली, उसी कप्तान (धोनी) के साथ उन्होंने संन्यास घोषणा की। यह दोनों ऑफ फील्ड भी गहरे दोस्त हैं। सुरेश रैना अभी महज़ 33 साल के हैं, और निश्चित ही भारतीय टीम में वापसी का अभी उनके पास समय था। क्रिकेट के तीनों फार्मेट में शतक उनकी प्रतिभा को साबित करता है।

रैना के करियर पर नज़र डालें, तो साफ होता है कि वह एक बेहतरीन खिलाड़ी थे। उन्होंने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत साल, 2005 में श्रीलंका के खिलाफ की थी। उन्होंने भारत के लिए 16 ही टेस्ट खेले, जो उनकी प्रतिभा से मेल नहीं खाते। हालाँकि रैना ने 226 वन-डे खेले। यही नहीं उन्होंने 78 टी20 मैचों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया।

करीब 15 साल चले करियर में  रैना ने भारत को कई मौकों पर अपनी क्रिकेट से संबल प्रदान किया। करियर के दौरान रैना ने कई ऐसी पारियाँ खेली जो काफी रोमांचित करने वाली रहीं। इस अंतराल में उन्होंने कुछ शानदार रिकॉड्र्स अपने नाम किये जिनकी वजह से वो हमेशा याद किये जाएँगे।

बता दें सुरेश रैना भारत की तरफ से क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज़ थे। उन्होंने वन-डे में अपना पहला शतक हांगकांग के खिलाफ लगाया था, तो वहीं उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक श्रीलंका के खिलाफ बनाया। उन्होंने 2010 के टी20 वल्र्ड कप के दौरान क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में अपना पहला शतक साउथ अफ्रीका के खिलाफ लगाया था। वह भारत की तरफ से टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी बने थे, जबकि दुनिया में वह ऐसा करने वाले सिर्फ तीसरे खिलाड़ी थे।

रैना ने टेस्ट मैच सिर्फ 16 ही खेले।  हालाँकि उनकी टेस्ट की शुरुआत बहुत धमाकेदार रही थी। उनकी बल्लेबाज़ी से लगता था कि वह टेस्ट टीम में स्थायी जगह बना लेंगे; लेकिन ऐसा हुआ नहीं। रैना ने अपने डेब्यू टेस्ट मैच में ही शतक लगाया था और वह भारत की तरफ से 12वें ऐसे खिलाड़ी बने, जिन्होंने डेब्यू टेस्ट में ही शतक लगाया था। रैना ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत तो काफी शानदार की थी; लेकिन वो ज़्यादा टेस्ट मैच भारत के लिए नहीं खेल पाये थे। उन्होंने अपने पूरे टेस्ट करियर में 768 रन ही बनाये।

यदि रैना के कुछ और रिकॉर्ड्स पर नज़र डालें तो वह टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में नम्बर तीन की पोजीशन पर बल्लेबाज़ी करते हुए शतक लगाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने थे। यही नहीं वो टी20 वल्र्ड कप के इतिहास में ऐसा करने वाले पहले खिलाड़ी बने थे। रैना भारत की तरफ से एकमात्र ऐसे बल्लेबाज़ हैं, जिन्होंने टी20 वल्र्ड कप और वन-डे वल्र्ड कप दोनों में शतकीय पारी खेली थी। रैना के बाद अब तक कोई भारतीय बल्लेबाज़ यह कमाल नहीं कर पाया है।

वन-डे में रैना बहुत उपयोगी गेंदबाज़ भी थे। बहुत-से अहम मौकों पर उन्होंने भारत के लिए विकेट निकालकर जीत का रास्ता प्रशस्त किया। बतौर फील्डर भी रैना मैदान पर बेहद मुस्तैद रहते थे। आईपीएल में सबसे ज़्यादा कैंच लपकने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम दर्ज है। रैना ने आईपीएल के सभी सीज़न खेले हैं और कुल 102 कैंच पकड़े हैं। वन-डे में उन्होंने भारत के लिए खेलते हुए कई ज़रूरी मौकों पर लाजवाब कैंच लपके।

सुरेश रैना कितने अहम खिलाड़ी थे, यह पूर्व कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज़ राहुल द्रविड़ के कथन से होता है। रैना द्रविड़ के शिष्य भी रहे हैं। द्रविड़ ने कहा कि डेढ़ दशक तक रैना ने भारत के सीमित ओवरों के क्रिकेट में अभूतपूर्व योगदान दिया है। द्रविड़ की कप्तानी में ही रैना ने जुलाई, 2005 में श्रीलंका के खिलाफ खेले गये वन-डे मैच से अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी। बीसीसीआई ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें द्रविड़ ने कहा- ‘सुरेश रैना उन युवा प्रतिभाओं में से एक थे, जो 2004 या 2005 के आसपास प्रभावशाली तरीके से उभर रहे थे।’

गाज़ियाबाद के मुरादनगर के रहने वाले सुरेश रैना को सोनू के नाम से भी जाना जाता है। लखनऊ के गुरु गोविंद सिंह स्पोट्र्स कॉलेज और स्पोट्र्स हॉस्टल लखनऊ में अपने खेल को उन्होंने निखारा और क्रिकेट के शीर्ष पर पहुँचे। प्रथम श्रेणी और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जगत में पदार्पण करने वाले बायें हाथ के इस बल्लेबाज़ ने अपनी शानदार पारियों ने टीम इंडिया के मध्यक्रम में अपनी जगह पक्की कर ली थी।

प्रधानमंत्री ने भी की तारीफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को संन्यास की घोषणा करने वाले क्रिकेटर धोनी की तरह सुरेश रैना को भी चिट्ठी लिखी। इसमें रैना को बेहतर भविष्य की शुभकामनाएँ दी गयी हैं। प्रधानमंत्री ने रैना के खेल की तारीफ करते हुए उन्हें एक शानदार क्रिकेटर बताया। इसमें रैना की फील्डिग, बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी की खूब तारीफ की। मोदी ने उन्हें भावी क्रिकेटरों का प्रेरणास्रोत बताया। उन्होंने बताया कि अपनी प्रतिभा व कड़ी मेहनत के बूते उन्होंने मुरादनगर जैसे कस्बे से निकलकर टीम इंडिया तक सफर किया। उनका टी-20, वन-डे और टेस्ट तीनों प्रारूपों में प्रदर्शन शानदार रहा।

क्रिकेट करियर

अपने क्रिकेट करियर में सुरेश रैना ने 18 टेस्ट मैच खेले। इसमें उन्होंने एक शतक के साथ 768 रन बनाये। इसके अलावा उन्होंने टीम इंडिया के लिए 226 एक दिवसीय मैच खेले, जिनमें रैना के नाम 5 शतक दर्ज हैं। रैना ने ओडीआई क्रिकेट में 5615 रन बनाये। इसके अलावा रैना ने 78 टी-20 मुकाबलों में भारत के लिए 1604 रन बनाये, जिनमें एक शतक शामिल है।