देश ने इंदिरा को उनकी जयंती पर याद किया, पीएम से लेकर अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

इंदिरा गांधी की जयंती पर उन्हें देश भर में श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। इंदिरा की बहु और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शक्ति स्थल पहुंचकर इंदिरा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। पार्टी अध्यक्ष खड़गे सहित कई नेताओं ने उन्हें याद किया है। पीएम मोदी ने भी एक ट्वीट में इंदिरा को श्रद्धांजलि अर्पित की है।

कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर शनिवार को उन्हें श्रद्धांजलि दी और देश के प्रति उनके योगदान को याद किया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट में कहा – ‘आजीवन संघर्ष, साहस और कुशल नेतृत्व की मिसाल, भारत की लौह महिला, श्रीमती इंदिरा गांधी की जयंती पर शत शत नमन। भारत की एकता और  अखंडता को संजोए रखने के लिए उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया। राष्ट्र को समर्पित, उनकी राजनीतिक दृढ़ता को हम भारतवासी हर पल याद करते हैं।’

कांग्रेस नेता और इंदिरा के पोते राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत से पहले दादी इंदिरा गांधी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। राहुल ने इंदिरा गांधी को याद करते हुए ट्वीट में कहा – ‘आज़ादी के संग्राम में पली, भारत के महान नेताओं से सीखी पढ़ी, पिता की लाडली थीं वो। देश के लिए दुर्गा, दुश्मनों के लिए काली थीं – निडर, तेजस्विनी, प्रियदर्शिनी।’

इंदिरा की पोती और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट में इंदिरा के एक भाषण का अंश साझा करते हुए उनके कथन का उल्लेख करते हुए कहा – ‘एकजुट होकर काम करना है, एकजुट होकर आगे बढ़ना है, एकजुटता के साथ देश की विजय सुनिश्चित करनी है।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इंदिरा की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी ने एक ट्वीट में कहा – ‘हमारी पूर्व पीएम श्रीमती इंदिरा गांधी जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।’

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा – ‘देश की एकता और अखंडता बरकरार रखने में इंदिरा गांधी जी का अतुलनीय योगदान रहा है। उन्होंने इस महान उद्देश्य के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। उनके कार्यकाल में भारत की सेना ने ऐतिहासिक शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान को पराजित किया तथा बांग्लादेश का निर्माण हुआ।’

याद रहे इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर, 1917 को प्रयागराज में हुआ था। वह जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक प्रधानमंत्री रहीं। इसके बाद 1980 में वह फिर से प्रधानमंत्री बनीं। उनके अंगरक्षकों ने ही 31 अक्टूबर, 1984 को उनकी हत्या कर दी  थी।