देशद्रोह की सीमाएं परिभाषित करने का समय आ गया : सुप्रीम कोर्ट

आंध्र प्रदेश की दो तेलुगु चैनल पर की गई कार्रवाई रोक लगाते हुए शीर्ष अदालत ने की टिप्पणी

देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को दो तेलुगु चैनलों के खिलाफ आंध्र प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा कि ‘समय आ गया है कि हम देशद्रोह की सीमाएं परिभाषित करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार को तेलुगु समाचार चैनलों टीवी 5 और एबीएन आंध्र ज्योति के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई न करे। कोर्ट ने कहा कि चैनलों के खिलाफ आंध्र सरकार की ओर से राजद्रोह की कार्रवाई करना सही नहीं है। चैनलों की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र सरकार से चार हफ्तों में जवाब तलब किया है।

भारतीय दंड विधान में शामिल देशद्रोह की धारा के तहत केस दर्ज करने के बढ़ते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी बेहद अहम है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार चैनलों के खिलाफ देशद्रोह के मामले दर्ज कर उनको दबा रही है। यह समय है कि अदालत देशद्रोह को परिभाषित करे।

सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने इन चैनलों की याचिकाओं पर राज्य सरकार से चार हफ़्ते के भीतर जवाब तलब किया है। इन चैनलों के खिलाफ देशद्रोह सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप लगाए गए हैं। इस पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल हैं। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उस एफआईआर से संबंधित समाचार चैनलों के कर्मचारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हमारा मानना है कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों 124ए (राजद्रोह) और 153 (विभिन्न वर्गों के बीच कटुता को बढ़ावा देना) की व्याख्या की जरूरत है, खासकर प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर।

आंध्र प्रदेश के दोनों समाचार चैनलों ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट की याचिका दायर की थी कि आंध्र सरकार ने हाल ही में कोर्ट द्वारा दिए गए उस आदेश का उल्लंघन किया है, जिसमें सरकारों को कोविड महामारी से संबंधित शिकायतें करने वाले नागरिकों को दंडित नहीं करने का निर्देश दिया गया था।

क्या था मामला
दोनों तेलुगु समाचार चैनलों ने आंध्र में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बागी सांसद के रघु राम कृष्ण राजू के ‘आपत्तिजनक’ भाषण का प्रसारण किया था। इसलिए राज्य सरकार ने उन चैनलों के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया था। सांसद राजू अपनी ही सरकार की कोविड नीतियों के आलोचना कर रहे हैं। इस पर वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने राजू को भी देशद्रोह के आरोप में केस दर्ज उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। सांसद राजू को 21 मई को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली।