देखते हैं किस करवट बैठता है बुंदेलखंड में ऊंट

Chitrakoot

उत्तर प्रदेश में नगर निकाय के चुनाव को लेकर पूरा प्रदेश चुनावी रंग में रंगा हुआ है। लेकिन यह रंग और भी गाढ़ा तब हो गया जब उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुन्देलखण्ड में 22 अक्टूबर को महोबा, हमीरपुर और चित्रकूट में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने करोड़ों रु पये की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर कहा कि बुंदेलखंड को विकसित करने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। प्रदेश और केन्द्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकारें हैं ऐसे में मुख्यमंत्री के भाषण के बाद से स्थानीय नेताओं के चेहरे खिले हुए हैं भाजपा में आम कार्यकर्ता से लेकर भाजपा का स्थानीय स्तर का नेता अब हर हाल में पार्टी का टिकट पाने के लिये दावेदारी और ज़ोर आजमाइश कर रहा है कि अगर उसको पार्टी का टिकट मिलता है तो वह निश्चित तौर पर पार्षद, नगर पालिका चेयरमैन और निगम का मेयर बन सकता है।

बुंदेलखंड के हिस्से वाले उत्तर प्रदेश में चारों लोक सभा सीटों पर और 19 विधानसभा सीटों पर भाजपा के ही सांसद और विधायकों का कब्जा है। ऐसे में पार्टी चाहती है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तरह नगर निकाय चुनाव में रुतबा व जलवा कायम रहे। मतदाताओं में पकड़ बनी रहे पर मौजूदा हालात में बुंदेलखंड की स्थिति सामान्य नहीं है, क्योंकि कि बुंदेलखंड में सूखा होने के कारण आमजन तो परेशान है ही साथ ही किसान की सूखा पडऩे के कारण माली हालत पूरी तरह से चरमराई हुई है। उनके खेतों में बुवाई तक नहीं हो पा रही है और तो और उनकी बुवाई की लागत तक नहीं निकल पा रही है।

ऐसे वक्त में नगर निकाय चुनाव कहीं भाजपा का समीकरण न बिगाड़ दें जिसको लेकर सांसद और विधायक साफ सुथरी छवि के नेता की तलाश में रात दिन एक किये हुये हैं, जि़ला स्तर के नेताओं से संपर्क कर चुनाव जिताऊ प्रत्याशी की बात कर रहे हैं भाजपा के नेता व संघ के पदाधिकारी ज़मीनी स्तर पर चुनावी समीकरण साधने में लगे हैं।

बुंदेलखंड में समाजवादी पार्टी भले ही दूसरे नम्बर की पार्टी है पर इस बार निकाय चुनाव से कांग्रेस और बसपा खोए हुये जनाधार को वापिस पाना चाहती हैं। ऐसे में सपा, कांग्रेस और बसपा के नेता स्थानीय स्तर पर ही सही जमकर केन्द्र और प्रदेश की सरकार पर हमला बोल रहे हैं कि चुनावी वादों को पूरा करने में सरकार असफल रही है। वोट बंदी कर अर्थ व्यवस्था को चौपट किया था अब जीएसटी कानून को लाकर व्यापार का बेढ़ा गर्क कर दिया है। अपराध इस कदर बढ़ा है कि पुलिस वालों तक की पिटाई हो रही है। ललितपुर और झांसी में अक्तूबर में कई जगह ऐसी घटनायें हुई हैं जिसके कारण अपराधियों के हौसले को देखते हुये आम नागरिकों में काफी भय का माहौल है।

यहां के स्थानीय कांग्रेस नेता संजीव और बसपा के नेता सुधीर सिंह का कहना है कि बुंदेलखंड का किसान आत्महत्या कर रहा है बेरोज़गार पलायन कर रहे हैं और व्यापारी परेशान हैं। अपना व्यापार सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं। उस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। अब नगर निकाय चुनाव में भाजपा की पतली हालत को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी अघोषित चुनावी सभा महोबा, हमीरपुर और चित्रकुट में कर जनता को योजनाओं और विकास का लॉलीपॉप दिखा रहे हैं पर जनता भाजपा की बातों में आने वाली नहीं है चुनाव में सबक सिखाया जाएगा।

