देश बंटा ज़रूर लेकिन दिल नहीं बंटे

भारत की आज़ादी के समय बड़े पैमाने पर खून-खराबा हुआ। हज़ारों लोग मार दिए गए। कई सौ लड़कियां-औरतें हवस का शिकार हुईं। लाखों बेघरबार हुए लोगों ने तिल-तिल कर अपनी नई जि़ंदगी शुरू की। देश को आज़ादी मिली।  कांग्रेसी सोच, आंदोलनों और अहिंसा के प्रयोग के जरिए।

लेकिन देश के बंटवारे में हुई मारकाट के बाद विस्थापितों को बेहद असुविधाजनक हालातों में अपनी जि़ंदगी शुरू करनी पड़ी। इनमें सड़कों पर खुद को जो मजबूत कर पाए वे अपनी जि़ंदगी मे सात दिनों, चौबीस घंटे साहस, मेहनत और बहादुरी मौत के कुंओं में दिख पाए। इस दिलेरपन से शुरू होती है फिल्म ‘भारत’ एक नए विकास की ओर।

कांग्रेस ने समाज के सभी वर्गों के साथ लेकर युवा भारत को मज़बूत भारत बनाने की पहल ली। भ्रष्टाचार तब कम, मगर था। आज की तरह भाई-भतीजावाद और पार्टीबाजी उतनी नहीं थी। देश की प्रगति के साथ जनता विकास पथ पर थी। देश में उदारवाद आने के बाद जो तब्दीली दिखी। वह मर्चेंट नेवी और मुंबइया फिल्मों के गीतों और नायकों के प्रभाव के साथ उभरती है। फिल्म से ही यह पता लगता है कि भारतीय समाज में किस तरह बदलाव आया। विवाह बदल गया ‘लिव-इन’ में। एक परिवार बनाने में कामयाबी ‘लिव-इन’ से यदि आती है तो विवाह ज़रूरी नहीं।

फिल्म ‘भारत’ के निर्देशक अली अब्बास जफर बातचीत में कहते है कि उन्होंने देश के 70 साल के इतिहास को इस तरह पेश किया है कि यह देश के 70 साल की फिल्मी दास्तान है। इसमें आप छह-सात फिल्मों को देखने का आनंद ले सकते हैं। यानी एक किताब के कई चैप्टरों की तरह इस फिल्म में भी हर दशक एक अलग चैप्टर की तरह शुरूआत लेता है और फिर समापन लेता है। फिल्म में हर अदाकार जब अपनी बात रखता है तो आप महसूस करते हैं कि यह फिल्म किसी एक व्यक्ति की नहीं है। बल्कि यह फिल्म हर हिंदुस्तानी की है।

फिल्म निर्देशक अली अब्बास जफर इसके पहले ‘सुल्तान’ (2016), और ‘टाइगर जिंदा है’ (2017) फिल्मों के भी निर्देशक रहे हैं। विलार्ड कैरोल की रोमांटिक कॉमेडी ‘मेरीगोल्ड’  (2007) में अली लार्टर के साथ बतौर सहायक निदेशक काम भी कर चुके हैं। उस समय वे महज 23 साल के थे और सेट संबंधी तमाम छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखने की जिम्मेदारी भी निभाते थे। उनकी मुलाकात कबीर खान की फिल्म ‘न्यूयार्क’ (2009) में कैफ से हुई थी। जिन्होंने उनकी मुलाकात सलमान खान से करा दी। कैफ और सलमान की यह तीसरी फिल्म है। जो बाक्स आफिस पर सफल है।

सलमान खान ने फिल्म ‘भारत’ के उपयुक्त अभिनेता के तौर पर खुद को साबित किया। फिल्म में सलमान से उनके पिता कहते है तुझसे पूरा देश है, ‘भारत’।

कैफ कैटरीना फिल्म ‘भारत’ में ‘मैडम सर’ कही जाती हैं। अपनी भूमिका में वे अच्छी और कामयाब रहीं। अभिनय के मामले में वह सलमान से कम नहीं रहीं। फिल्म में एक और किरदार विलायती (ग्रोवर) हैं जो दोस्ती और भाईचारे पर अच्छी बात करता है। विभाजन देश का ज़रूर हुआ लेकिन दिल नहीं बदले हैं। पूरे परिवार के लिए यह एक अच्छी फिल्म है।