दिवंगत कांग्रेस अध्यक्ष की पत्नी सहित दो नेताओं को बिना पूछे भाजपा टिकट, दोनों ने कर दिया लड़ने से साफ़ मना

बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और अमित शाह की रणनीति के बूते 200 सीट जीतने का दावा कर रही भाजपा को टिकट वितरण (टीएमसी के नेताओं को टिकट देने) से जहाँ अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है, वहीं प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की पत्नी को टिकट देकर उसे काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है क्योंकि उन्होंने भाजपा का टिकट लेने से साफ़ मना कर दिया है। यही नहीं एक और वरिष्ठ नेता तरुण साहा ने भी भाजपा टिकट ठुकरा दिया है और कहा कि भाजपा ने अपनी तरफ से ही उन्हें टिकट दे दिया और उनसे बात तक नहीं की गयी।
मामला पश्चिम बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, दिवंगत सोमेन मित्रा की पत्नी शिखा चौधरी मित्रा को भाजपा टिकट देने का है। भाजपा ने उन्हें चौरांगी सीट से टिकट घोषित कर दिया था। लेकिन भाजपा को तब बहुत शर्मिंदगी झेलनी पड़ी जब शिखा चौधरी ने यह टिकट ठुकरा दिया और कहा कि बिनापूछे कैसे भाजपा ने उन्हें टिकट दे दिया। शिखा चौधरी ने बाकायदा एक वीडियो जारी करके अपनी उम्मीदवारी से इनकार कर दिया और कहा कि इसके लिए उनसे अनुमति नहीं ली गई थी।
यही नहीं एक और वरिष्ठ नेता तरुण साहा ने भी भाजपा टिकट ठुकरा दिया है और कहा कि भाजपा ने अपनी तरफ से ही उन्हें टिकट दे दिया और उनसे बात तक नहीं की गयी।
अब भाजपा के इस तरह बिना पूछे शिखा चौधरी तो टिकट देने और उनके मना करने के बाद अब टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने दो और नेताओं को भी अपनी तरफ करने की कोशिश की थी मोइत्रा के मुताबिक भाजपा ने उन्हें पार्टी में शामिल होने और चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन दोनों नेताओं ने उनके ऑफर को ठुकरा दिया। भाजपा पर तंज कस्ते हुए मोइत्रा ने एक ट्वीट में कहा – ‘क्या यही बीजेपी का ‘आसोल परिवर्तन’  है। इससे साफ पता चलता है कि केंद्र के ‘आसोल परिवर्तन’ का असली मतलब क्या है।’
उधर बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत सोमेन मित्रा की पत्नी शिखा मित्रा तो भाजपा टिकट के मामले में उनके पुत्र और पश्चिम बंगाल कांग्रेस के महासचिव रोहन मित्रा ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें शिखा मित्रा ने कहा कि ‘मैं बीजेपी के लिए चुनाव में नहीं खड़ी होउंगी और मेरी उम्मीदवारी की खबर बिल्कुल गलत है।’ मित्रा के बेटे ने कहा कि, जब उन्हें टिकट मिलने की खबर आई, उस वक्त वे सो रही थीं और जैसे ही उन्हें इस बात का पता चला, उन्होंने इससे इनकार कर दिया। रोहन ने कहा – ‘मेरी मां चुनाव में खड़ी नहीं हो रही हैं। भाजपा के लिए तो बिल्कुल भी नहीं। इसके लिए हमसे अनुमति तक नहीं ली गई।’
बता दें फिलहाल शिखा मित्रा, आधिकारिक रूप से टीएमसी की सदस्य हैं और  राजनीति में उनकी गतिविधियों 2014 में विधायक के पद से इस्तीफा देने के बाद से ही ठप्प हैं। हाल में टीएमसी से भाजपा में गए सुवेंदु अधिकारी ने उनसे घर जाकर  मुलाकात की थी जिसके बाद उनके भाजपा में जाने के अटकलें लगी थीं।
रोहन मित्रा के मुताबिक सुवेंदु अधिकारी ने उनसे भाजपा में शामिल होने और पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ने का आग्रह किया था। उनकी मां ने कहा था कि वे इस प्रस्ताव पर विचार करेंगई और अगले ही दिन उन्होंने मना भी कर दिया था। इसके बावजूद भाजपा ने अपनी तरफ से ही उन्हें टिकट दे दिया। मित्रा ने कहा कि उनकी मां सक्रिय राजनीति से दूर रहना चाहती हैं और ‘सोमेन मित्रा फाउंडेशन’ के जरिए जरुरतमंद लोगों की मदद करना चाहती हैं।
मित्रा ने कहा कि सुवेंदु अधिकारी से उनके पारिवारिक संबंध जरूर हैं और उनकी मां ने तो 2014 में भाजपा का टिकट ऑफर ठुकरा दिया था। मित्र ने कहा – ‘हम अपने पिता सोमेन मित्रा की विरासत (कांग्रेस) के साथ हैं। हम जहां भी हैं, खुश हैं।’