‘दीवानी’ हुई सियासत

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मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अब लगभग सौ दिन शेष हैं. उम्मीद के मुताबिक चुनाव के ठीक पहले यहां सत्तासीन भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग भी तेज हो चुकी है. किंतु जुबानी जंग से शुरू हुआ यह मुकाबला जिस तरीके से अब मुकदमेबाजी में तब्दील हो गया है उससे राज्य की राजनीति का रंग और ढंग बदला-बदला नजर आ रहा है. मध्य प्रदेश के लिए चुनाव की बेला में चला मुकदमेबाजी का यह खेल बिलकुल नया है. और पहली बार में ही यह इस हद तक परवान भी चढ़ा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह, नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के अजय सिंह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा से लेकर मौजूदा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सरीखे तमाम बड़े नेता अपना-अपना दांव आजमा रहे हैं. और तो और, आप मप्र की सियासत के इस मुकदमा युग का प्रभाव देखिए कि अब यहां छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीत जोगी भी अपनी ताल ठोक रहे हैं.

आरोप-प्रत्यारोप से बढ़ी तल्खी के बीच इन दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और श्रीमती साधना सिंह का नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह पर मुकदमा ठोकने का मामला गर्माया हुआ है. चौहान का आरोप है कि अजय सिंह ने मई में आयोजित अपनी परिवर्तन यात्रा के दौरान उनके और उनकी पत्नी के बारे में झूठे आरोप लगाए. इन आरोपों के बदले में बीती 12 जून को चौहान दंपति ने मुख्य जिला मजिस्ट्रेट, भोपाल की अदालत में एक करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति मांगी है. वहीं अजय सिंह का कहना है कि उन्होंने इसके पहले दो पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से 2003 से लेकर अब तक उनके परिजनों द्वारा अर्जित संपत्ति का ब्योरा मांगा था. लेकिन जवाब देने के बजाय मुख्यमंत्री ने उन्हें मानहानि का नोटिस थमा दिया. बकौल सिंह, ‘मुख्यमंत्री जी ने मानहानि के नोटिस में जिन आरोपों का जिक्र किया है वैसा मैंने कुछ नहीं कहा.’ किंतु मुख्यमंत्री चौहान के वकील दीपक जोशी ने सिंह के खिलाफ अदालत में एक सीडी और अखबारों की कुछ कतरनें पेश की हैं. जोशी का दावा है कि नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बीती 9 मई को सागर की जनसभा में कहा था कि पहले गुटखे के पाउच दस रुपये में 6 आते थे, अब तीन आते हैं. इसमें करोड़ों रुपये की कालाबाजारी चल रही है. और ये रुपये साधना सिंह की नोट गिनने की मशीन में गिने जा रहे हैं. जोशी का यह भी दावा है कि अजय सिंह ने चार जून को खरगौन की जनसभा में कहा था कि जिन शिवराज ने राजनीति की शुरुआत में अविवाहित रहने की कसम खाई थी वे ही राजनीति में चमकने के बाद साधना सिंह के रूप में नोट गिनने की मशीन लाए हैं.

भोपाल में चौहान दंपति ने जिस दिन नेता प्रतिपक्ष सिंह पर मानहानि का मामला दाखिल किया ठीक उसी दिन यानी 12 जून को इंदौर की विशेष अदालत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा ने मुख्यमंत्री सहित 17 लोगों पर कथित मैगनीज खनन घोटाले को लेकर याचिका दर्ज करके मुकदमे की सियासत को हवा दे दी. मिश्रा का आरोप है कि सूबे के विवादास्पद उद्योगपति सुधीर शर्मा और उनके भाई ब्रजेंद्र शर्मा का शिवराज सरकार से नजदीकी रिश्ता है. और इसी के चलते शर्मा बंधुओं की भागीदारी वाली एक फर्म को फर्जी दस्तावेजों के हवाले से बेशकीमती मैगनीज खदान का हस्तांतरण किया गया है. मिश्रा के मुताबिक शिवराज सरकार की मिलीभगत से ही शर्मा बंधुओं ने काजरी डोंगरी (झाबुआ) में फैली 30 हेक्टेयर की खदान को गैरकानूनी तरीके से अगस्त, 2018 तक के लिए हथिया लिया है. मिश्रा का दावा है कि इस फर्म द्वारा काजरी डोंगरी में सौ करोड़ से अधिक का अवैध उत्खनन किया जा चुका है. हालांकि इस याचिका के दाखिल होने के बाद मुख्यमंत्री चौहान की तरफ से कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इसके ठीक दो दिन बाद उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र बुदनी में एक कार्यक्रम के दौरान विरोधियों को चुनौती देते हुए यह जरूर कहा, ‘मुझे बदनाम करने वालों में यदि दम है तो वे आरोपों को अदालत में सिद्ध करें.’