हमीरपुर से भाजपा सांसद पुष्पेन्द्र चंदेल का कहना है कि मुख्यमंत्री ने हमीरपुर में 188.96 करोड़ की 11 योजनाओं का शिलान्यास व लोकर्पण किया है और महोबा में 80.89 करोड़ की 78 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया है। इससे यहां पर विकास निश्चित होगा और बुंदेलखंड में खुशहाली आएगी।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने चुनाव को देखते ही सही पर जनता की भावनाओं और नब्ज को समझा और जाना। उनकी उन समस्याओं को पकड़ा है जिस कारण प्रदेश की जनता में काफी आक्रोश है। सरकार ने किसानों की कर्ज माफी, खनन में माफिया राज जिससे खनिज संपत्ति के आसमान छूते भाव,बुंदेलखंड में बारिश न होने के कारण पानी का संकट, अन्ना प्रथा सहित तमाम मुद्दों का समाधान कर जनता को खुश करने का प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार केन-बेतवा के साथ अर्जुन सहायक परियोजनाओं को पूरा करेगी, खनन के पट्टे किये जा रहे हैं इससे खनिज के दाम काफी कम होंगे और लोगों को अपने मकान को बनवाने में सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि पानी और अन्ना प्रथा का समाधान करने के लिये प्रदेश की सरकार कटिबद्ध है। बुंदेलखंड की धरती को प्यासा नहीं रहने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों की नीतियों की वजह से बुन्देलखण्ड उपेक्षित व पिछड़ा रहा है लेकिन अब गांव, $गरीब, नौजवान और किसान का हम विकास करेंगे।

बुंदेलखंड के ललितपुर, झांसी, जालौन और बांदा के लोगों का कहना है कि जब केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की ही सरकार है तो किसानों की मांगों और उनके कर्ज को क्यों माफ नहीं किया जा रहा और जो माफ किये जा रहे है उनके क्रियान्वयन विलम्ब क्यों हो रहा है। जब हमीरपुर में मुख्यमंत्री लोकार्पण और शिलान्यास कर रहे थे तभी कबरई के किसानों ने बताया कि जब भी देश में प्रदेश में और स्थानीय स्तर पर चुनाव आते है तभी नेताओं की दौरे और लुभावने भाषण सुनाई देते हंै पर इससे कुछ होता नहीं है।

किसान बृजकिशोर ने बताया कि जब प्रदेश में पूर्ण बहुमत की योगी सरकार बनी थी तब लगा था कि किसानों और गरीबों की सुनवाई होगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ काम करने का वही तरीका जो पहली की सरकारों में रहा है। ललितपुर के किसान व सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश गोसाई का कहना है कि माना कि सब कुछ सरकार नहीं कर पाती पर वह तो कर सकती है जो वह चुनाव के दौरान वोट बटोरने के लिये बोलती है। पर इस सरकार ने तो अभी तक कोशिश भी नहीं की है। दीपावली के दिन कई कस्बों और मुहल्लों में बिजली तक नहीं थी।

बांदा के युवा भाजपा नेता व बुंदेलखंड डिग्री कॉलेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राजेश श्ुाक्ला का कहना कि बुंदेलखंड सहित पूरे उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव में भाजपा का परचम लहराएगा क्योंकि जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनहित वाली योजनाओं को प्रदेश के मुख्यमंत्री योग आदित्य नाथ एक क्रमबद्ध तरीके से चला रहे हैं उससे प्रदेश में काफी विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि सपा और बसपा के दिन लद गये हैं कांग्रेस तो चुनाव अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये ही चुनाव लड़ रही है।

चिरगांव निवासी पूरन लाल का कहना है नगर निकाय का चुनाव स्थानीय स्तर पर होता है जिसमें लोकल मुद्दे और समस्यायें होती हैं, इस लिहाज से इस चुनाव में समाज का प्रतिष्ठित नागरिक हर चुनाव जीतता है जो जन सरोकार में सदैव भागीदारी रखता हो। रहा सवाल राजनीतिक पार्टियों का उसका उतना महत्व नहीं होता जितना कि स्थानीय स्तर के लोकप्रिय लोगों का होता है और जनता उसका ही समर्थन करती है।

समाजवादी पार्टी के नेता राज किशोर का कहना है कि सात महीने की योगी सरकार में छह महीनों तक अधिकारियों का इस कदर बोलबाला रहा कि विधायकों तक की नहीं सुनी गई जिससे अधिकारियों ने जमकर जनता को लूटा है अब चुनाव पास देखकर विधायकों का अधिकार दिये गये है तो जनता समझ चुकी है सब दिखावा और जनता को गुमराह रकने वाली बात सरकार कर रही है भाजपा के नेता विनोद कुमार का कहना है कि भाजपा की स्थिति में सुधार तब होगा जब वह ज़मीन से जुड़े ईमानदार नेता को टिकट दें। उन्होंने कहा कि बसपा, सपा और कांग्रेस पार्टी के पास इस समय चुनाव में जीतने के लिये मुद्दे तक नहीं है वह जातीय आधार पर चुनाव लड़ेगी जिससे कुछ होना वाला नहीं है। चुनाव नवंबर में और मतगणना दिसम्बर में होनी है।

उल्लेखनीय है कि बुंदेलखंड पिछड़ता ही क्यों जा रहा इस पर न सियासतदान कोई ध्यान दे रहे हैं और न ही नौकरशाही। बस बात अटक कर रह जाती है। चुनाव के दौरान बुंदेलखंडवासी देखते रह जाते हैं। राजनीतिक पार्टियों के जातीय, धार्मिक और आर्थिक समीकरण को। ऐसे में बचा रह जाता है वो संघर्ष जो दो दशक से ज्य़ादा समय से वे कर रहे हैं।