[box]इस समय ज्यादातर मुकदमों का निशाना नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के अजय सिंह रहे हैं और भाजपा ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत ऐसा किया है[/box]

बीती 25 मई को छत्तीसगढ़ के सुकमा पहाड़ी (बस्तर) इलाके में नक्सलियों के सबसे बड़े हमले में जब छत्तीसगढ़ के कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल सहित पार्टी के कई बड़े नेता मारे गए तब उससे भड़की सियासी आग में मप्र के नेताओं ने करीब सवा महीने तक रोटियां सेंकीं. इस दर्दनाक हादसे के फौरन बाद मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने सुरक्षा व्यवस्था में हुई चूक के लिए छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया. इसी के साथ उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह को आड़े हाथों लेते हुए यहां तक कह डाला कि इस नक्सली हमले की जानकारी रमन सिंह को पहले से ही थी और इस साजिश में वे भी शामिल हैं. वहीं भूरिया के इस बयान पर पलटवार करते हुए मप्र भाजपा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस हादसे को छत्तीसगढ़ कांग्रेस में चल रही गुटबाजी का नतीजा बताया. इतना ही नहीं तोमर ने दो कदम आगे जाकर यह सनसनीखेज बयान भी दे डाला कि इस घटना के बाद जोगी का रुदन देखकर लगता है इसके पीछे जोगी का ही हाथ है. नतीजा यह कि इस बयान से उठे बवाल के बाद गुस्साए जोगी ने 11 जून को रायपुर में तोमर पर मानहानि का आपराधिक मुकदमा ठोक दिया. और इसके चंद रोज बाद ही छत्तीसगढ़ में भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने रमन सिंह के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी को लेकर भूरिया को भी उनके भोपाल के पते पर मानहानि का नोटिस पहुंचा दिया.

चुनावी समर में मची इस उथल-पुथल के बीच 21 जून को मानहानि का ही एक और नोटिस हरदा के भाजपा विधायक और पूर्व राजस्व मंत्री कमल पटेल ने नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को थमाया. दरअसल 15 मार्च को सिंह ने हरदा जिले के एक किसान सम्मेलन में पटेल पर बेहिसाब संपत्ति बटोरने और इंदौर में आलीशान होटल खरीदने का आरोप लगाया था. पटेल के वकील प्रवीण सोनी के मुताबिक, ‘अजय सिंह ने कहा था कि मप्र का बजट यदि छह गुना बढ़ा है तो पटेल की माली हैसियत सौ गुना सुधरी है. हरदा से लेकर भोपाल तक पटेल की हजार एकड़ से कम जमीन नहीं है. सिंह ने यहां तक कहा था कि पटेल ने चंडीगढ़ में जमीन ले ली है और रिटायरमेंट के बाद वे वहीं रहेंगे.’ वहीं सिंह के आरोपों को लेकर पटेल का मानना है कि इससे जनता के बीच उनकी बड़ी किरकिरी हुई है.

मप्र में चल रही मानहानि की इस सियासी बिसात पर गौर करें तो अब तक मुख्य रुप से नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ही निशाने पर रहे हैं. राजनीतिक प्रेक्षकों की राय में ऐसा इसलिए है कि चुनाव नजदीक देख सिंह ने सत्ता विरोधी हवा बढ़ाने के लिए बीते साल से ही हमलावर रुख अख्तियार कर लिया था. लिहाजा सत्तारूढ़ भाजपा ने उन पर चौतरफा हमले करके लगाम कसने की कवायद शुरू कर दी और सिंह के ही बयानों के आधार पर उन्हें घेरने की यह रणनीति अपनाई है.

काबिले गौर है कि मप्र में भाजपा और कांग्रेस के शीर्ष पदों पर बैठे नेता अब तक पत्रकार वार्ताओं, बयानों और पत्रों के जरिए एक-दूसरे को घेरते रहे हैं. लेकिन प्रदेश की सियासत में इन दिनों जारी मुकदमेबाजी का यह दौर नया है. शीर्ष नेताओं के स्तर पर इसकी शुरुआत आज से ठीक एक साल पहले तब हुई थी जब नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा पर मानहानि का मुकदमा ठोका था. दरअसल तब झा ने अजय सिंह पर उनके राजनीतिक क्षेत्र चुरहट में आदिवासियों की जमीन हथियाने का आरोप लगाया था. इसके बाद 5 जून, 2012 को सिंह ने झूठे कागजात पेश करने के मामले में झा सहित चार लोगों के खिलाफ प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी, भोपाल के सामने आपराधिक प्रकरण दर्ज कर दिया था. हालांकि अब यह मामला ठंडा पड़ गया है. लेकिन इसके साथ शुरू हुआ मुकदमेबाजी का सिलसिला हाल-फिलहाल मप्र की सियासत का तापमान बढ़ा रहा है.